मुंबई (विसंकें). श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव एवं विश्व हिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष चंपतराय जी ने कहा कि अयोध्या में प्रस्तावित श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण जनता के आर्थिक सहयोग से पूर्ण होगा. मकर संक्रांति से निधि संकलन अभियान शरू हो रहा है. श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण और निधि संकलन के बारे में जानकारी देने के लिये पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया था.
उन्होंने कहा कि अयोध्या की लड़ाई भगवान श्री राम की जन्मभूमि फिर से प्राप्त करने के लिये थी. समाज उस स्थान को भगवान की जन्मभूमि मानता है. वहां पहले मंदिर था. विदेशी आक्रांताओं ने मंदिर तोड़ा, यह राष्ट्र का अपमान था. इस अपमान का परिमार्जन करने के लिए हमने इस स्थान को वापस लिया. यह आंदोलन देश के सम्मान की रक्षा का आंदोलन था. इसके लिये समाज ने ५०० वर्षों तक संघर्ष किया. अंततः समाज की भावनाओं को सबने समझा. श्री राम जन्मभूमि मंदिर से जुड़ी इतिहास की सच्चाइयों को सर्वोच्च अदालत ने स्वीकार किया और भारत सरकार को निर्देश दिया कि वे राम जन्मभूमि के लिए एक ट्रस्ट का गठन करे, सरकार ने आदेश का पालन किया.
उन्होंने कहा कि पहले मंदिर का प्रारूप थोड़ा छोटा था. बाद में सोचकर पर्याप्त जमीन को देखकर प्रारूप बड़ा किया गया है. उसके अनुसार अन्य सारी तैयारियां हुई हैं. मंदिर के निर्माण की तैयारी चल रही है. मिट्टी का परीक्षण हुआ है, गर्भगृह के पश्चिम में सरयू जल का प्रवाह, धरती के नीचे भुरभुरी बालू, ये वहां की भौगोलिक अवस्था है.
सभी प्रकार के अनुबंध हो गए हैं. मंदिर के वास्तु का दायित्व अहमदाबाद के चंद्रकांत भाई सोमपुरा के पास है, वे इस मंदिर के प्रकल्प से वर्ष १९८६ से ही जुड़े हैं. सोमपुरा जी के दादा जी ने सोमनाथ मंदिर का निर्माण किया था. उन्होंने स्वामी नारायण परंपरा के अनेक मंदिर बनाए है. पत्थरों से मंदिरों का निर्माण करना यह उनकी विशेषता है.
भारत वर्ष की वर्तमान पीढ़ी को इस मंदिर के इतिहास से अवगत कराने की योजना बनी है. विचार किया है कि देश की कम से कम आधी आबादी को श्री राम जन्मभूमि मंदिर की ऐतिहासिकता से अवगत कराया जाए. इसके लिए घर-घर जाकर संपर्क करेंगे, देश का कोई कोना छोड़ा नहीं जाएगा, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, अंडमान निकोबार, कच्छ के रण से पर्वतीय क्षेत्र सभी कोनों तक जाएंगे. समाज को राम जन्मभूमि के बारे में पढ़ने के लिए साहित्य दिया जाएगा.
हमारी इच्छा है कि जन्मभूमि को प्राप्त करने के लिये लाखों भक्तों ने कष्ट सहे, सहयोग किया, उसी प्रकार मंदिर करोड़ों लोगों के स्वैच्छिक सहयोग से बने. स्वाभाविक है जब जनसंपर्क होगा तो लाखों कार्यकर्ता गांव और मोहल्लों में जाएंगे. समाज स्वेच्छा से कुछ न कुछ सहयोग करेगा. भगवान के कार्य में धन बाधा नहीं हो सकता, समाज का समर्पण कार्यकर्ता स्वीकार करेंगे.
चंपत राय जी ने कहा कि आर्थिक विषय में पारदर्शिता बहुत आवश्यक है. पारदर्शिता बनाए रखने के लिए दस रुपया, सौ रुपया, एक हज़ार रुपया के कूपन व रसीदें छापी हैं. समाज जैसा देगा, उसी के अनुरूप कार्यकर्ता पारदर्शिता के लिए कूपन या रसीद देंगे. करोड़ों घरों में भगवान के मंदिर का चित्र पहुंचेगा. जनसंपर्क का यह कार्य मकर संक्रांति से प्रारंभ करेंगे और माघ पूर्णिमा तक पूर्ण होगा. लोगों ने अभियान से पहले ही सहयोग देना शुरू किया है, बैंक खाते में प्रतिदिन 1000 से 1200 ट्रांजेक्शन हो रहे हैं.