अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की 138वीं रथयात्रा भक्तिपूर्ण वातावरण में संपन्न.

अहमदाबाद में आज 138वीं जगन्नाथ रथ यात्रा भक्ति एवं उत्साहपूर्ण वातावरण में निकाली गई. लोकोत्सव के रूप में मनाए जाने वाले इस पर्व में को लेकर भक्तो में अपार उत्साह का माहौल देखने को  मिला। चारों ओर जय जगन्नाथ की गूंज सुनाई दी। 14  किलोमीटर लंबी इस रथयात्रा में लाखों लोग शामिल हैं। यात्रा की शुरुआत जमालपुर इलाक़े के 400 साल पुराने मंदिर से हुई। परंपरा के मुताबिक़ मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने पाहिंद विधि (सोने की विशेष झाडू से रथ के रास्ते को बुहारना) कर यात्रा की शुरुआत करवाई। रथ यात्रा में तीन रथ, 100 ट्रक, 18 हाथी और 7 छोटी गाड़ियां शामिल हुई हैं। 18 भजन मण्डली भी रथयात्रा का हिस्सा हैं।
रथयात्रा के लिए तीनों ही रथों को उपनाम दिए गए हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ का नाम ‘नंदीघोष’ है। 6 पहियों वाला रथ 13.5 मीटर ऊंचा होता है। सुभ्रदा के रथ का नाम ‘देवदलन’ है। यह 12.9 मीटर ऊंचे 12 पहिए के इस रथ में लाल, काले कपड़े के साथ लकड़ी के 593 टुकड़ों का इस्तेमाल होता है। बलरामजी के रथ का नाम ‘तलध्वज’ है। यह 13.2 मीटर ऊंचा 14 पहियों का होता है, जो लाल, हरे रंग के कपड़े व लकड़ी के 763 टुकड़ों से बना होता है। दुनिया के किसी भी कोने में यह रथयात्रा निकले, रथों को इन्हीं नामों से संबोधित किया जाता है। हालांकि इन रथों की बनावट शैली समान ही होती है।
भगवान जगन्नाथ के रथ पर हनुमानजी और नरसिंह भगवान का प्रतीक होता है। विष्णु का वाहक गरुड़ इसकी हिफाजत करता है। रथ पर जो ध्वज है, उसे ‘त्रैलोक्यमोहिनी’ कहते हैं।
बलराम के रथ पर महादेवजी का प्रतीक होता है। रथ के रक्षक वासुदेव और सारथी मताली होते हैं। रथ के ध्वज को उनानी कहते हैं। त्रिब्रा, घोरा, दीर्घशर्मा व स्वर्णनावा इसके अश्व हैं। सुभद्राजी के रथ पर देवी दुर्गा का प्रतीक मढ़ा जाता है। रथ की रक्षक जयदुर्गा व सारथी अजरुन होते हैं। रथ ध्वज नदंबिक कहलाता है। रोचिक, मोचिक, जिता व अपराजिता इसके अश्व होते हैं। इसे खींचने वाली रस्सी को स्वर्णचुडा कहते हैं।
रथों पर जो घोड़ों की कृतियां मढ़ी जाती हैं, उसमें भी अंतर होता है। भगवान जगन्नाथ के रथ पर मढ़े घोड़ों का रंग सफेद, सुभद्राजी के रथ पर कॉफी कलर का, जबकि बलरामजी के रथ पर मढ़े गए घोड़ों का रंग नीला होता है। प्रशासन ने रथयात्रा के लिए भारी सुरक्षा इंतज़ाम किए हैं। भगवान जगन्नाथ का रथ शहर में 14 किलोमीटर की दूरी तय नीज मंदिर वापस पहुंची और इस दौरान लाखों श्रद्धालु आशीर्वाद प्राप्त किये।
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