जालंधर (विसंकें). हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने मीडिया में विदेशी पूंजी निवेश और इसके निरंतर हो रहे अंतरराष्ट्रीयकरण के दौर में भारत स्थित विदेशी मीडिया का स्वामीत्व भारतीय के हाथ में रखने का परामर्श दिया. विश्व संवाद केंद्र पंजाब की ओर से पठानकोट, अमृतसर, लुधियाना व संगरूर में नारद जयंती के उपलक्ष्य में समर्पित पत्रकारिता और राष्ट्रधर्म विषय पर आयोजित कार्यक्रमों को संबोधित करते डॉ अग्निहोत्री ने कहा कि मीडिया को विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का लाभ उठाते हुए स्वविवेक के आधार पर राष्ट्र के हित और अहित में अंतर करना होगा.
पठानकोट के आदर्श भारती कालेज में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते डॉ अग्निहोत्री ने कहा कि विदेशी पूंजी निवेश के दौर में मीडिया के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती निष्ठा की है. विदेशी मलकियत के चलते राष्ट्रविरोधी विचारों को भी मीडिया में जगह मिल रही है, जिसका देश पर बुरा असर पड़ता दिखाई दे रहा है. अन्यथा क्या कारण है कि सुरक्षाबलों के साथ होने वाली मुठभेड़ों में आतंकियों व नक्सलवादियों की होने वाली मौतों पर मीडिया में हायतौबा मच जाती है ? क्यों आतंकियों के बौद्धिक वकील मीडिया चर्चाओं में अपने ही देश की कानून व्यवस्था को चुनौती देने में सफल हो जाते हैं. अगर भारत में विदेशी मीडिया का स्वामीत्व किसी भारतीय के ही हाथ में हो और मीडिया में विदेशी पूंजी निवेश की सीमा घटा दी जाए तो इस तरह की विसंगतियां पैदा नहीं होंगी.
महर्षि नारद जी के बारे बोलते हुए डॉ अग्निहोत्री ने कहा कि उनका ध्येय सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय था जो भारतीय पत्रकारिता का ध्येयवाक्य होना चाहिए. भारत में लेखन कार्य शब्दब्रह्म की उपासना माना गया है और हमें अपने इस नीतिवाक्य को विस्मृत नहीं करना चाहिए.
अमृतसर के बीबीके डीएवी कालेज में आयोजित समारोह के दौरान हिंदी के विख्यात साहित्यकार डॉ हरमोहिंदर सिंह बेदी ने देवर्षि नारद को विश्व का सर्वप्रथम संपादक बताया. जिन्होंने भारतीय वांग्मय को वेदों में श्रेणीबद्ध किया. कालेज की प्रिंसीपल डॉ नीरज कामरा ने समारोह की अध्यक्षता की. इस अवसर पर पत्रकारिता विषय के विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया गया.
लुधियाना के पंजाबी भवन में आयोजित समारोह के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक ब्रिगेडियर (सेवानिवृत) जगदीश गगनेजा ने सूचना के स्रोतों के भारतीयकरण व भारतीय सूचना स्रोतों को सशक्त व आर्थिक रूप से मजबूत करने पर जोर दिया. आज दुनिया की न्यूज एजेंसियां अमेरिका की न्यूज एजेंसियों द्वारा दी गई सूचनाओं पर निर्भर करती हैं और घटनाओं का उसी दृष्टि से विश्लेषण करती हैं. हमें इस क्रम को बदलना होगा. पंजाबी साहित्यकार डॉ गुरचरण कौर कोचर ने मीडिया को लोकजीवन का दर्पण बताया और कहा कि समाज के मार्गदर्शन में सर्वाधिक योगदान मीडिया का ही है. प्रोफेसर गुरभजन गिल व युगबोध के सहसंपादक सोमनाथ ने भारतीय संस्कृति के हो रहे ह्रास पर प्रकाश डाला.
संगरूर में आयोजित समारोह के दौरान कार्यक्रम अध्यक्ष राम अवतार ने नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से परिचित होने के साथ-साथ आधुनिकता के साथ सामंजस्य पर जोर दिया. आधुनिकता और हमारी सनातन संस्कृति साथ-साथ चल सकती है और हमारी संस्कृति आधुनिकता और नए विचारों का सदैव समर्थन करती है. पाञ्चजन्य और आर्गेनाइजर द्वारा बाबा साहिब भीमराव आंबेडकर पर प्रकाशित विशेषांकों का विमोचन भी किया गया.