जयपुर (विसंकें). क्रीड़ा भारती द्वारा 25 से 27 दिसंबर तक आयोजित तीन दिवसीय खेल संगम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ केशव विद्यापीठ जामडोली जयपुर में हुआ. क्रीड़ा भारती संस्था राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय पारम्परिक खेलों को प्रोत्साहित कर जन-जन तक प्रचारित एवं प्रसारित करने में कार्यरत है.
कार्यक्रम के संयोजक रामानन्द चौधरी ने बताया कि देश के 500 जिलों से आये 1100से अधिक कार्यकर्ता खेल संगम में भाग ले रहे हैं. राष्ट्रीय खेल संगम के दौरान भारतीय पारम्परिक खेलों के विकास पर चर्चा होगी. इसके साथ देश भर से चुनी हुई कबड्डी, रस्सा कस्सी आदि टीमों के मध्य प्रतियोगिताएं भी होंगी.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गजेन्द्र सिंह खींवसर खेल एवं उद्योग मंत्री राजस्थान सरकार, ने ‘पहला सुख निरोगी काया’ कहावत के महत्व को बताते हुए, बचपन से ही खेल खेलते रह कर स्वस्थ बनने पर जोर दिया. बच्चों के विकास में माता पिता का पूर्ण योगदान रहता है. पढ़ाई के साथ साथ खेलों के लिए भी समय देना चाहिए. प्रतिदिन कम से कम एक घंटा व्यायाम अवश्य करना चाहिए.
कार्यक्रम अध्यक्ष अशोक परनामी ने क्रीड़ा भारती द्वारा भारतीय पाम्परिक खेलों को पूरे देश में प्रचारित करने के लिए साधुवाद दिया. उन्होंने कहा कि खेल खेलने से शारीरिक व मानसिक विकास के साथ साथ संगठित होने की प्रेरणा व शक्ति मिलती है. टीमभावना का विकास होता है. क्रीड़ा भारती ने कबड्डी को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पंहुचाया है. राजस्थान सरकार भी खेलों को प्रोत्साहन दे रही है.
क्रीडा भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं अर्जुन पुरस्कार विजेता चेतन चौहान ने कहा कि प्रथम बार 1992 में प्रारम्भ क्रीड़ा भारती का पूरे भारत वर्ष में 2009 से अब तक 500जिलों में काम की शुरूआत हो चुकी है और दो वर्षो में शेष जिलों में भी कार्य का विस्तार होगा. ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत सारे खिलाड़ी हैं,किन्तु उन्हें प्रोत्साहन एवं सुविधाएं नहीं मिल रही है. क्रीड़ा भारती के कार्यकर्ता सरकारों एवं अन्य संस्थाओं के सहयोग से ऐसे खिलाड़ियों को आगे लाने का काम कर रहे हैं.