पटना (विसंकें). जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र दिल्ली के निदेशक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख अरुण कुमार जी ने कहा कि जम्मू कश्मीर की समस्या को राजनैतिक चश्मे से देखा जाना घातक है. देश के विभाजन के समय में जम्मू कश्मीर का गठन एक विशेष परिस्थिति में हुआ था. वहां के संवैधानिक एवं विधिक स्थिति पर पारदर्शी तरीके से चिंतन करने की जरूरत है.
वह जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र तथा चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय पटना द्वारा आयोजित एक दिवसीय संविमर्श कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. मंगलवार (21 अप्रैल) को चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के सभागार कक्ष में कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
‘जम्मू कश्मीर की संवैधानिक एवं विधिक स्थिति’ विषयक राष्ट्रीय संविमर्श को संबोधित करते अरूण जी ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों का दुर्भाग्य है कि उनके दर्द को किसी ने सही ढंग से टटोलना उचित नहीं समझा. आजादी के बाद जो भी सरकारें आईं, वे वहां की समस्या को राजनैतिक चश्मे से देखती रहीं. सरकारों के रवैये ने समस्या को और उलझा दिया. अनुच्छेद 370 पर एक व्यापक बहस की आवश्यकता है. वहां गिलगित, बालतिस्तान और लद्दाख पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. जम्मू और कश्मीर पर यदि सही, सकारात्मक एवं पारदर्शी तरीके से विचार किया जाये तो इस राज्य में काफी संभावनाएं उभर कर सामने आयेंगी. वहां के लोग शांतिप्रिय हैं, हिंसा से दूर रहकर अपने काम में लगने वाले लोग हैं. कुछ प्रखंडों में ही अलगाववादी गुट सक्रिय हैं, जिसे आमजन का समर्थन प्राप्त नहीं है.
कार्यक्रम का विषय प्रवेश कराते हुए जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र बिहार प्रदेश सचिव डॉ गिरीश गौरव ने कहा कि सामान्य व्यक्ति जम्मू कश्मीर को मीडिया की नजर से देखता है. अध्ययन केंद्र का स्पष्ट मानना है कि जम्मू कश्मीर को समझने की जरूरत है. जम्मू कश्मीरअध्ययन केंद्र लगातार वहां की स्थिति का विभिन्न पहलुओं से अध्ययन कर रहा है. बिहार में कार्यक्रम का उद्देश्य है कि जम्मू कश्मीर को आम व्यक्ति समझे और उस पर अपनी सही राय बनाये.
कार्यक्रम की अध्यक्षता चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय पटना के कुलपति डॉ ए लक्ष्मीनाथ ने जम्मू कश्मीर की संवैधानिक एवं विधिक स्थिति पर व्यापक चर्चा की. कार्यक्रम में प्रख्यात भूगोल वक्ता डॉ सुदिप्तो अधिकारी, उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली के अधिवक्ता अनिरूद्ध राजपूत, एएन सिन्हा सामाजिक अध्ययन एवं शोध संस्थान पटना के सह प्राध्यापक डॉ सुधीर कुमार, जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र पटना के अध्यक्ष एवं एएन सिन्हा सामाजिक अध्ययन एवं शोध संस्थान के प्राध्यापक डॉ अजय कुमार झा इत्यादि ने अपने विचार रखे.