संघ को समझना है तो शाखा आयेंः मोहन भागवत
आगरा 2 नवम्बर। आज प्रातःकाल युवा संकल्प शिविर में पं.दीनदयाल उपाध्याय परिसर आस्था सिटी रूनकता मथुरा रोड आगरा पर महानगर आगरा के गणमान्य महानुभावों के मध्य जलपान पर वार्ता कार्यक्रम का आयोजन किया हुआ राष्ट्रीय स्यंवसेवक संघ के सरसंघचालक ने प्रस्तावना में संघ की जानकारी देते हुये बताया कि हम संघ को समझे। संघ के काम को समझें। ,संघ जैसा संगठन दुनिया में कोई नहीं है संघ को समझने की दृष्टि एवं जिज्ञासा चाहिए संघ हिन्दू समाज को संगठित करने का कार्य कर रहा है आपने सभी को शाखा में आने का निमंत्रण दिया। उन्होने कहा कि हिन्दू समाज देश को जैसा रखेगा वैसा ही बनेगा संघ निर्माता डाॅ. हेडगेवार गरीबी में पले बडे कमाने वाला कोई नहीं था। पढ़ाई में सदैव अग्रणी रहे देश हित में सारे कार्य किये कलकत्ता डाक्टरी की पढाई करते हुये क्रान्तिकारीयों व काग्रंेस में रह कर आन्दोलनकारियों के सम्पर्क में रहे।
सम्पूर्ण भारत में समन्वय में काम करने वाली अनुशीलन समिति में सक्रिय रहे साथ ही देश हित में काम करने वाले कार्यक्रम व गणेश उत्सव व लोक प्रबोधन के लिये भाषण करना और सब नेताओं से सम्पर्क करते रहे। भगतसिंह चंद्रशेखर वीरसावरकर आदि सब प्रकार की विचार धाराओं के लोग मित्र बने डाॅ. साहब के मन में विचार आया कि हम गुलाम क्यांे बनें। हमारे साथ सब प्रकार की समृद्वि थी, फिर देश गुलाम क्यो हुआ। हममें क्या दोष है उन्होने समाज में एकता व सुदृढ़ता लाने के लिये अनेक प्रयोग किये और विवधता में एकता का मंत्र दिया। संघ की दैनिक शाखा संघ की कार्य पद्यति की विशेषता है। शाखा के माध्यम से संस्कार सामूहिक रूप से कार्य करने का स्वभाव और भारत माता के सभी पुत्र मेरे सभी सगे भाई है परस्पर आत्मीयता का भाव संघ ने दिया
प्रस्तावना मंे जानकारी दी कि आगामी अप्रैल 2015 में संघ के स्वयंसेवकों द्वारा दिल्ली में विशाल सेवा शिविर लगने वाला है स्वयंसेवकों द्वारा 1,38,000 सेवा कार्य चल रहे है संघ निरंतर प्रभावी हो रहा है समाज के उन्न्यन के लिये कार्य कर रहा है। शाखा में स्वयं प्रत्यक्ष अनुभव करें उन्होनें नागरिकों की जिज्ञसा के समाधान में बताया कि भारत के बिना हिन्दू नहीं, हिन्दू के बिना भारत नहीं। भारत जमीन के टुकडे का नाम नहीं है, भारत यानि जहां भारतीयता वाले लोग रहते हो, भारत की गुण-सम्पदा को हिंदुत्व कहते है। एकता के लिए छोटी छोटी बातों पर संयम रखना होगा संस्कृति सब की एक चाहे, उसे हिन्दू संस्कृति कहें भारतीया संस्कृति अथवा आर्य संस्कृति कोई अन्तर नहीं पडता। सब अपने सत्य पर चलें। दुनिया में हिन्दुत्व की पहचान बन गई है। इस भूमि से नाता मानने वाला समाज इतिहास संस्कृति और परम्परा को मानने वाला समाज है जब कि पाकिस्तान जैसे देश अपनी पहचान खो चुके है अपने देश में अनेक पंत भाषा, सम्प्रदाय प्रांत है फिर भी देश एक है। सत्य क्या है कोई जड की पूजा करता है तो कोई चेतन की, किन्तु जीवन एक है सब अपने अपने हिसाब से साहित्य का निर्माण करते है, संघ की प्रगति के बारे में कहा 121 करोड़ के देश में 40 लाख स्यवंसेवक है और 30 हजार शाखायें है तथा 60 हजार साप्ताहिक मिलन शाखायें हैं।
