विश्व हिन्दू परिषद् के संरक्षक व हिंदुत्व के महामानव अशोक सिंघल जी की श्रद्धांजलि सभा टाउन हॉल, कर्णावती महानगर में राममंदिर निर्माण के संकल्प के साथ 23.11.2015 को संपन्न हुई. श्रधांजली सभा में श्री प्रवीण भाई तोगड़िया ने कहाँ कि राम मंदिर के महानायक श्री अशोक जी सिंघल भव्य राम मंदिर निर्माण का स्वप्न अपनी आँखों में लिए शांत हो गए. 2000 साल से यह हिन्दू समाज सुरक्षा, समृधि, स्वाभिमान के लिए संघर्षरत है इस लंबे इतिहास में धर्म, संस्कृति और समाज के लिये साधु आये, सैनिक भी आये और सेनापति भी आये. अशोक जी व्यक्तिगत जीवन में साधु और धर्म-संस्कृति की रक्षा के लिए सेनापति भी थे. ईतिहास अशोक जी का योगदान हमेशा याद रखेगा.
इस देश में हिंदुत्व के गौरव की पुनः प्रतिष्ठा के श्रेय श्री अशोक जी सिंघल को जाता है. उन्होंने पश्चिम की धर्मनिरपेक्षता से प्रभावित समाज जीवन और राजनीती में धर्म का वर्चस्व पुनः स्थापित किया. इस देश में अल्पसंख्यको का एक वीटो आ गया था. 23% लोगो ने 77% लोगो को अपमानित कर देश के टुकड़े किये. स्वतन्त्र भारत में भी अल्पसंख्यक वाद चल रहा था, शाहबानो केस इसका उदाहरण है. ऐसे समय में भारत के समाज जीवन में एक महापुरुष पैदा हुए जिनका नाम अशोक जी सिंघल है. जिन्होंने भारत की राजनीती से मुस्लिम वीटो समाप्त किया, धर्म संसद भी अशोक जी की ही देन है. 1984 में धर्म संसद में सभी साधु संत एक मंच पर आये और काशी, मथुरा, अयोध्या की मुक्ति का प्रस्ताव पारित किया गया.
विश्व यह मानता था कि अस्पृश्ता को हमारे देश में धार्मिक स्वीकृति है ऐसे में अशोक जी ने प्रतिपादित किया कि अस्पृश्ता को संतो एवं धर्मग्रंथो की मान्यता नहीं है. उन्होंने श्री राम जन्मभूमि की पहली ईट भी तथाकथित अनुसूचित जाति के कार्यकर्ता के हाथो रखवाई. काशी में चांडाल नरेश के यहाँ पू. शंकराचार्य जी ने भोजन किया. मंदिर में पुजारी का अधिकार केवल ब्राह्मणों को है उन्होंने ब्राह्मणों के अलावा अन्य जातिओं से 1.5 लाख लोगो को पूजा करने का प्रशिक्षण देकर पुजारी बनाया.
1985 में आतंकवादियो के अमरनाथ यात्रा स्थगित कराने के एलान के सामने उन्होंने नारा दिया “चलो अमरनाथ” और 50,000 से अधिक भक्तो अमरनाथ ले जाने वाला नेतृत्व भी अशोक जी सिंघल का ही था. मीनाक्षीपुरम् की घटना में हिन्दुओ को पुनः स्वधर्म में वापस लाने का भागीरथ कार्य भी अशोक जी ने किया तथा समाज में हिन्दू हृदय सम्राट के रूप में स्थापित हुए. अशोक जी और विश्व हिन्दू परिषद पर्याय है. श्री राम मंदिर आंदोलन की पहचान अशोक जी सिंघल है. 6 दिसम्बर, 1992 के दिन यदि अशोक जी सिंघल न होते तो बाबर का ढांचा ध्वस्त न हुआ होता.
डॉ. तोगड़िया ने मांग कि श्री राम मंदिर के सभी केसों को संसद निरस्त करे और राम मंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त करे. उन्होंने आहवान कि भव्य राम मंदिर निर्माण का हमारे पूर्वजो का स्वप्न जो अशोक जी सिंघल ने व्यक्त किया उसको पूरा करने का संकल्प हम करे.
श्रधांजलि सभा में अनेक संत- महात्मा, गुजरात के महामहिम राज्यपाल श्री ओ.पी. कोहली जी, मुख्यमंत्री श्रीमती आनंदी बहेन पटेल, रा. स्व. संघ के प्रांत कार्यवाह श्री यसवंत भाई चौधरी सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे.