इंटरनेट की अपेक्षा स्वयं साहित्य पढ़ना अधिक प्रमाणिक – अशोक बेरी जी

कटनी (विसंके). कटनी में आयोजित पांच दिवसीय राष्ट्रीय साहित्य पुस्तक एवं स्वदेशी मेले के समापन अवसर पर मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल सदस्य अशोक जी बेरी ने कहा कि ‘‘मेला शब्द ही आनंद की अनुभूति देता है. कटनी के स्वदेशी साहित्य मेले में मैं अपने समाज के लिये कुछ कर सकूं, मेरे द्वारा भी समाज का भला हो सकेहम सबको ऐसी अनुभूति होती है. इंटरनेट में जो उपलब्ध साहित्य है, उसकी प्रमाणिकता क्या हैउसके स्रोत क्या है?वास्तव में इंटरनेट में उपलब्ध जानकारी की अपेक्षा स्वयं साहित्य से पढ़ना प्रमाणिकता की दृष्टि से ज्यादा महत्वपूर्ण रहता है. पुस्तक मेले का आयोजन स्थानीय साधूराम विद्यालय प्रांगण में किया गया था. कटनी जिला के कलैक्टर विकास सिंह नरवाल ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय साहित्य पुस्तक एवं स्वदेशी मेले का आयोजन अनुकरणीय पहल है. स्वदेशी शब्द भी अपने आप में विचारधारा हैजिसको आगे बढ़ायेंगे तो हमारा जिलाहमारा प्रदेश प्रगति कर सकता है. आज वर्तमान पीढ़ी द्वारा अपनी सोच को विकसित करते हुये स्वदेशी विचारधारा के साथ भारत को दुनिया का सिरमौर बनाने हेतू सम्मिलित प्रयास की आवश्यकता है. मेरा पूरा प्रयास होगा कि कटनी में स्वदेशी लाइब्रेरी का निर्माण होजिसमें हमारे देश के पुराने एवं वर्तमान लेखक हैं, उनकी सभी श्रृंखलाओं को रखा जाये. इस हेतु शासन-प्रशासन की मदद मेरी तरफ से मुहैया करवाई जायेगी. विश्व संवाद केन्द्र जबलपुर के कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत जी पोल, पुस्तक एवं स्वदेशी मेले की जानकारी अरूण सोनी ने रखी. मंचासीन अन्य अतिथियों में उमेश मिश्रा वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता मधुसूदन जी बगड़िया ने की.

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इससे पूर्व मेले के उद्घाटन वाले दिन 01 जनवरी को उच्च एवं तकनीकी शिक्षा कैबिनेट मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि‘‘पुस्तक एवं स्वदेशी मेले जैसे साहित्यिक कार्यक्रम में इतनी बड़ी सहभागिता के लिये कटनी नगर के साहित्य प्रेमियों को धन्यवाद करता हूं. किसी भी राजनैतिकसामाजिक मुद्दों पर प्रस्तुति एवं स्वयं के विकास के लिये मैं आज भी राष्ट्रीय साहित्य का अध्ययन निरंतर करता हूं. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विश्व संवाद केन्द्र भोपाल से उपस्थित नरेन्द्र जैन ने कहा कि ‘‘किसी समाजकिसी देश का भविष्य जानना है तो इस हेतु अच्छे साहित्य का अध्ययन एवं स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग नितांत आवश्यक है. कार्यक्रम की अध्यक्षता पुस्तक मेला संरक्षक गिरिराज किशोर पोद्दार ने की. दूसरे दिन 02 जनवरी 2015 को पुस्तक मेले में साधूराम विद्यालय प्रांगण में वर्तमान सामाजिक परिपेक्ष्य में साहित्य की उपादेयता विषय पर गोष्ठी संपन्न हुई. जिसमें पाञ्चजन्य के स्तम्भ लेखक प्रशांत बाजपेयी मुख्य अतिथि रहे। 03 जनवरी2015 को पुस्तक मेले में सरस्वती विद्यालय के भैया-बहनों द्वारा साधूराम प्रांगण में देशभक्ति पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई.

पुस्तक मेला परिवार में संपूर्ण देश के 26 प्रकाशकों एवं स्वदेशी स्टॉलों ने सहभागिता की. प्रदर्शनी का उद्घाटन महाकौशल प्रांत के प्रांत प्रचारक राजकुमार जी मटाले ने किया. मेले में लगभग 4 लाख रूपये का साहित्य व स्वदेशी उत्पाद का विक्रय हुआ, साथ ही नगर व जिले के लगभग तीस हजार लोगों ने स्वदेशी पुस्तक मेले, व प्रदर्शनी का अवलोकन किया.

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साभार विश्व संवाद केंद्र – भारत


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