संघ हिन्दू समाज को संगठित, शक्तिशाली बनाने का कार्य लेकर चला है: श्री मोहनजी भागवत

4 जनवरी, कर्णावती राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ-गुजरात द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय कार्यकर्ता शिविर -20015  समापन समारोह के मुख्य अतिथि पू. स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज (श्री शारदा पीठ, द्वारिका, गुजरात ) ने अपने उद्बोधन में कहाँ कि भारत की अखंडता, विविधता आदि की रक्षा तभी हो सकती हैं जब हमें भारत पर स्वाभिमान हों. आज इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. उन्होंने कहाँ की धर्मांतरण से सिर्फ हिन्दू ही पीड़ित क्यों है ? हिन्दू का ही धर्मान्तरण अधिक किया गया है. धर्मांतरण एक राष्ट्रीय मुद्दा है हम सब को एक हो का इसके लिए संघर्ष करना होगा। भटका हुआ यदि अपने धर्म में वापस आता है तो हो हल्ला मच जाता है. वास्तव में धर्मान्तरित होने वाले को यह ज्ञान ही नहीं होता की वह किस धर्म में जा रहा हैं. स्वामीजी ने कहाँ गौ माता की रक्षा होनी चाहिए, सामान सिविल कोड पर गंभीर विचार होना चाहिए.

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इस अवसर पर अपने उद्बोधन ​प. पू. सरसंघ चालकजी  मा. श्री मोहनजी भागवत ने कहाँ की सम्पूर्ण जगत में जो समस्याए दिखती हैं.​ वो धर्म की उपेक्षा के कारण हैं. धर्म की अनेक व्याख्या की गयी है जैसे धर्म यानि स्वभाव, धर्म यानि कर्तव्य, धरम यानि इस लोक से उस लोक तक, धर्म यानि सबको ऊपर उठाने वाला सबकी धारणा करने वाला यहाँ प्रदर्शनी में पर्यायवरण की समस्या देखने को मिलती है, इसके अलावा आंतकवाद है, गरीबी जैसी अनेक समस्याय ये सभी समस्याए धर्म की उपेक्षा के कारण है. आज स्थिति ऐसी है की हरेक को रास्ता चाहिए और इस स्थिति में सबको भारत के पास आना होगा। सनातन मूल्यों के आधार पर भारत के पास से सीख लेनी चाहिए ऐसा विश्व के चिंतक कहते हैं. भारत परम वैभव संपन्न, शक्तिशाली था, भारत को पहले विश्वगुरू के नाम से जाना जाता था और वह दुनिया का नेतृत्व करता था। उस समय दुनिया में शांति होती थी। उन्होंने हिंदू समाज को और मजबूत करने का आवाहन करते हुए कहा कि इस पवित्र कार्य के लिए पूरे हिंदू समाज को एक करना होगा।
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श्री मोहनजी ने कहाँ की हमारे देश में अनेक समस्याए रही है, अनेक कमियां भी थी और है इन सब समस्याओ से जूझने वाले अनेक महापुरष भी इस देश में हुए है. इन महापुरषो ने जब इन समस्याओ पर विचारमंथन किया तो उसमे से चार विचारधारी निकली 1. राजनैतिक जाग्रति 2. रूढ़ि कुरीतियों से मुक्त करना 3. परंपराओं के मूल तक जाकर उनको यथार्थ समझकर उनका निराकरण करना 4. शास्त्र लेकर पहले अंग्रेजो को भगाओ सब ठीक हो जायेगा। इन चारो धाराओ के महापुरष प्रमाणिकता को दांव पर लगाकर काम करते रहे लेकिन सब के मन में यह प्रश्न आता था की क्या कमी रही. उस समय संघ स्थापक डॉ साहब इन सभी विचारधराओ के महापुरषो के संपर्क में आये और इस निष्कर्ष पर पहुंचे की जब तक यह सारा देश मेरा अपना है ऐसा लगे यह भावना जागृत करनी होगी जबतक यह नहीं होता तबतक हम पुनः विश्व गुरु नहीं बन सकते। इन सभी कमियों को दूर करने के लिए डॉ साहब ने शाखा नमक कार्यपद्धत्ति शुरू की जिसमे देशभक्ति की भावना जगाने के लिए शाखा नामक तंत्र का उपयोग किया जिसमे एक सरल कार्यपद्धत्ति 1 घंटा मैदान में एकत्रित आना प्रेरणा देने वाले संस्कार बनाने वाले सीधे साधे शारीरिक व् बौद्धिक कार्यक्रमों को करना। हिन्दू देश, हिन्दू समाज के लिए कार्य करना क्योकि यह देश परम्परा से हिन्दू देश है संघ ने हिन्दू नही बनाया। भारत में अगर हिन्दू समाज खतरे मैं आता है तो भारत खतरे मैं आएगा। संघ हिन्दू समाज को संगठित, शक्तिशाली बनाने का कार्य लेकर चला है और और उसके पुरे होते तक काम करता रहेगा। इतने वर्षो तक कार्य करने के बाद अब धीरे धीरे लोगो को संघ समझ में आ रहा है. संघ ऐसे चरित्रवान लोगो को खड़ा करना चाहता है जो सम्पूर्ण समाज को अपना समझ का गले लगाय.
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भागवत ने कहा कि संघ राष्ट्र निर्माण करने वाला संगठन है और देश के लोगों में राष्ट्रवाद की भावना भर रहा है। उन्होंने कहा कि संघ को बाहर से देखने से काम नहीं चलेगा और लोगों को पहले अंदर से इसे देखना चाहिए और अगर सही लगे तो उसका सदस्य बनना चाहिए। ​महिलाओ के प्रशिक्षण के लिए राष्ट्र सेविका समिति की शाखा चलती है. तो आइये प्रशिक्षण लेकर देश की हित में , समाज के हित में कोई एक काम को चुनकर कार्य कीजिए इस विनंती के साथ श्री मोहनजी ने अपना वक्तवय पूरा किया.

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