अमेरिका के उपदेश व करनी में फर्क, सीनेट में हिन्दू प्रार्थना का अपमान

साभार न्यूज़ भारती 

न्यूयॉर्क, मार्च 4 : अमेरिका के आइडहो राज्य के सीनेट में मंगलवार को कामकाज शुरू होने से पूर्व एक हिन्दू पुरोहित द्वारा प्रार्थना पढ़ी गयी जिसपर वहाँ उपस्थित कुछ सिनेटरों ने इस बात का विरोध कर डाला और कहा की अमेरिका एक ईसाई देश है और प्रार्थना सभा का बहिष्कार करने की बात कह डाली, जिसकी जानकार एक स्थानीय मीडिया ने दी।

उल्लेखनीय है की, अमेरिकी राष्ट्रपति ने जनवरी में अपने भारत के दौरे पर एक भाषण के दौरान ‘धार्मिक आज़ादी और समरसता’ का पाठ पढ़ाते हुए नसीहत दे डाली थी की जब तक भारत में धार्मिक एकता है तब तक भारत मजबूत है। फिर वॉशिंग्टन में भी एक सभा में उन्होने ऐसी ही नसीहत दी थी।

ठीक उनके ‘सहिष्णुतावादी विचारों’ के उलट अमेरिका का रिकॉर्ड धार्मिक स्वाधीनता और मानवाधिकार के मामले में खराब रहा है। 9-11 के हमलों के बाद नस्लीय भेदभाव के बारे में सब जानते हैं। हाल में ही कुछ ताज़ा घटनाएँ वहाँ घटी हैं जिसमें अफसरों द्वारा एक भारतीय बुजुर्ग की निर्मम पिटाई का मामला सामने आया, एक अश्वेत युवक की हत्या अफसर ने ही कर दी जिसके उपरांत दंगे भड़क गए, फिर दो हिन्दू मंदिरों की दीवार पर नफरत भरी धमकी लिखी गई और कुछ ही दिनों पूर्व एक पाठशाला के मासूम सिख छात्र पर ‘आतंकवाद’ कहकर भद्दी टिप्पणी उसी के सहयोगी छात्रा ने की।

यानी यह बात समझने लायक है की जिस देश में बच्चों तक के दिमाग में नस्लीय भेदभाव और गलत शिक्षा का जहर घुला हो वहाँ धार्मिक आज़ादी का तो भगवान ही मालिक है।

ताज़ा घटना में यूनिवर्सल सोसाइटी ऑफ हिंदूइज़्म के अध्यक्ष व हिन्दू पुरोहित राजन ज़ेड ने सीनेट जाकर पवित्र गीता का पाठ अँग्रेजी एवं संस्कृत में की थी और उपस्थित सदस्यों को बिना स्वार्थ और लोभ के जनहित का काम करने की नसीहत दी और कहा की लोभवश और स्वार्थ में किए जाने वाले कार्यों से दुनिया बंधनों में बंध जाती है। सीनेट के प्रो-टेम अध्यक्ष ब्रेन्ट हिल ने राजन को आमंत्रित किया था।

राजन द्वारा किए गए प्रार्थना से एक सीनेटर स्टीव विक बिफर पड़े और सदन से वॉकआउट कर दिया। स्टीव का तर्क था की अमेरिका का नींव जुड़ेओ-ईसाई धर्मों पर आधारित है और हिन्दू धर्म जात-पात एवं गौ-पुजा पर आधारित है इसीलिए वे इसका विरोध करते हैं। दूसरे सीनेटर शेरिल ने भी विरोध करते हुए कहा था की अमेरिका एक ईसाई राष्ट्र है और हिन्दू धर्म के देवता और विश्वास झूठ पर आधारित हैं।

जबकि राजन को आमंत्रित करने वाले ब्रेण्ट हिल ने कहा की उन्होने इस प्रार्थना का मतलब समझा है और ऐसा कुछ भी आपत्तीजनक नहीं पाया जिससे किसिका विश्वास आहत हो क्योंकि प्रार्थना में किसिका का विशेष नाम ना लेकर ‘परमात्मा’ का नाम लिया गया है जो सर्वव्यापी और एक ही हैं। हिल ने आगे कहा की “या तो आप धार्मिक स्वतन्त्रता को मानते हो या फिर नहीं और मेरे ख्याल में इससे पहले भी कई बार यहूदी धर्म और ईसाई धर्म की प्रार्थना सभाएं हुईं हैं तो इसमें क्या दिक्कत हुई।” हिल ने राजन की बात दोहराई जिसमें उन्होने कहा था की इस विरोध और बहिष्कार से उन्हें बुरा नहीं लगा क्योंकि हिन्दू धर्म सबको अपने अंदर समेटने और स्वीकारने वाला धर्म है। उलट रिपब्लिकन एवं डेमोक्रेटिक दल के कई सिनेटरों ने तो राजन से हाथ मिलाकर सौहार्द पूर्ण तरीके से स्वागत किया।

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