1965 में पाकिस्तान ने भारत के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया. उसी संग्राम के दरम्यान पंजाब के तरन-तारण जिले के छोटे से कस्बे खेम-करन में भारत और पाकिस्तानी आर्मी के बीच व्यापक पैमाने पर टैंक युद्ध हुआ जिसमे भारत ने अंततः पाकिस्तान को बुरी तरह पराजित करते हुए उसके लगभग 100 टैंकों को या तो ख़त्म कर दिया या कब्जे में ले लिया. यह युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे भीषण वार के रूप में जाना जाता है.
भारत के पास उस समय आधुनिकता के नाम patton के समकक्ष केवल centuriyan टैंक ही थे. जो कि अपर्याप्त थे. केवल पुराने और कमजोर शेर्मन और AMX -13 के साथ भारतीय फ़ौज दुश्मन का मुंह तोड़ जवाब देने के लिए तैयार थी. भारतीय सेना ने बहादुरी से लड़ते हुए पाकिस्तान के तथाकथित ‘आयरन मैन’ डिवीजन को खदेड़-खदेड़ कर मारा. वीर अब्दुल हमीद जिन्हें मरणोपरांत सर्वश्रेष्ठ परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया, ने अकेले युद्धभूमि में 7-7 टैंको को अपनी रिकॉइललेस गन से ही ध्वस्त कर दिया.
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मगई नदी के किनारे बसे छोटे से गांव धामपुर के एक बहुत ही गरीब परिवार में 1 जुलाई सन् 1933 को अब्दुल हमीद का जन्म हुआ था. ८- सितम्बर-१९६५ की रात में, पाकिस्तान द्वारा भारत पर हमला करने पर, उस हमले का जवाव देने के लिए भारतीय सेना के जवान उनका मुकाबला करने को खड़े हो गए. वीर अब्दुल हमीद पंजाब के खेमकरण सेक्टर में सेना की अग्रिम पंक्ति में तैनात थे. पाकिस्तान ने उस समय के अपराजेय माने जाने वाले “अमेरिकन पैटन टैंकों” के के साथ, “खेम करन” सेक्टर के “असल उताड़” गाँव पर हमला कर दिया.
भारतीय सैनिक अपनी साधारण “थ्री नॉट थ्री रायफल” और एल.एम्.जी. के साथ पैटन टैंकों का सामना करने लगे. हवलदार वीर अब्दुल हमीद के पास “गन माउनटेड जीप” थी जो पैटन टैंकों के सामने मात्र एक खिलौने के सामान थी. वीर अब्दुल हमीद ने अपनी जीप में बैठ कर अपनी गन से पैटन टैंकों के कमजोर अंगों पर एकदम सटीक निशाना लगाकर एक -एक कर धवस्त करना प्रारम्भ कर दिया. उनको ऐसा करते देख अन्य सैनकों का भी हौसला बढ़ गया और देखते ही देखते पाकिस्तान फ़ौज में भगदड़ मच गई. वीर अब्दुल हमीद ने अपनी “गन माउनटेड जीप” से सात पाकिस्तानी पैटन टैंकों को नष्ट किया था. देखते ही देखते भारत का “असल उताड़” गाँव “पाकिस्तानी पैटन टैंकों” की कब्रगाह बन गया. लेकिन भागते हुए पाकिस्तानियों का पीछा करते “वीर अब्दुल हमीद” की जीप पर एक गोला गिर जाने से वे बुरी तरह से घायल हो गए और वीरगति को प्राप्त हुए.
इस युद्ध में साधारण “गन माउनटेड जीप” के हाथों हुई “पैटन टैंकों” की बर्बादी को देखते हुए अमेरिका में पैटन टैंकों के डिजाइन को लेकर पुन: समीक्षा करनी पड़ी थी. लेकिन वो अमरीकी “पैटन टैंकों” के सामने केवल साधारण “गन माउनटेड जीप” जीप को ही देख कर समीक्षा कर रहे थे, उसको चलाने वाले “वीर अब्दुल हमीद” के हौसले को नहीं देख पा रहे थे.
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