अलगाववाद पर मोदी सख्त, विपक्ष से भी कहा देशभक्ति का पाठ न पढ़ाए तो बेहतर.

स्रोत: न्यूज़ भारती हिंदी

नई दिल्ली, मार्च 9 : जम्मू कश्मीर द्वारा रिहा करवाए गए अलगाववादी मसरत आलम के मसले पर सोमवार को सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़े शब्दों में संदेश दिया की अलगाववाद और आतंकवाद के मुद्दे पर पूरा देश एकजुट है और सरकार ऐसा कुछ भी नहीं होने देगी जिससे की देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा पर कोई आँच आए।

2010 में पत्थरबाजी करवाकर अशांति फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किए गए मसरत आलम की शनिवार को रिहाई होने के बाद से पूरे देश में रोष और नाराजगी का माहौल व्याप्त हो गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में कहा की पूरे देश के साथ साथ विपक्षियों को भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखने और रोष प्रकट करने का पूरा अधिकार है और उन्होने यह भी कहा की चूंकि जम्मू कश्मीर में उनकी सरकार में भागीदारी भी है तो आलोचना सहने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि, प्रधानमंत्री ने कहा की जब आतंकवाद का मुद्दा आता है तो इसमें दलगत राजनीति नहीं होनी चाहिए और पूरे देश का एकमत और एकसुर होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा की मसरत आलम की रिहाई के बारे में केंद्र सरकार को अंधेरे में रखा गया था और राय-मशवरा किए बिना ही उसकी रिहाई की गई इसीलिए वे पूरे देश को यह विश्वास दिलाना चाहते हैं की देश की सुरक्षा, संप्रभुता एवं अखंडता से कोई समझौता करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। विपक्षियों द्वारा लगाये जा रहे निराधार भरे आरोपों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो टूक शब्दों में कहा की जब मुद्दा आतंकवाद का हो तो कम से कम उन्हें देशभक्ति का पाठ तो ना ही पढ़ाएँ। प्रधानमंत्री ने सभी को आश्वासन देते हुए कहा की चाहे कोई भी हो, वे कानून का दुरुपयोग किसी को भी नहीं करने देंगे और इस मसले पर संविधान की मर्यादा में आवश्यक कदम उठाएंगे।

सोमवार को विपक्षियों द्वारा सफाई मांगे जाने पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सफाई देते हुए कहा की केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के गृह विभाग से इस मामले की रिपोर्ट मांगी। राजनाथ सिंह ने रिपोर्ट के हवाले से कहा की सन 1995 से हत्या, देशद्रोही और अन्य मामले मिलाकर मसरत पर कुल 27 मामले थे जिन सबमें उसे जमानत दी गयी। पत्थरबाजी के मामले में भी 2010 से लगातार उसे आठ बार हिरासत में लिया गया और सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत उस पर कारवाइयाँ की गईं। उच्च न्यायालय ने कहा की बिना किसी नए ठोस मामले के मसरत को दो साल से ज़्यादा बंद नहीं किया जा सकता। हालांकि, प्राप्त हुई रिपोर्ट से केंद्र सरकार संतुष्ट नहीं है और फिर से विस्तारित तौर पर सारे मामले की जाँच की जाएगी, गृह मंत्री ने कहा।

उल्लेखनीय है की जम्मू कश्मीर में पिछले हफ्ते भाजपा और पीडीपी की सरकार बनने के बाद से पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने एक के बाद एक ऐसे कदम उठाए जिससे देश की अखंडता और सुरक्षा पर कई सवाल उठ खड़े हुए। पहले तो शांतिपूर्ण चुनावों के लिए मुख्यमंत्री ने अलगाववादियों, आतंकवादियों और पाकिस्तान का आभार प्रकट किया और फिर संसद हमले के दोषी अफजल गुरु के अवशेष की भी माँग कर डाली। अब ताज़ा मामले में मुफ़्ती सरकार ने अलगाववाद कट्टरपंथी नेता मसरत आलम को रिहा करवा दिया है।

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