मंडल व बस्ती एकत्रिकरण में शामिल स्वयंसेवकों से सरसंघचालक का आह्वान
कांगड़ा. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने अगले पांच वर्षों में स्वयंसेवकों से संघ नित्य शाखा की साधना, सेवा के लिए समय बढ़ाने, नए लोगों को जोड़ने और शाखा बढ़ाते हुए अपने आचरण को ओर बेहतर करने का आह्वान किया. उन्होंने कांगड़ा नगर स्थित राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थान के सभागार में आयोजित मंडल व बस्ती एकत्रीकरण कार्यक्रम में आह्वान किया. प्रांत भर में मंडल व बस्ती स्तर पर एकत्रित स्वयंसेवक ऑनलाइन माध्यम से जुड़े थे.
उन्होंने कहा वर्तमान में संघ के प्रति समाज में उत्सुकता है. स्वार्थ से विरोध करने वाले तो मिल सकते हैं, लेकिन मन से संघ का विरोध करने वाला कोई व्यक्ति नहीं है. ऐसे में संघ के कार्य के प्रति वर्तमान में काफी अनुकूलता है. हम अपनी गति बढ़ा भी रहे हैं, और अधिक बढ़ा भी सकते हैं. लेकिन अनुकूलता का एक नुकसान भी होता है कि हम ढीले हो जाते हैं. जिस भारत से पूरे विश्व को आशा है, उस समाज को तैयार करने का हमने जो काम किया था और विश्व गुरूत्व का सपना लेकर हम शाखा में आ रहे हैं, समाज को साथ लेकर हमारे परिश्रम के कारण हमारा देश इसी जीवन में विश्व गुरू बन रहा है, उसे हम देख सकते हैं. इसके कारण जिन लोगों की स्वार्थ की दुकानें बंद हो रही हैं, वे भी केवल अपना अस्तित्व बचाने के लिए नीचे से नीचा काम करने का तैयार हैं. इसलिए सजग होकर अपने प्रयत्नों की मात्रा बढ़ानी होगी. जिसमें सबसे पहली आवश्यकता प्रतिदिन की शाखा है. उसी के भरोसे में हर परिस्थिति को पार कर ध्येय की प्राप्ति करेंगे. हम तो मातृभूमि की सेवा में तिल-तिल जलना चाहते हैं. मोह, आकर्षणों को पास लाने वाली आदतों से दूर रहना है. इसलिए हमें अपनी साधना निरंतर जारी रखनी है. क्योंकि देश में पौने 7 लाख गांव हैं और केवल 60 हजार स्थानों पर शाखाएं हैं. 6 लाख स्थान बाकि हैं.
उन्होंने कहा कि हम ऑनलाइन भाषण तो सुन सकते हैं, लेकिन साधना के लिए तो निरंतर संपर्क रखना होगा. दिन के आठ घंटे खुद के लिए, आठ घंटे परिवार के लिए और आठ घंटे देश और समाज के लिए दें. और अपनी आय का कम से कम एक तिहाई हिस्सा संघ पर भी खर्च करें. जो शाखा में एक घंटा आ रहा है, वह एक घंटा और लगाए. कोई न कोई दायित्व लेकर काम करे. शाखा में आकर संस्कारों की साधना जरूरी है. इसका वातावरण बने, इसके लिए अधिक लोगों ने पूरा समय देकर प्रचारक बनना चाहिए. 2025 को संघ के सौ वर्ष पूरे हो रहे हैं, ऐसे में हमें संघ को 130 करोड़ लोगों को तक पहुंचाना है, जिसके लिए प्रचारकों की आवश्यकता है. विद्यार्थी पढ़ाई पूरी करते ही 2 से 3 वर्ष संघ की योजना से प्रचारक के नाते काम करें, जो परिवार के दायित्व पूरा कर चुके हैं वे भी संघ के लिए समय दें. जिससे हमारा देश जल्द से जल्द परम वैभव पर पहुंच सके यानि भारत विश्व गुरू बन सके. उन्होंने कहा कि संघ काम करना केवल एक्टिविजम नहीं है, संघ की आदतों को जीना पड़ता है.
संघ स्वयंसेवकों के जीवन से बढ़ता है. इसलिए ये ध्यान दें कि संघ में तो हम जाते हैं, लेकिन हम में संघ आ रहा है या नहीं यानि अनुशासन आ रहा है या नहीं. हमें सभी वर्गों के साथ जुड़ना होगा. हमारे व्यक्तिगत, कुटुंब व सामाजिक जीवन में संघ दिखना चाहिए. इसीलिए संघ की पहचान बनी है. आने वाले पांच वर्षों में अपने कार्यों को पराकाष्ठा पर ले जाएं तो हम अपनी भारत माता को विश्व गुरू के पद पर आसीन होते इसी देह व जीवन में देख सकेंगे.
इस अवसर पर कांगड़ा नगर व खंड के निर्धारित 100 स्वयंसेवक एकत्रीकरण में शामिल हुए. जूम लिंक एप के माध्यम से स्वयंसेवकों ने कार्यक्रम में भाग लिया. इसके अतिरिक्त कांगड़ा पॉलिटेक्निक संस्थान में ही प्रबुद्धजनों के लिए गोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें कांगड़ा सहित प्रदेश भर से आए 100 से अधिक प्रबुद्धजनों को सरसंघचालक का उद्बोधन सुनने को मिला.