नासिक, दि. 20 – स्वावलंबन, संस्कृति, कला, परंपरा, नृत्य, वाद्य आदी जनजातीय समाज के स्वाभिमान और अस्मिता के विषय है। उन्हें अगर कोई बाधा पहुंचाने का प्रयास कर रहा हो तो हिंदू समाज नहीं सहेगा, यह स्पष्ट प्रतिपादन रा. स्व. संघ के सरकार्यवाह श्री. भैय्याजी जोशी ने किया। उन्होंने कहा, कि जनजातीय समाज की प्राचीन परंपरा की रक्षा ही अस्मिता जागरण है।
वनवासी कल्याण आश्रम की ओर से सुरगाणा तहसील के गुही गांव में आयोजित जनजाति अस्मिता सम्मेलन में प्रमुख वक्ता के रूप में श्री. भैय्याजी जोशी बोल रहे थे। इस अवसर पर मंच पर वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री सोमयाजुलु, प्रांत अध्यक्ष डॉ. आशुतोष माली, प्रांत सचिव शरद शेलके, जिलाध्यक्ष डॉ. बाबूलाल अग्रवाल, सचिव केशव सूर्यवंशी आदी मान्यवर उपस्थित थे।
जनजाति सम्मेलन में उपस्थित पांच हजार से अधिक जन समुदाय को मार्गदर्शन करते हुए श्री. भैय्याजी जोशी ने कहा, कि इस देश में माता मानने वाली एकमात्र संस्कृति है. इसलिए हमारी भावना है, कि जो जो भारत माता की जय कहते है वे सब एक ही है। दुर्भाग्य से यह संस्कृति खत्म करने के लिए कई शक्तियां समाज में कार्यरत है। यह बात समाज के लिए ही नहीं बल्कि देश के लिए भी नुकसानदेह है। इसलिए हमारे समाज के लिए उचित क्या है, अनुचित क्या है इसका चुनाव जनजातीय समाज द्वारा करना आवश्यक है।
कार्यक्रम की प्रस्तावना सचिव केशव सुर्यवंशी ने की जबकि सूत्र संचालन भास्कर खांडवी ने किया। कल्याण आश्रम के अ. भा. संगठन मंत्री श्री. सोमयाजुलुजी ने इस अवसर पर मार्गदर्शन हुए कहा, कि बालासाहेब देशपांडे द्वारा शुरू किया गया वनवासी कल्याण का कार्य आज पूरे देश में लगभग 300 जिलों में 11 करोड़ लोगों तक पहुंचा है। 230 छात्रावासों में 2000 से अधिक छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे है।
सांसद हरिश्चंद्र चव्हाण ने कहा, ” मैं सच्चा आदिवासी हूं। इसी कारण बोगस आदिवासियों के विरोध में मैंने विद्रोह पुकारा है। देश में 11 करोड़ जनसंख्या आदिवासियों की है। जातीयता की दिवारें तोड़कर एकत्र आने से ताकद बढ़ेगी।” सम्मेलन में वनवासी बांधवों के विभिन्न प्रश्नों के बारे में महेश टोपले एवं अन्य गणमान्य अतिथियों ने अपने विचार रखे। डॉ. अनिरुद्ध धर्माधिकारी ने स्वागत पर भाषण किया।
इस बीच आज सुबह सरकार्यवाह श्री. भैय्याजी जोशी का सम्मेलन स्थल पर आगमन होने के बाद पारंपारिक वाद्य पावरी एवं संबल के मधुर मंगलध्वनि के बीच उनका स्वागत किया गया। गुही आश्रमशाला की छात्राएं लेझिम के लय पर उन्हें मंच तक ले गई। आरंभ में वनवासी बांधवों नें पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण कार्य करनेवाले प्रतिभावान लोगों का सम्मान किया गाय।
इस सम्मेलन में पेठ, सुरगाणा, इगतपुरी, दिंडोरी, निफाड, त्र्यंबकेश्वर तहसिलों से हजारो वनवासी बांधव सहभागी हुए थे। वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा सुरगाणा तहसील में गुही में बनाए गए छात्रावास की नई वास्तू का उद्घाटन रा. स्व. संघ के सरकार्यवाह श्री. भैय्याजी जोशी के हाथों शनिवार को किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए सरकार्यवाह ने कहा, कि भौतिक इमारतों से भी ज्यादा जोर सामाजिक रचना मजबूत करने पर दिया जाना चाहिए।
अत्यंत दुर्गम इलाके में बसे गुही में वनवासी कल्याण आश्रम की ओर से पिछले 32 वर्षों से वनवासी बालकों के लिए आश्रमशाला चलाई जाती है। यहां ४५० छात्र-छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रही है। इस इलाके में शिक्षा की कोई सुविधा नहीं था उस समय वर्ष 1986 में कल्याण आश्रम ने यह शैक्षिक संकुल शुरू किया था। इस संकुल के विस्तारीकरण के अंग के रूप में 200 छात्राओं के लिए एक सुसज्ज छात्रावास बनाया गया है। इस छात्रावास का उद्घाटन आज हुआ। इस अवसर पर कल्याण आश्रम के अ. भा. संगठन मंत्री श्री. सोमयाजुलुजी एवं अन्य मान्यवर उपस्थित थे। इस छात्रावास के लिए जिन्होंने दान दिया उनका भी सम्मान किया गया। वनवासी विषय के अध्येता भास्कर गिरिधारी द्वारा लिखित “ वनवासी विश्व” ग्रंथ का प्रकाशन श्री. भैय्याजी जोशी के हाथों किया गया।