विहिप के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों का नागरिक अभिनन्दन
नई दिल्ली. 15 अप्रैल को विश्व हिन्दू परिषद के नवनिर्वाचित अंतर्राष्ट्रीय पदाधिकारियों का सार्वजनिक अभिनंदन इंद्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद के तत्वाधान में राजधानी के अनेक धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक व विधिक संगठनों के पदाधिकारियों ने कांस्टिट्यूशन क्लब में आयोजित एक स्वागत समारोह में किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी राघवानंद जी महाराज ने की. विहिप टोली ने वाल्मीकि मंदिर, गुरुद्वारा व जैन मंदिर के दर्शन तथा आर्य समाज मंदिर में हवन कर प्रभु से प्रार्थना की.
नवनिर्वाचित विहिप अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे जी ने कहा कि पूरे देश में सामाजिक समरसता का भाव जगाते हुए, कुरीतियों को दूर हटा, संस्कारवान समाज का निर्माण कर भारतीय मूल के धर्मों को एक करके ही हम हिन्दू संस्कृति का संवर्धन कर सकते हैं. भव्य राम मंदिर का निर्माण, गौ रक्षा और गौरवशाली हिन्दू समाज का एकीकरण ही हमारा लक्ष्य है. सन् 1964 में पूज्य स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज, परम पूज्य श्रीगुरूजी, के.एम. मुंशी जी और बड़ोदरा के जयचंद्र बारिया जी जैसे श्रेष्ठ महापुरुषों के करकमलों द्वारा स्थापित विश्व हिन्दू परिषद ने अब तक हिन्दू हितों के अनगिनत कार्य किए हैं. किन्तु, सेवा, समता, समानता, समरसता, सद्भाव, संस्कार के साथ विधवा, परित्यक्ता व बुजुर्गों की सुरक्षा तथा उनके प्रति सम्मान जैसे अनेक विषयों पर अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है. जिसकी जिम्मेदारी हमारी इस नई टोली के कंधों पर है.
उन्होंने कहा कि संगठन के पदाधिकारियों का चेहरा बदला है, लेकिन उद्देश्य या एजेण्डा नहीं. आज इस सभागार में उपस्थित वरिष्ठ तथा आत्मीय लोगों की उपस्थिति व स्नेह ने मेरे विश्वास को दृढ़ किया है कि हम यह काम पूज्य संतों के आशीर्वाद तथा आप सभी के सहयोग से आसानी से पूरा करने में सफल होंगे.
पूज्य स्वामी राघवानंद जी महाराज ने कहा कि हिन्दू समाज को एक सूत्र में पिरोना वास्तव में सबसे दुष्कर कार्य है. मुझे विश्वास है कि विश्व हिन्दू परिषद के असंख्य कार्यकर्ताओं की अथक मेहनत तथा यह सशक्त नेतृत्व इस चुनौती को स्वीकार कर आगे बढ़ेगा.
स्वागत समारोह में विहिप के अंतर्राष्ट्रीय संगठन महामंत्री विनायक राव देशपाण्डे जी, विहिप के दिनेश चन्द्र जी, अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपतराय जी, सहित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विहिप, बजरंगदल, दुर्गावाहिनी के अनेक पदाधिकारी तथा गणमान्य लोग उपस्थित थे.