वि.सं. केंद्र, गुजरात – डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति-राजकोट तथा सामाजिक समरसता मंच-राजकोट द्वारा डॉ. आंबेडकरजी की जन्म जयंती के अवसर पर राजकोट, गुजरात में “ डॉ. हेडगेवारजी तथा डॉ. आम्बेडकरजी समरसता के परिपेक्ष्य मे” विषय पर आयोजित कार्यक्रम में उद्बोधन करते हुए श्री सुनिल भाई मेहता (पश्चिम क्षेत्र कार्यवाह, रा.स्व.संघ) ने कहाँ कि यह वर्ष दो महानुभावो डॉ. हेडगेवारजी तथा डॉ. भीमराव आंबेडकरजी का 125वी जन्म जयंती वर्ष है.
स्वतंत्रता के इतने वर्षो पश्चात भी समाज जात-पात में विभाजित है. हमारे समाज में छोटे-छोटे सम्प्रदायों में कई बड़े नेता हुए लेकिन उनका लाभ संपूर्ण राष्ट्र को नहीं मिलता. डॉ. आंबेडकरजी के साथ भी यही हुआ. दलित समाज के उत्थान के लिए संघर्ष एवं देश का संविधान निर्माण इन दो ही बातों से डॉ. आंबेडकर का मूल्यांकन करना ठीक नहीं हैं. बाबासाहेब के पास देश कि हरेक समस्या का चिंतन तथा समस्या का समाधान भी था.
देश कि महिलाओ का अधिकार, शिक्षण, विदेश नीति, रक्षा नीति, ईसाइओ तथा मुस्लिम विषय पर उन्होंनेदीर्घ चिंतन किया एवं इन विषयो पर उन्होंने उपयुक्त दिशा भी दी. परन्तु हमारा दुर्भाग्य है कि हमने एक महान व्यक्तित्व को छोटे क्षेत्र में सीमित कर दिया. डॉ. आंबेडकरजी का जन्म महार जाती में हुआ था. जीवन मे उन्होंने धिक्कार, छुआ-छूत, अपमान सहन किया. डॉ. हेडगेवारजी भी गरीब परिवार से थे. उन्होंने भी खुब संघर्ष किया.
अम्बेडकरजी विद्वान, लेखक एवं विचारक थे उनका व्यक्तित्व विशाल था परन्तु डॉ. हेडगेवारजी का व्यक्तित्व उनसे भिन्न था. डॉ. हेडगेवारजी देश की स्वतंत्रता के संघर्ष में सक्रीय रहे. डॉ. आंबेडकर और डॉ. हेडगेवार दोनों दरिद्रता मे संघर्ष कर कार्य किया, दोनों सामाजिक समरसता के लिए काम करते थे परन्तु दोनों के प्रयोग अलग-अलग थे लेकिन उदेश्य एक ही था ‘ देश को सशक्त बनाना’. आम्बेडकरजी उग्रता से कार्य करते थे हेडगेवारजी शांत चित्त से देश निर्माण का कार्य करते थे. डॉ. हेडगेवारजी को आज भी समाज का एक बड़ा वर्ग नहीं पहचानता क्योकि वो प्रसिद्धि परांगमुखता उनका गुण था.
डॉ. आम्बेडकरजी ने अनुसंधान निबंध लिखकर डॉक्टरेट की पदवी प्राप्त की. आम्बेडकरजी जब वडोदरा में नौकरी करते थे उस समय उनका चपरासी ब्राह्मण था जो फाइल फेंककर दिया करता था, स्पर्श ना हो जाय इस बात का वह ध्यान रखता था. आम्बेकरजी को कोई मकान किराये पर नहीं देता था, उनके मकान पर हमला भी हुआ था जिस कारण डॉ. आम्बेडकरजी को पूरी रात फुटपाथ पर काटनी पड़ी थी. देशवासी महान विभूति की कद्र करने की जगह स्पर्शता-अस्पर्शता मे डूबे हुए थे.
डॉ. आम्बेडकरजी को कदम-कदम पर सहनी पड़ी अवहेलना की प्रतिक्रिया आना स्वाभाविक ही है. उन्होंने हिन्दू धर्म की कुरीतियो पर सीधा प्रहार किया. धर्म की आवश्यकता है ऐसा डॉ. आम्बेडकरजी का मानना था परंतु हिन्दुओ के तत्वज्ञान एवं व्यवहार के बीच जो खाई उत्त्पन हो गई है उसका अनुभव डॉ. आम्बेडकरजी को हुआ. उन्होंने कुरुढीओ पर प्रहार किया तथा दलितों को जागृत एवं शिक्षित करने का प्रयत्न किया. तालाब का पानी लेने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था. मंदिर में जाने के लिए पत्थर लाठिया खानी पड़े यह दुर्भाग्य ही है. 6 वर्ष तक संघर्ष के बाद भी डॉ. आम्बेडकरजी एकरसता पाने में सफल नहीं हुए. दलित वर्ग भी निर्बल विचारो से पीड़ित था उसमे से इन्हें बाहर लाना होगा यह डॉ. आम्बेडकरजी के ध्यान मे आया.
डॉ. हेडगेवारजी ने भी पूरा जीवन राष्ट्र कार्य में अर्पण कर दिया उनके सामने भी समाज की विचित्रता, अनेक संप्रदाय, अनेक विचार, अनेक पद्धतिया थी जिसमे से हिन्दू संगठन मिलना मुश्किल था. तब डॉ. हेडगेवारजी ने सभी भारत माता की संतान है यही विचार लेकर रा.स्व.संघ का प्रारंभ उन्होंने किया. उन्होंने कहा सभी समाज के घटक है, सभी का योग्य विकास तथा सभी को एकसमान अवसर मिलना चाहिए यह महत्वपूर्ण है. एक भारत माता की संतान होने के कारण संघ में अस्पर्शता का कोई स्थान नहीं है. गांधीजी ने वर्धा के शिविर में यह अनुभव किया. डॉ. आम्बेडकर पुणे संघ शिक्षावर्ग मे आये थे तथा संघ कर समय-समय पर परिचय प्राप्त करते रहते थे.
बौद्ध धर्म मे अपनाते समय उनके विचार थे कि इस्लाम या ईसाइ पंथ का स्वीकार नहीं करुगा परंतु इस धरती के साथ जुड़े बौद्ध धर्म का स्वीकार कर उन्होंने राष्ट्र को प्राधान्य देकर राष्ट्र जीवन श्रेष्ठ माना. संघ संपूर्ण समाज से वैमनस्य दूर कर समाज को संगठित करने के लिए प्रयत्नशील है. डॉ. आम्बेडकर के प्रयासों को संघ ने सफल किये ऐसे कई उदाहरण है. देशभर में संघकार्य द्वारा हिन्दू समाज कि कुरीतियों को दूर कर शक्तिशाली संगठन निर्माण करने के प्रयत्न हो रहे है.
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. आम्बेडकरजी एवं डॉ. हेडगेवारजी को पुष्पांजलि तथा दीप प्रजव्लन द्वारा किया गया. इस अवसर पर श्री सुनिल भाई मेहता के उपरांत, श्री मुकेश भाई मलकान (प्रांत संघचालक, रा.स्व.संघ,गुजरात), डॉ. हेडगेवार सेवा समिति से श्री प्रवीण भाईढोलकिया, समरसता मंच से श्री राजा भाई काथड, श्री हमीर भाई चावड़ा सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे.