नई दिल्ली, मार्च 20: दो दिवसीय ऐतिहासिक बौद्ध सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि भारत बौद्ध धर्म का जनक व पालनहार रहा है।
श्रीलंका के नामी बौद्ध प्रमुखों और भारत व तिब्बत के महायान पंथ के प्रमुख बौद्ध भिक्षुओं के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने आज यहां गृह राज्य मंत्री से भेंट की। बौद्ध भिक्षुओं से बातचीत करते हुए रिजिजु ने कहा कि सरकार देश में सभी पुरातत्व स्थलों की देखभाल और मरम्मत सुनिश्चत करेगी।
साथ ही सभी पुरातत्व स्थलों की बौद्ध कि प्राचीन मूर्तियों का एक संग्रहालय बनाया जायगा। दो दिवसीय ऐतिहासिक बौद्ध सम्मेलन में किरेन रिजिजू ने इन सभी बातों का विविरण प्रस्तुत किया।
सम्मेलन के दौरान दो प्राचीन बौद्ध परंपराओं-श्रीलंका की थेरावदा परंपरा और हिमालय व तिब्बत की नालंदा परंपरा का मिलन हुआ। बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षुओं ने राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित दो दिवसीय ऐतिहासिक बौद्ध सम्मेलन में हिस्सा लिया।सम्मेलन आज संपन्न हो गया।
श्रीलंका से आये विभिन्न अध्यायों के तीन महानायकों समेत एक उच्चस्तरीय बौद्ध भिक्षु और धार्मिक नीति निर्धारकों के प्रतिनिधिमंडल ने नालंदा परंपरा के बौद्ध प्रमुखों के साथ ‘विनय पर संवाद’ सत्र में गहन विचार विमर्श किया। नालंदा परंपरा में तिब्बत की निर्वासित सरकार के पूर्व प्रधानमंत्री प्रोफेसर सामधोंग रिनपोचे शामिल थे। श्रीलंकाई प्रतिनिधिमंडल ने धर्मगुरू दलाई लामा से भी अलग से भेंट की।
दो परंपराओं को एक मंच पर लाने वाले इस सम्मेलन का आयोजन 1300 साल बाद भारत में हुआ। इससे पहले सातवीं शताब्दी में हर्षवर्धन काल में ऐसा आयोजन हुआ था। कार्यक्रम का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) ने किया। आईबीसी का मुख्यालय भारत में है। सम्मेलन का संयोजन आईबीसी के श्रीलंका चैप्टर ने किया।
आईबीसी से 39 देशों के 300 से भी ज्यादा बौद्ध संस्थाएं सदस्य के रूप में जुड़े हैं। इसके संरक्षकों में दलाई लामा भी शामिल हैं। भारत सरकार ने भी इसे ‘राष्ट्रीय स्तर की सांस्कृतिक संस्था’ के रूप में मान्यता दी है। आईबीसी का उद्देश्य एक अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान करना है जहां मानवता से जुड़ी सभी मुद्दों पर बौद्धिक दृष्टिकोण से वैश्विक विचार विमर्श किया जा सके।
स्रोत: न्यूज़ भारती हिंदी