स्वामी प्रणवानन्द (14 मई १८९६ – १९४१) का जन्म बंगाल के बाजितपुर गांव में हुआ था जो अब बांग्लादेश में है। उनके बचपन का नाम बिनोद था। बचपन से ही वे गहन चिन्तन करते-करते ध्यान-मग्न हो जाते थे। उन्होने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया।
वे बाबा गंभीरनाथ जी के शिष्य थे। सन् १९१७ में उन्होने भारत सेवाश्रम संघ की स्थापना की। उनके अनुयायी उन्हे भगवान शिव का अवतार मानते हैं। जनवरी, 8 मई सन् 1941 में उनका देहावसान हो गया। उनके जन्मस्थान बाजितपुर में उनकी समाधि है।
श्रीमद् स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज ने सुप्रसिद्ध आध्यात्मिक लोकहितैषी संस्था भारत सेवाश्रम संघ के स्थापना 1917 में की थी. जिसमें संन्यासी और नि:स्वार्थी कार्यकर्ता भ्रातृभाव से कार्य करते हैं। सर्वांगीण राष्ट्रीय उद्धार इसका मुख्य उद्देश्य और संपूर्ण मानवता की नैतिक तथा आध्यात्मिक उन्नति इसका सामान्य लक्ष्य है. यह संयासियों और नि:स्वार्थ कर्मयोगियों की संस्था है जो मानवता की सेवा के लिये समर्पित है। इसका मुख्यालय कोलकाता में है तथा पूरे भारत तथा विश्व में कोई 46 अन्य केन्द्र हैं।
किसी दैवी आपदा, किसी सामाजिक मेले आदि के अवसर पर इसके संयासी कैम्प लगाकर सेवा और सहायता का कार्य आरम्भ कर देते हैं। भारत सेवाश्रम संघ मुम्बई के वासी गांव में कैंसर के रोगियों के लिये नि:शुल्क आवास एवं भोजनादि की व्यवस्था करता है। इसके साथ-साथ भारत सेवाश्रम संघ शिक्षा के प्रसार तथा आदिवासियो एवं वनवासियों के उत्थान के लिये सतत् उद्यमशील है।