भारतीय खगोल वैज्ञानिक मेघनाद साहा का खगोल विज्ञान के क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान है.
मेघनाद साहा का जन्म: 6 अक्टूबर 1893, शाओराटोली, ढाका (वर्तमान बांग्लादेश) मे हुआ था.
वास्तव में मेघनाद साहा के तापीय आयनीकरण (थर्मल आयोनाइजेश) के सिद्धांत को खगोल विज्ञान में तारकीय वायुमंडल के जन्म और उसके रासायनिक संगठन की जानकारी का आधार माना जा सकता है. खगोल विज्ञान के क्षेत्र में साहा के कामों का प्रभाव दूरगामी रहा है. बाद में विदेशों में किए गए कई शोध उनके सिद्धातों पर आधारित हैं. साहा समीकरण ने सारी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया और यह समीरकरण तारकीय वायुमंडल के विस्तृत अध्ययन का आधार बना.
साहा समीकरण तारों के रासायनिक संगठन की व्याख्या से संबंधित है. भारतीय कैलेंडर के क्षेत्र में उनके योगदान के बारे में उन्होंने बताया कि साहा देश के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में प्रचलित पंचागों में सुधारों के लिए गठित समिति के अध्यक्ष थे. इन पंचागों में कई विरोधाभास और विभिन्नताएं थी. समिति ने इन विभिन्नताओं को दूर करने की दिशा में काम किया. आज प्रचलित कैलेंडरों का आधार भी यही है.
1920 में उनके सौरवर्ण का आयनीकरण और सूर्य में विद्यमान तत्वों से संबंधित लेख जानी मानी विज्ञान पत्रिका ‘फिलासाफिकल’ में प्रकाशित हुए. इन लेखों ने साहा को पूरी दुनिया में लोकप्रिय बना दिया.
वह इलाहाबाद विविद्यालय में प्राध्यापक थे और इसके बाद कलकत्ता विविद्यालय में विज्ञान फैकल्टी के प्राध्यापक एवं डीन भी रहे.16 फरवरी 1956 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.
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