50 वर्ष से हो रहा एकमात्र संस्कृत समाचार पत्र सुधर्मा का प्रकाशन
नई दिल्ली. भारत सरकार ने देश के एकमात्र दैनिक संस्कृत समाचार पत्र चलाने वाले दंपत्ति का चयन भी पद्मश्री पुरस्कार के लिए किया है. दोनों को संयुक्त रूप से पद्मश्री प्रदान किया जाएगा. एकमात्र संस्कृत दैनिक समाचार पत्र सुधर्मा का प्रकाशन कर्नाटक के मैसूर से होता है, सुधर्मा के संपादक व प्रकाशक केवी संपत कुमार और उनकी पत्नी जयलक्ष्मी का पुरस्कार के लिए चयन किया गया है.
ए – थ्री साइज और पांच कॉलम शीट वाले दो पेज के समाचार पत्र में वेद, योग, धार्मिक विषयों के आलेख प्रकाशित होते हैं. राजनीति और सांस्कृतिक समाचारों के साथ ही अन्य जानकारियां भी प्रकाशित होती हैं. संस्कृत समाचार पत्र के करीब 3000 सबस्क्राइबर्स हैं. समाचार पत्र का वितरण डाक द्वारा होता है. संस्कृत समाचार पत्र के ई-वर्जन के करीब एक लाख पाठक हैं. संस्कृत के विद्वान पं. वरदराज आयंगर ने संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए 15 जुलाई 1970 को सुधर्मा की शुरुआत की थी. जिसके बाद अब उनके पुत्र केवी संपत कुमार, पुत्रवधु जयलक्ष्मी कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं.
संस्कृत भाषा के समाचार पत्र का ई-पेपर भी है. जिसके पाठकों की संख्या लगभग एक लाख तक है. विश्व संस्कृत संस्थान द्वारा संपादक केवी संपत कुमार को सम्मानित किया जा चुका है.
संस्कृत के विद्वानों, आचार्यों सहित कई गणमान्य नागरिक सुधर्मा समाचार पत्र के कार्यालय में जाकर नियमित कामकाज को देख चुके हैं. सुधर्मा समाचार पत्र के प्रकाशक ने बताया कि संस्कृत भाषा के समाचार पत्र का प्रकाशन फायदे का सौदा नहीं है, लेकिन यह एक मिशन है, भाषा के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने का एक माध्यम है, जिससे दुनिया में संस्कृत भाषा को मान हासिल हो.