नागपुर, दि. 22 मई
पत्रकारिता के क्षेत्र में कुछ वरिष्ठ पत्रकार भ्रष्टाचार में लिप्त है. इसलिए पत्रकारिता क्षेत्र के लिए भ्रष्टाचार प्रतिबंधक कानून बनाने की आवश्यकता है, ऐसा मत सांसद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने नागपुर विश्व संवाद केन्द्र द्वारा चिटणवीस सेंटर सिव्हिल लाईन्स में आयोजित ‘देवर्षि नारद पुरस्कार वितरण समारोह’ में बोलते समय व्यक्त किया.
भूतपूर्व सांसद बनवारीलाल पुरोहित की अध्यक्षता में संपन्न हुए इस कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचारप्रमुख जे. नंदकुमारजी थे. इस वर्ष का देवर्षि नारद पुरस्कार ‘तरुण भारत’ समाचारपत्र के कार्यकारी संपादक बबन वाळके तथा नारद युवा पुरस्कार झी 24 तास के अकोला वाहिनी के प्रतिनिधि जयेश जगड को अतिथियों के हस्ते प्रदान किया गया.
पत्रकारिता के क्षेत्र में अवांछित तत्त्वों के साथ ही अयोग्य व्यक्तियों का प्रवेश भी चिंता का विषय है इसलिए पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य होना चाहिए, ऐसा मत व्यक्त करते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा की मैं इस संदर्भ में सरकार को सुझाव दूंगा.
टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला पायोनियर के पत्रकार गोपीकृष्ण की खोजी पत्रकारिता के कारण सामने आया. उसी रिपोर्ट के आधार पर मैंने यह मामला न्यायालय में आखिल किया इसका भी उल्लेख सुब्रमण्यम स्वामी ने किया.
आज के जानेमाने पत्रकारों में बहुतेरे कॉन्व्हेंट में पढे होने के कारण मॅकॉले की शिक्षा पद्धति के शिकार होते है. उन्हें इस देश की संस्कृति एवं इतिहास की न सही जानकारी होती है और न ही उनका उससे लगाव होता है इस कारण वे समाज का सही मार्गदर्शन नहीं कर सकते, इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि, अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा भडकाऊ या राजनीति का है ही नहीं. नरसिंहराव सरकार के समय ही न्यायालय में दाखिल शपथपत्र में कहा गया है कि, वहाँ मंदिर होने के सबूत मिले तो वह स्थान हिंदुओं देना होगा. संशोधन में वहाँ मंदिर होने के सबूत मिले है. लेकिन आज जब भी यह मुद्दा उठाया जाता है तो आलोचना होती है की, चुनावों को ध्यान में रखकर, राजनीतिक लाभ उठाने के लिए यह मुद्दा उठाया जा रहा है. आक्षेप लिया जाता है की, 2017 में उत्तर प्रदेश के चुनाव है इसलिए इसकी चर्चा की जाती है. 2017 के बाद यह मुद्दा उठाया तो आक्षेप होगा की, 2019 के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ उठाने के लिए यह मुद्दा उठाया जा रहा है. देश में चुनाव तो होते ही रहते है; तो क्या इस मुद्दे की चर्चा ही नहीं होनी चाहिए?
इस देश के इतिहास के संदर्भ में भी ऐसी ही भ्रामक स्थिति है, ऐसा बताते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि, सैंकड़ों वर्षों के मुगलों और अंग्रेजों (ईसाइयों) के राज के बाद भी विजयनगरम्, चोल, ओहम्, महाराणा प्रताप, गुरुगोविंदसिंहजी, शिवाजी, रानी चेन्नमा के संघर्ष के कारण इस देश में हिंदूओं की संख्या कायम रही, यह देश हिंदुओं का बना रहा. लेकिन, आज इस देश के इतिहास में मुगल और अंग्रेजों का इतिहास विस्तार से सिखाया जाता है और हिंदू राजाओं का इतिहास दो-चार परिच्छेदों में समाप्त हो जाता है. यह सरकार इसे बदलने जा रही है.
पत्रकारिता के संदर्भ में विचार स्वतंत्रता की चर्चा करते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि, संविधान में दी गई अभिव्यक्ति स्वतंत्रता अर्निबंध नहीं है. व्यक्ति की मानहानि या देश की अखंडता को बाधित करना या ऐसा प्रयास करना अपराध है. इसलिए जेएनयु में दिये गये देश को तोडने के नारे अपराध की श्रेणी में आते है.
प्रमुख अतिथि जे नंदकुमारजी ने कहा कि, समाज तक सही जानकारी पहुँचाना पत्रकारों का काम है. पत्रकारों ने स्वयं को बुराईयों से दूर रखकर समाज की सेवा करना अपेक्षित है. लेकिन कुछ पत्रकार अज्ञान, गलत विचारों या आर्थिक प्रलोभनों में फँसकर बौद्धिक कर्करोग फैलाने का काम करते है.
भूतपूर्व सांसद बनवारीलाल पुरोहित ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि, आज पत्रकारिता उद्योग की तकनीक में बहुत विकास हुआ है. लेकिन, पत्रकारिता का स्तर गिरा है. इस क्षेत्र में गंदे लोगों को स्थान नहीं मिलना चाहिए.
इसी कार्यक्रम में विश्व संवाद केन्द्र के सह प्रमुख प्रसाद बर्वे लिखित ‘देवर्षि नारद : जीवन व कार्य’ पुस्तक का प्रकाशन अतिथियों के हस्ते किया गया.
अतिथियों का स्वागत रा. स्व. संघ के विदर्भ प्रचार प्रमुख अतुलजी पिंगळे, समीर गौतम ने किया. प्रास्ताविक विश्व संवाद केन्द्र के प्रमुख सुधीर पाठक, संचालन नीलय चौथाईवाले और आभार प्रदर्शन प्रसाद बर्वे ने किया.