आर्थिक सुधारों, वैश्वीकरण के नाम पर भारतीय जनमानस को गुमराह किया जा रहा – अरुण ओझा जी

वैश्वीकरण, आर्थिक सुधार जैसे बड़े-बडे़ नाम देकर भारतीय जनमानस को गुमराह किया जा रहा है – अरूण ओझा 

कृषि निवेश और पेटेंट को व्यापार वार्ताओं से बाहर किया जाना चाहिए – डाॅ. अश्विनी महाजन

जोधपुर (विसंकें). स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक अरुण ओझा ने कहा कि वर्तमान में आर्थिक सुधारों के नाम पर भारतीय अर्थव्यवस्था को पूर्ण रूप से बर्बाद किया जा रहा है. अरुण जी लाल सागर स्थित हनवन्त आदर्श विद्या मंदिर में चल रहे स्वदेशी जागरण मंच के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में संबोधित कर रहे थे. ओझा ने कहा कि वैश्वीकरण, आर्थिक सुधार जैसे बड़े-बडे़ नाम देकर भारतीय जनमानस को गुमराह किया जा रहा है. बाजारीकरण के चलते हमें वे वस्तुएं खिलाई-पिलाई जा रही हैं, जो बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां चाहती हैं. 1960 के दशक पूर्व खाद्य तेल व घी को लेकर कोई चिन्ता न थी, किन्तु विदेशी कम्पनियों ने विभिन्न बिमारियों का नाम देकर उनमें बदलाव कर दिया है. इसी के परिणाम स्वरूप तिल, मूंगफली और नारियल तेल से सम्बन्धित कुटीर उद्योग नष्ट हो गए.

ओझा ने कहा कि आर्थिक क्षेत्र में स्वदेशी ढांचे को पुनर्जीवित करने का प्रयास स्वदेशी जागरण मंच कर रहा है. कोई भी सरकार विदेशी निवेश से प्राप्त धन का तो लेखा दे रही है. किन्तु कितनी राशि देश से बाहर जा रही है, उसका खुलासा नहीं किया जा रहा. स्वदेशी जागरण मंच के सर्वे के अनुसार जहां विदेश से एक डॉलर आ रहा है, वहीं भारत से तीन डॉलर विदेश में जा रहा है. अतः देश को नवीन अर्थनीतियों की आवश्यकता है, देश के लिए नया स्वर, नया शब्द, नया वाक्य चाहिए. और नव वर्ष से नवीन नीतियां का आगाज हो इसका प्रयास स्वदेशी जागरण मंच कर रहा है. समारोप सत्र में राष्ट्रीय परिषद् सदस्य देवेन्द्र डागा ने स्वागत तथा प्रान्त सह कोष प्रमुख अतुल भंसाली ने धन्यावाद ज्ञापित किया. संचालन राजस्थान प्रान्त संयोजक धर्मेन्द्र एवं अखिल भारतीय विचार मण्डल प्रमुख दीपक शर्मा ने किया.

सम्मेलन के तीसरे दिन के प्रथम सत्र में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. अश्विनी महाजन ने मांग की कि कृषि निवेश और पेटेंट को व्यापार वार्ताओं से बाहर किया जाना चाहिए. नैरोबी (कैन्या) में 19 दिसंबर 2015 को संपन्न विश्व व्यापार संगठन के मंत्री सम्मेलन में जिस प्रकार से विकासशील देशों के हितों के विपरीत दोहा विकास चक्र को तिलांजली दे दी गई और विकसित देशों द्वारा कृषि को दी जाने वाली भारी सब्सिडी के चलते आयातों की बाढ़ के फलस्वरूप हमारे किसानों और कृषि को भारी संकट से बचाने हेतु विशेष बचाव उपायों (एसएसएम) और खाद्य सुरक्षा हेतु सरकार द्वारा खाद्यान्न खरीद पर सब्सिडी गणना की गलती को सुधारने हेतु समाधान देने में भी विकसित देशों की आनाकानी से यह स्पष्ट हो गया है कि विश्व व्यापार संगठन में हुए पूर्व के समझौतों से विकासशील देशों और विशेष तौर पर भारत को भारी कठिनाईयों से गुजरना पड़ रहा है. विदेशों से सब्सिडी युक्त कृषि पदार्थों की बाढ़ के कारण हमारे किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाता और कृषि लगातार अलाभकारी होती जा रही है और हमें अपनी गरीब जनता को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने में भी संघर्ष करना पड़ रहा है. भारत सरकार के वाणिज्य मंत्री ने भी कहा है कि दोहा विकास चक्र को आगे बढ़ाने में असफल होने के कारण वे अत्यन्त निराश हैं. इसी सत्र में राष्ट्रीय सहसंयोजक लक्ष्मीनारायण भाला ने राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के गठन की मांग की. समरस समाज ही संगठित एवं स्वावलंबी बन पाता है. सामाजिक समरसता में शिक्षा की भूमिका भी तब ही प्रभावी हो पायेगी, जब समाज के सभी तबकों, जाति-पंथों, संप्रदायों, विभिन्न भाषा-भाषियों आदि के सभी स्त्री-पुरूषों को समान रूप से शिक्षा उपलब्ध हो. शिक्षा के नाम पर व्यापार करने वाले एवं विदेशी निवेश के बल पर भारत की शिक्षा व्यवस्था में पैठ जमाने वाले व्यक्ति, संगठन तथा संस्थान समाज को अमीर एवं गरीब की शिक्षा के रूप में दो तबकों में बांट रही है. पांथिक अल्पसंख्यक होने का लाभ उठाकर शिक्षा में मनमानी कर अवांछित विषय भी पढ़ाये जा रहे हैं. इन सब विसंगतियों को दूर कर शिक्षा सर्वसमावेशी एवं सर्वसुलभ हो ऐसी नीति बने. यह आज की महती आवश्यकता है.

समारोप सत्र में उपस्थित अतिथियों का माल्यार्पण कर स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया गया. स्वदेशी जागरण मंच के तीन दिवसीय सम्मेलन से सम्बन्धित स्वदेशी दृष्टि नामक स्मारिका का विमोचन किया गया. संपादक डॉ. अमित व्यास, सहसम्पादक रोहिताश पटेल तथा डॉ. नरेश अग्रवाल ने बताया कि स्मारिका में सभी सत्रों के वक्ताओं के वक्तव्य प्रकाशित किए गये है. मारोह में आए सम्पूर्ण भारत के कार्यकर्ताओं के पते एवं मोबाईल नं. से सम्बन्धित दिग्दर्शिका का विमोचन किया. इस अवसर पर अश्विनी दुबे व कुणाल पटेल ने सम्पूर्ण भारत में हुए विविध कार्यक्रमों एवं आन्दोलन से सम्बन्धित डिजीटल प्रदर्शनी को तैयार कर लोकार्पित किया. वहीं राजस्थान के प्रसिद्ध वीररस गायक प्रकाश माली द्वारा गाए स्वदेशी गीत को भी प्रस्तुत किया गया. समारोप सत्र में सम्पूर्ण भारत के विविध कार्यकर्ताओं के दायित्वों की भी विधिवत घोषणा की गई. इसके अन्तर्गत स्वदेशी जागरण मंच के प्रान्त सहसंयोजक धर्मेन्द्र दुबे को राजस्थान प्रान्त संयोजक की नई जिम्मेदारी प्रदान की गई

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