अंग्रेजी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार श्री राशिपुरम कृष्णास्वामी नारायणस्वामी अय्यर अर्थात आर.के.नारायण का जन्म 10 अक्टूबर, 1906 को मद्रास में हुआ था। उनके पिता एक विद्यालय में प्रधानाचार्य थे। इसलिए पढ़ने और पढ़ाने का वातावरण उन्हें बचपन से ही मिला। भारत में अत्यधिक लोकप्रिय व्यंग्य चित्र (कार्टून) निर्माता श्री आर.के.लक्ष्मण उनके बड़े भाई थे। अनेक बड़े अंग्रेजी पत्रों में पहले पृष्ठ पर प्रकाशित लक्ष्मण के व्यंग्य चित्र राजनीति और व्यवस्था पर कड़ी चोट करते हैं। इस प्रकार दोनों भाइयों ने साहित्य एवं पत्रकारिता में उच्च स्थान प्राप्त किया। ऐसे उदाहरण प्रायः कम ही देखने में आते हैं।
श्री नारायण ने लेखन तो बचपन से प्रारम्भ कर दिया था; पर 1935 में उनका पहला उपन्यास ‘स्वामी एण्ड फ्रेंड’ प्रकाशित हुआ। इससे उन्हें लेखन के क्षेत्र में राष्ट्रीय पहचान मिली। उनके 50 साल से अधिक के लेखनकाल में अधिकांश कहानियों की विषयवस्तु स्वामी नामक मुख्य चरित्र के चारों ओर घूमती है। सामान्य जीवन की गाथा और मानवता की पृष्ठभूमि पर आधारित उनके साहित्यिक चरित्र साधारण ग्रामीण या कस्बाई पृष्ठभूमि के भारतीय होते थे। वे अपनी रचनाओं में आधुनिकता को कुछ इस तरह से पिरोते थे कि उससे त्रासद हास्य पैदा होता था, जो पाठकों को गुदगुदाता और कोई सन्देश देकर जाता था।
श्री नारायण का नाम कई बार साहित्य के नोबल पुरस्कार के लिए नामित और चर्चित हुआ; पर वे इसे कभी प्राप्त नहीं कर पाये। सच तो यह है कि नोबेल पुरस्कार के पीछे भी सम्पन्न पश्चिमी देशों की राजनीति हावी रहती है। प्रायः वे ऐसे लेखक को पुरस्कृत करते हैं, जिसके लेखन से उनके हितों की पूर्ति होती हो। अपनी बात को खरी भाषा में कहने वाले श्री नारायण इस कसौटी पर कभी खरे नहीं उतरे। उन्हें विश्व में अंग्रेजी का सर्वाधिक पसन्द किया जाने वाला लेखक माना जाता है। उनकी रचनाओं का दुनिया की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
श्री नारायण को 1968 में उनके उपन्यास ‘द गाइड’ के लिए साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय सम्मान से अलंकृत किया गया। भारत सरकार ने भी उन्हें ‘पद्मभूषण’ और ‘पद्मविभूषण’ से सम्मानित किया। 1989 में साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें राज्यसभा का मानद सदस्य चुना गया। इसके अतिरिक्त उन्हें मैसूर विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी आफ लीड्स ने डॉक्टरेट की मानद उपाधियाँ प्रदान कीं।
उनके उपन्यास द गाइड पर देवानन्द ने हिन्दी और अंग्रेजी में ‘गाइड’ नाम से फिल्म बनायी, जो अत्यधिक लोकप्रिय हुई। उनकी लघुकथाओं पर अभिनेता शंकर नाग ने कविता लंकेश के निर्देशन में ‘मालगुडी डेज’ नामक धारावाहिक बनाया, जो दूरदर्शन के अत्यधिक सफल कार्यक्रमों में से एक माना जाता है। इस पर टिप्पणी करते हुए श्री नारायण ने एक बार कहा था कि इन कहानियों के सभी पात्र कालजयी हैं, जो दुनिया के किसी भी भाग में आसानी से मिल सकते हैं।
धारदार कलम और मधुर मुस्कान के धनी श्री आर.के.नारायण की लेखन यात्रा का प्रारम्भ ‘द हिन्दू’ में प्रकाशित लघुकथाओं से हुआ था। जीवन के विभिन्न पड़ावों से गुजरती हुई यह यात्रा 94 वर्ष की आयु में 13 मई, 2001 को सदा के लिए थम गयी।
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