नई दिल्ली. विश्व हिन्दू परिषद देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त लोगों पर पहली बार सख्त कार्यवाही करने के लिए वर्तमान केंद्र सरकार का अभिनन्दन करती है और विश्वास करती है कि देशद्रोहियों के साथ खड़े राजनीतिक दलों के दबाव की परवाह किये बिना दोषियों को सख्त सजा अवश्य दिलवाएंगे. विहिप की सभी राजनीतिक दलों से अपील है कि वे विरोध की राजनीति को देश तोड़ने की दिशा में न ले जाएं. देश को बर्बाद कर वे आबाद नहीं हो सकते. देशद्रोही किसी के सगे नहीं होते, कांग्रेस के इतिहास से यह सबक सीखना चाहिए.
जवाहरलाल नेहरु विवि में देश विरोधी प्रदर्शन व उसमें लगे नारों की घटना ने कई लोगों के चेहरों पर लगे पर्दे को हटा दिया है. अब देश की जनता के समक्ष स्पष्ट हो गया है कि कौन देशद्रोही है, कौन उनके समर्थक हैं और कौन देशद्रोहियों का विरोधी है. इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद के घटनाक्रमों से यह भी स्पष्ट हो गया है कि यह घटना जेहादियों व वामपंथियों के नापाक गठबंधन का परिणाम है. देशद्रोही नारों का विरोध न करते हुए देशद्रोह के आरोपी की गिरफ्तारी पर जेएनयू में जाकर देशद्रोहियों को समर्थन देकर राहुल गांधी ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि सोनिया – राहुल की कांग्रेस महात्मा गांधी की कांग्रेस की विपरीत दिशा में जा रही है. महात्मा गांधी की कांग्रेस ने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, परन्तु आज की कांग्रेस देशद्रोहियों के लिए लड़ाई लड़ रही है.
यह सबको मालूम है कि भारत के वामपंथियों का इतिहास देशद्रोह का ही इतिहास रहा है. असहयोग आन्दोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन का विरोध किया ही था, देश के स्वतंत्रता सेनानियों के विरुद्ध मुखबिरी करने में इनके कई कार्यकर्ता संलिप्त रहे हैं. जब सारा देश भारत विभाजन का विरोध कर रहा था, तब पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा होना पसंद किया था. वर्ष 1962 में भारत पर चीन हमले में भी चीन के साथ खड़े होकर अपनी निष्ठा स्पष्ट कर दी थी. महात्मा गांधी की दुर्भाग्यपूर्ण हत्या पर अब शोर मचाने वालों ने उनको ” बिड़ला का दलाल ” तथा अन्य गालियों से अपमानित किया था. भारत में चल रहे सभी प्रकार के आतंकों का समर्थन करने वालों ने अब भी वही किया है जो वे करते रहे हैं. केरल और बंगाल में पचासियों राजनीतिक विरोधियों की निर्मम हत्या करने वाले कौन सी सहिष्णुता की बात करते हैं?
स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस को महात्मा गांधी क्यों विसर्जित करना चाहते थे, यह अब स्पष्ट हो गया है. भारत में चले हर प्रकार के आतंकवाद को कांग्रेस ने या तो प्रेरणा दी है या उसका समर्थन किया है. पंजाब में आतंकवाद के जनक भिंडरावाला को किसने खड़ा किया था? जब इनका निर्मित जिन्न इनके हाथ से निकल गया, तभी इनको कार्यवाही करनी पड़ी. लिट्टे को हथियारों का प्रशिक्षण व हथियार देने का काम किसने किया था? कश्मीर घाटी में आतंकियों को पनपते हुए मूक दर्शक की तरह कौन देखता रहा? भारत में बंगलादेशी घुसपैठियों को न केवल आने दिया, अपितु उनके राशन कार्ड व वोट बनवा कर उनको सब प्रकार की देशविरोधी गतिविधियों को करने के लिए भूमि तैयार की थी. सिमी पर जब प्रतिबन्ध लगा तो संसद के अन्दर से लेकर लखनऊ की सड़कों तक इनके नेताओं ने ही उग्र प्रदर्शन किये थे. अदालत में भी इनके ही नेता सिमी के साथ खड़े थे. बटाला हाउस मुठभेड़ हो या मुंबई का हमला, इन लोगों बलिदानी सैनिकों की शहादत को अपमानित कर आतंकियों के साथ खड़ा होना पसंद किया था. इशरत के मामले में ताजा खुलासे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ये अपने स्वार्थ के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ किसी भी सीमा तक खिलवाड़ कर सकते है. जेएनयू के अलावा ऐसे पचासियों कांड गिनवाये जा सकते हैं, जिनमें राहुल और सोनिया देशद्रोहियों के साथ खड़े हुए दिखाई देते हैं. विहिप कांग्रेस को चेतावनी देती है कि अपने अन्दर झांककर अपनी गलतियों को ठीक करने का उनके लिए यह अंतिम अवसर है. उन्हें इस अवसर का उपयोग अवश्य करना चाहिए. कहीं ऐसा न हो कि देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी केवल इतिहास तक सिमट कर रह जाये.
डॉ. सुरेंद्र जैन
अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री,