सम्पूर्ण समाज को संगठित करने के लिए एक करोड स्यंवसेवकों का लक्ष्य संघ के सौ वर्ष पूरे होने तक हो जायेगा। उन्होनें कहा कि पर्व व त्यौहारों को और अधिक सार्थक बनाने का प्रयास किया जाए। संघ भी अपने उत्सव मनाता है। जैसे संक्रातिं उत्सव को समाज की समरसता एकता के लिये मनाते है।
आरक्षण समाज की विशमता मिटाने के लिए है आरक्षण सही प्रकार से लागू नहीं हुआ अपितु राजनीति लागू हो गई है। उन्होने समाधान बताया कि गैरराजनैतिक लोगों के वर्चस्व वाली समिति द्वारा निरीक्षण व सर्वेक्षण किया जाये फिर आकलन हो कि आरक्षण किस को मिला किस को नहीं उन सुझावों से सुप्रीम कोर्ट से मेल खाता है नागरिकों के प्रश्न के उत्तर में कहा कि संघ किसी को आदेश नहीं देता है। जनसंख्या संतुलन के लिए बनाई गई नीति सब पर समान लागू होनी चाहिये हम सब भारत माता के पुत्र है हमारे पूर्वज व संस्कृति एक है एक दूसरे के प्रति कोई भेद नहीं है इसलिय छूआ छूत के लिये कोई स्थान नहीं है। संघ एक ही काम करता है कि समाज का संगठन, जब कि स्यंवसेवक अपनी प्रतिभा क्षमता का प्रयोग कर रहा है।
देश हित की मानसिकता रखने वाला हर व्यक्ति युवा: मोहन भागवत
आगरा। राष्ट्रीय स्यवंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि देश व समाज के हित में कार्य करने की मानसिकता रखने वाला हर उम्र का व्यक्ति युवा है। अस्सी वर्ष की आयु मे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेकर बाबू कुवर सिंह ने यही साबित किया। किनारों को तोड कर उफनती नदी विनाश करती है जब कि तटों के बीच में बहने वाली नदी उपयोगी होती है। अनुशासित चरित्रवान एवं राष्ट्रहित मानसिकता वाले युवा राष्ट्र निर्माण में भूमिका निभा सकते है। श्री भागवत आज सायं शिविर के युवा विद्याथर््िायों को सम्बोधित कर रहे थे उन्होने कहा कि भारत राष्ट्र अति प्राचीन है लेकिन राष्ट्रभाव विलुप्त होने से हम गुलाम बने फिर से ऐसी स्थिति न आये। इसके लिये राष्ट्रभाव के देशप्रेम की आवश्यकता है। हम उपदेश देने के स्थान पर स्वंय अनुकरण कर उदहारण बने।
अधीश सभागार में सरसंघचालक मोहन भागवत
‘‘देश और समाज के लिए प्रेम, आत्मीयता और अपनेपन की भावना से सेवा कार्य किये जाने चाहिए, न कि किसी तरह का सम्मान पाने की भावना से। स्वाभाविक आत्मीयता से किया गया कठिन कार्य भी सरलता से हो जाता है, हमें हर पल अपने देश के हित तथा उसकी सुरक्षा को देखकर करना चाहिए। आज जिन्हें सम्मानित किया गया है ये सभी इसी भावना से कार्य कर रहे है,‘‘
