आर.एस. एस. सह सरकार्यवाह श्री. दत्तात्रेयजी होसबाले, मा. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी द्वारा 11 अक्टूबर को विराट पुरूष नाना जी देशमुख नामक ग्रंथावली का विमोचन किया गया.

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने शनिवार, 11 अक्टूबर को यहां विराट पुरूष नाना जी देशमुख नामक ग्रंथावली का विमोचन किया. यह ग्रंथ दीनदयाल अनुसंधान संस्‍थान द्वारा छह अंकों में संकलित किया गया है, जो नानजी देशमुख की रचनाओं का संकलन है.

इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने नानाजी देशमुख की शक्ति, अभियान और राष्‍ट्र-निर्माण एवं सामाजिक कल्‍याण के प्रति उनकी वचनबद्धता की सराहना की. उन्‍होंने कहा कि उनके प्रयासों की बदौलत ही ”शिशु मंदिर”, जिसकी शुरुआत गोरखपुर में की गई थी, देशभर में शिक्षा का एक विख्‍यात संस्‍थान बना. उन्‍होंने राजनीतिक सहमति विकसित करने की नानाजी की क्षमता की भी सराहना की.

प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री देशमुख ने 60 वर्ष की आयु में राजनीति से संन्‍यास लेते हुए अपना समूचा जीवन ग्रामीण विकास के प्रति समर्पित कर दिया था. श्री मोदी ने यह भी याद दिलाया कि देशमुख से प्रेरित होकर अनेक युवाओं ने सामाजिक उत्‍थान के प्रति अपने को समर्पित कर दिया था.

श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि नानाजी ने अनेक प्रसिद्ध उद्योगपतियों को भी समाज के लिये काम करने के लिये प्रेरित किया था. उन्‍होंने कहा कि नानाजी का विचार था कि ”विज्ञान सार्वभौमिक हो सकता है लेकिन प्रौद्योगिकी अनिवार्य रूप से स्‍थानीय होनी चाहिये.

प्रधानमंत्री ने कहा कि ”विराट पुरूष नानाजी” नामक ग्रंथ भारत की भावी पीढि़यों को राष्‍ट्र निर्माण में योगदान के लिये प्रेरित करेगा.

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