नई दिल्ली (इंविसंके). लघु उद्योग भारती के संस्थापक सदस्य व प्रसिद्ध समाजसेवी स्वर्गीय विश्वामित्र बहल के नाम पर पटेल नगर मेट्रो स्टेशन से पूर्वी पटेल नगर जाने वाले मुख्य मार्ग का नामकरण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्याजी जोशी, सांसद मीनाक्षी लेखी द्वारा 11 अगस्त को किया गया.
सरकार्यवाह जी ने इस अवसर पर कहा कि सभी के सहयोग व मार्गदर्शन से इस मार्ग का नामकरण हुआ है. आने-जाने वाले लोग इस नाम को देखकर प्रेरणा प्राप्त करेंगे तथा पूछेंगे कि यह कौन है, जिसके नाम से यह मार्ग बना है. जनता में प्रसिद्ध नाम विश्वमित्र जी का शायद नहीं होगा, लेकिन अपने संघ जीवन में, सामाजिक जीवन में उनका स्थान सब जानते हैं. लेकिन वह कोई राजनीतिक नेता नहीं थे, बहुत ही अच्छे भाषण करने वाले भी नहीं थे, जिनसे लोग जाने जाते हैं, जिन कारणों से लोग समाज में जाने जाते हैं, इस प्रकार का उनका व्यक्तित्व नहीं था, पर यहां पर बैठे हुए और जो यहां नहीं आए हैं, ऐसे सैकड़ों लोगों के अन्तःकरण में जिसका स्थान है उनका नाम है विश्वमित्र.
भय्या जी ने कहा कि उनका सामान्य परिचय यही होगा कि वह संघ के एक स्वयंसेवक हैं. उनका संघ से परिचय जिस कालखण्ड में आया, वह कालखण्ड बड़ा विचित्र है. वर्ष 1945-46 की बात करते हैं, उस समय की घटनाओं को अगर नजरों के सामने लाते हैं, उस समय अत्याचार और हिंसा का जो माहौल, लाखों की संख्या में पाकिस्तान से विस्थापित हुए लोग, उसमें हिन्दू समाज को साहस देने वाले लोगों का अभाव, आज हमें सभी प्रकार का सहयोग करने के लिए समाज तत्पर है, लेकिन उस समय ऐसा नहीं था. उसी कालखण्ड में, युवावस्था में विश्वमित्र जी ने संघ में प्रवेश किया.
आज जिस मार्ग का नामकरण उनके नाम पर हुआ है, उस मार्ग पर चलने वाले स्वयंसेवकों को, कार्यकर्ताओं को जब यह पता चलेगा कि यह जो संघ के स्वयंसेवक के नाम का बोर्ड लगा हुआ है तो उसे भी लगेगा कि हां कुछ प्रेरणा देना वाला व्यक्तित्व उनका रहा होगा. लघु उद्योग भारती के कार्यकर्ता जो यहां बैठे हुए हैं वह जानते हैं, विश्वामित्र जी लघु उद्योग भारती के संस्थापक सदस्य थे, इस प्रकार नये-नये क्षेत्रों में काम करना बहुत कठिन होता है. वो उन्होंने लघु उद्योग भारती की स्थापना करके दिखाया. लघु उद्योग भारती उनकी रखी गई नींव के कारण ही आज अन्य संस्थाओं के लिए मार्गदर्शक बन गई है. क्योंकि इसका बीज इतना सशक्त है और यह बीजारोपण विश्वामित्र जी जैसे व्यक्तित्व के कारण हुआ है. ध्येय के प्रति समर्पित विश्वास के साथ चलने की प्रेरणा विश्वामित्र जी के जीवन से मिलती है. आज जिस मार्ग का उद्घाटन हुआ है उस मार्ग से उनकी गरिमा बढ़ेगी ऐसा नहीं है, वह मार्ग तो उन्होंने पहले से ही बनाया है, उस मार्ग पर वह स्वयं चले हैं. उनका अनुसरण करते हुए हम भी उसी मार्ग पर चलें. एक कृत्रिम रूप में यह मार्ग भी बना हुआ है तो इस मार्ग से आने-जाने वाले लोगों को निश्चित रूप से एक अलग प्रकार की अनुभूति मिलती रहेगी, ऐसा विश्वास है. इस अवसर पर स्वर्गीय विश्वामित्र जी की धर्मपत्नी, पुत्र सुनील बहल जी, प्रेमजी गोयल, कुलभूषण आहूजा जी, भारत जी, पूर्णिमा विद्यार्थी व बड़ी संख्या में लघु उद्योग भारती के कार्यकर्ता व स्थानीय निवासी उपस्थित थे.