DAY-1
आगरा-31 अक्टूबर। ‘विदेशियों ने हमसे हमारा आइना छीन कर अपने आइने से जो दिखाया उस के कारण हम अपने राष्ट्रीय गौरव को भूल चुके हंै अब हमें अपने आईने से युवा पीढ़ी को राष्ट्र के गौरव पूर्ण इतिहास से परिचत कराना होगा,ताकि विश्व के समक्ष युवा अपना सीना तानकर खड़े हो सकंे। हमारे महापुरुष अपनी संकृति की रक्षा-संरक्षा के लिए सदैव तत्पर रहे हैं, जिनकी हुंकार से दुनिया दहली है और उन के जीवन चरित्र से संसार संस्कारित हुआ है। भारत ने दुनिया को संस्कारित किया है। भारत के गौरवमयी इतिहास से परिचित कराना ही इस प्रदर्शनी का उद्देश्य है। उक्त उद्गार राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ब्रजप्रान्त द्वारा आयोजित युवा संकल्प शिविर में लगी प्रदर्शनी के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य वक्ता क्षेत्रीय प्रचारक प्रमुख श्री किशन चन्द जी से व्यक्त किये। उन्होंने आगे कहा कि जब विदेशी आंक्रताओं ने दुनिया के अन्य देशों को पचास- साठ साल में ही जीत लिया था । भारत को जीतने में उन्हें छःसौ साल से भी ज्यादा समय लगा। उसके बाद भी भारत लोग स्वतंत्रता के लिये निरन्तर संघर्षरत रहे ओर अपनी स्वाधीनता प्राप्त की ।श्री कृष्ण चन्द ने भारत के प्राचीन गौरव का उल्लेख करते हुये कहा जब दुनिया के लोग असभ्य थे तब भारत तमाम क्षेत्रों में अन्य देशों से बहुत आगे था। इसी ने दुनिया को सभ्यता-संस्कृति, ज्ञान – विज्ञान से परिचित कराया। इसी के चलते भारत को जगत गुरु कहलाया। वर्तमान में भी इसके अनेक प्रमाण उपलब्ध हंै। उन्होने कहा कि वर्तमान में भारत दुनिया का सबसे बड़ा युवाओं का देश है। इसलिए आगे का भविष्य भी भारतीय युवाओं का होगा।श्री चंद ने कहा कि देश गुलाम ना रहे, आगे गुलामी ना आये, देश के लोगों में राष्ट्रीयता का भाव जागृत हो इसी उददेश्य से डा0 हेडगेवार जी ने संघ की स्थापनाकी थी।
प्रदर्शनीय के उद्घाटन कर्ता मुख्य अतिथि स्वामी हरिबोल जी महाराज ने कहा कि देश पिछले कई वर्षो से कुशासन भ्रष्टाचार से त्रस्त था। साधु समाज घुटन अनुभव कर रहा था हिन्दू धर्म संस्कृति नष्ट हो रही थी। अबसर मिलते ही संतों ने जनजागरण किया। जिसके फलस्वरूप आज सुखद परिणाम आये है। उन्होने अमेरिका का उल्लेख करते हुये कहा कि पहले वह मोदी को बीजा नहीं दे रहा था अब सत्ता बदलते ही उनके स्वागत में अमेरिका ने पलक पावडे बिछाये। मोदी सरकार के बारे में कहा कि थोडे दिनों में अच्छे दिन आने लगे हंै। कार्यक्रम की अध्यक्षता नरेन्द्र बंसल चाॅदी वाले ने की तथा विशिष्ट अतिथि थे अशोक जैन डाक्टर सोप। मंच पर प्रांत संघ कार्यवाह राजपाल सिंह मौजूद थे। कार्यक्रम संचालन कुंजविहारी दुवेदी ने किया वही सरस्वती विद्या मंदिर के छात्रों भजव व गीत प्रस्तुत किये।