जोधपुर (विसंकें). आर्थिक गुलामी से भारत को आजाद कराने के लिए देश की आर्थिक नीतियां स्वदेशी अनुरूप ही होनी चाहिए. 1992 में लाया गया आर्थिक उदारीकरण सिर्फ और सिर्फ अमेरिकी पूंजीवादी आर्थिक नीतियों पर आधारित था. वर्तमान में इन नीतियों की समीक्षा करने की आवश्यकता है. जिस लक्ष्य को लेकर इन नीतियों को लागू किया गया, उस लक्ष्य को भारत ने वर्षो पहले प्राप्त कर लेना चाहिए था वो अभी तक प्राप्त नहीं किया है. ऐसी स्थिति में इन नीतियों पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है. हमारी आर्थिक नीतियों की लाईन स्वदेशी आधारित अर्थव्यवस्था से होनी चाहिए. अर्थशास्त्र का विकास या इसकी अवधारणाएं वर्तमान स्वरूप में केवल विदेशी अर्थशास्त्रियों के आधार पर देखी जा रही है. वहीं हमारी स्वदेशी कौटिल्य के अर्थशास्त्र से लेकर वर्तमान के हमारे राष्ट्रचिन्तक अर्थशास्त्रियों तक की सोच को ही आगे बढाने की आवश्यकता है. स्वदेशी जागरण मंच के उत्तर भारत के संगठक सतीश कुमार जोधपुर में आयोजित मंच के जोधपुर महानगर कार्यकर्ता आमुखीकरण कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे.
कार्यक्रम की जानकारी देते हुए मंच के महानगर संयोजक अनिल माहेश्वरी ने बताया कि स्वदेशी जागरण मंच के कार्यकर्ताओं का आमुखीकरण कार्यक्रम मंगलवार को आयोजित किया गया. स्वदेशी जागरण मंच द्वारा वर्तमान में जी.एम. फसलों के खुले परीक्षण का विरोध ई-कॉमर्स में विदेशी कम्पनियों की खुली लूट विरोध में चलाये जा रहे राष्ट्रव्यापी अभियान की जानकारी दी. कार्यक्रम में स्थानीय ईकाई द्वारा किये जाने वाले आगामी आर्थिक कार्यक्रम की रचना को भी अन्तिम रूप दिया गया.
महानगर सम्पर्क प्रमुख जितेन्द्र मेहरा ने बताया कि कार्यक्रम में स्वदेशी जागरण मंच की स्थानीय ईकाई ने जोधपुर शहर में राखी व्यवसायों के साथ मिल कर राखी व्यवसाय पर चीनी राखियों की पड़ रही मार से बचने के लिए राज्य व केन्द्रीय सरकार के साथ नीति बनाने के लिए कार्य किया जायेगा. साथ ही मंच जोधपुर में चीनी राखियों का उपयोग न करने के लिए आमजन में जन-जागृति लाने के लिए विभिन्न संगठनों व मिडिया के सहयोग से विशेष अभियान चलायेगा. कार्यक्रम में प्रदेश सह-संयोजक धर्मेन्द्र दुबे सहित अन्य गणमान्यजन व कार्यकर्ता उपस्थित थे.