भारतीय वायु सेना की स्थापना दिवस 8 अक्टूबर, 1932 भारतीय वायु सेना की स्थापना 8 अक्टूबर, 1932 को की गई और 1 अप्रैल 1954 को एयर मार्शल सुब्रोतो मुखर्जी, भारतीय नौसेना के एक संस्थापक सदस्य ने प्रथम भारतीय वायु सेना प्रमुख का कार्यभार संभाला। भारतीय वायुसेना विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायु शक्ति मानी जाती है। कई बार अपना लोहा मनवा चुकी भारतीय वायुसेना हर संकट में अपनी योग्यता और क्षमता के अनुरूप खरी उतरी है।
भारतीय वायु सेना भारतीय सशस्त्र सेनाओं का सबसे नया अंग है। 8 अक्तूबर 1932 को भारतीय विधायिका द्वारा भारतीय वायु सेना विधेयक पारित करने के साथ ही वायु सेना अस्तित्व में आई। पहले स्थापित वायु सेना केंद्र आगरा, पुणे, अंबाला, चंडीगढ़ और बंगलोर में हैं। मार्च 1945 में भारतीय वायु सेना को रॉयल का उपसर्ग दिया गया। यह सम्मान उसे द्वितीय विश्व युद्ध में प्रशंसनीय योगदान के लिए दिया गया था। अगस्त, 1945 में युद्ध की स्थिति समाप्त होने पर रॉयल इंडियन एयर फ़ोर्स में 28,500 कर्मी थे, जिनमें से 1,600 अधिकारी थे।
15 अगस्त 1947 को भारत की आज़ादी के समय रॉयल इंडियन एयर फ़ोर्स की संपत्ति को भारत व पाकिस्तान के बीच विभाजित किया गया। अग्र मोर्चे के 10 स्क्वॉड्रनों में से दो नवनिर्मित रॉयल पाकिस्तान एयर फ़ोर्स को दिए गए। जनवरी1950 में ब्रिटिश राष्ट्रकुल के अंतर्गत भारत के गणतंत्र बनने पर रॉयल उपसर्ग हटा दिया गया। उस समय भारतीय वायु सेना के पास स्पिटफ़ायर, वैंपायर और टेंपेस्ट के छह लड़ाकू स्क्वॉड्रन थे। आने वाले वर्षों में इन स्क्वॉड्रनों की संख्या और बढ़ी। पुराने और घिस चुके वायुयानों को हटा दिया गया और उन्हें आधुनिक व बेहतरीन वायुयानों से बदला गया।
1932 से अब तक भारतीय वायु सेना ने विभिन्न देशों द्वारा निर्मित तथा स्वदेशी विभिन्न प्रकार के वायुयानों को उड़ाया है। भारतीय वायु सेना में पाँच कमानें हैं। पश्चिमी कमान, जिसका मुख्यालय दिल्ली में है, इलाहाबाद में केंद्रीय कमान, शिलांग में पूर्वी कमान, जोधपुर में दक्षिण-पश्चिमी कमान औरतिरुवनंतपुरम में दक्षिणी कमान है। ये पाँचों कमानें अपने प्रशासनिक विभागों की सहायता से स्थायी-विंग स्क्वॉड्रन और अन्य कई भूमि से हवा में मार करने वाली मिसाइल स्क्वॉड्रनों की गतिविधियों पर नियंत्रण रखती हैं।