रोहतक (विसंकें). तरुणोदय शिविर के समापन की पूर्व संध्या पर बाबा सत्यनारायण मौर्य द्वारा प्रस्तुत भारत माता की आरती पर शिविरार्थी जमकर झूमे. शिविर में युवा शक्ति को देशभक्ति के गीतों, नारों से बाबा सत्यनारायण मौर्य ने देशभक्ति का ऐसा वातावरण बनाया कि उनकी स्वर लहरियों ने युवाओं में उत्साह भर दिया.
रात्रि कार्यक्रम में बाबा मौर्य ने ऐसा समां बांधा कि युवा शक्ति जोश और उत्साह से भर उठी. बाबा के कैनवास पर चलते हाथ और उनके लबों से निकलने वाले देशभक्ति गीतों ने पंडाल में ऐसा माहौल बना दिया कि हर हाथ से तालियां बज रही थी और राष्ट्र आराधना के स्वर ही सुनाई दे रहे थे.
बाबा के हाथ जब कैनवास पर चलते थे तो देखते ही देखते कभी भारत माता का चित्र तो कभी विवेकानंद व भगत सिंह का चित्र एक मिनट से भी कम समय में उभर आता था. संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार का चित्र बनाकर बताया कि आज भारत की संस्कृति, सभ्यता और परंपरा जीवित है तो डॉ. हेडगेवार के जैसे भारत माता के पुत्रों के त्याग और तपस्या के कारण है. गीत-संगीत के इस ओजपूर्ण कार्यक्रम में बाबा सत्यनारायण मौर्य ने शिविरार्थियों को जहां स्वदेशी अपनाने का पाठ पढ़ाया, वहीं भारतीय संस्कृति पर लव जिहाद के बढ़े खतरे से भी आगाह किया. साथ ही स्व भाषा और अपनी बोली पर गर्व करने के लिए प्रेरित किया.
बाबा मौर्य ने युवाओं में जोश का संचार करते हुए कहा कि भारत ही वह देश है, जहां जन्म देने वाली, दूध देने वाली गाय और जीवनदायिनी गंगा और भरण पोषण करने वाली धरती को मां का दर्जा दिया जाता है. भारत ही वह देश है, जहां वतन पर मिटने वाले अमर संदेश छोडक़र जाते हैं. उन्होंने गीत गाते-गाते हर युवा को शहीद भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस और विवेकानंद जैसे महापुरुषों की राह पर चलने का पाठ भी पढ़ाया.