समाज के अंतिम व्यक्ति तक समरसता के अनुभूति हो : श्री मोहनजी भागवत

हरिद्वार। (विसंके)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र की तीन दिवसीय कार्यकर्ता बैठक 2 अक्टूबर को हरिद्वार के भूपतवाला स्थित निष्काम सेवा ट्रस्ट में अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत प्रारंभ हो गई है। तीन दिन तक चलने वाली इस बैठक में संघ की विविध क्षेत्रों में चल रही गतिविधियों की समीक्षा होगी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प.पू. सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि समाज यदि एकमत होकर चलेगा तो इससे सामाजिक एकता को बल मिलेगा। सबको मंदिर में प्रवेश , पानी का सामूहिक श्रोत , अंतिम संस्कार के लिए समान श्मसान स्थल की व्यवस्था होनी चाहिए। ग्राम विकास के बिना देश विकास नहीं हो सकता। ग्राम विकास के लिए गौ संवर्धन अनिवार्य है। गांवों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में भी योजना बनाकर कार्य करने का समय है।

उन्होंने कहा कि सामाजिक मजबूती की पहली शर्त सामाजिक समरसता है। हमें इसको मजबूत करने की आवश्यकता है। समाज के अंतिम व्यक्ति तक समरसता की अनुभूति हो इसके लिए सम्मिलित प्रयास की जरूरत है।

भागवत जी ने कहा कि जहां भी हमारी समरसता की कड़ी कमजोर होगी वहीं समाज को तोड़ने वाली शक्तियां प्रभावी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सामाजिक सद्भावना बढ़ाने के लिए सामाजिक धार्मिक संगठनों को आपसी संवाद बढ़ाना होगा और मिलजुल कर कार्य करना होगा।

उन्होंने कहा कि हमारा विचार तो एकात्मता का है लेकिन यह हमारे आचरण में भी उतरना चाहिए तभी इसकी सार्थकता प्रामाणिक होगी। परिवार प्रबोधन के विषय में उन्होंने कहा कि परिवार व्यवस्था में क्षरण और पारिवारिक मूल्यों में आ रही गिरावट के चलते हिंदू समाज में कमजोरी आ रही है। इससे बचने के लिए हमें इस व्यवस्था की मजबूती के लिए लगना होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए सप्ताह में कम से कम एक दिन सामूहिक भोजन और भजन पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए। बच्चों को अपनी संस्कृति का ज्ञान और गौरव बताएंगे तो वह कभी भटकेंगे नहीं और देश के अच्छे नागरिक बनेंगे। पूजनीय सरसंघचालक ने कहा कि अपने उत्सवों का उपयोग समाज व परिवार प्रबोधन के लिए करें।

भागवत जी ने गौ संवर्धन को देश के विकास का मार्ग बताते हुए कहा कि गौ संवर्धन से देश संवर्धन होगा। उन्होंने कहा कि आज गौ आधारित खेती समाज के ध्यान में आ रही है। भारतीय नस्ल की गाय के औषधीय गुणों के परिणाम सब अनुभव कर रहे है। इसलिए गौ संवर्धन के कार्य की गति बढ़ा कर नए-नए प्रयोगों के आधार पर कार्य विस्तार किया जाना चाहिए।

पूजनीय सरसंघचालक ने भारतीय संस्कृति पर बोलते हुए कहा कि देव संस्कृति ही हिन्दू संस्कृति है। जब देव संस्कृति प्रभावी थी तब विश्व में कोई युद्ध नहीं थे। पर्यावरण भी शुद्ध था। हमने अपनी संस्कृति को छोड़ा इसलिए समस्याएं बढ़ी। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति मानवता की भलाई के लिए काम करती है। इसमें कट्टरता के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि मतान्तरण के कारण देश में ऐसे राष्ट्र विरोधी तत्व खड़े हो गए जो देश को हानि पहुंचा रहे हैं। उन्होंने आह्वान करते हुए कहा कि देश की एकता के लिए सभी मत , पंथ , संप्रदाय सभी एकजुट होकर चले तभी भारत सुरक्षित रहेगा।

सरसंघचालक जी ने बताया कि संघ व्यक्ति निर्माण में लगा है। व्यक्ति निर्माण और उसके माध्यम से समाज निर्माण करना ही लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज निर्माण से हम व्यवस्था निर्माण की ओर बढ़ते है। जब व्यक्ति का व्यक्तित्व मजबूत होगा तो व्यवस्था परिवर्तन स्वतः होता है। उन्होंने कहा कि हमें समाज निर्माण पर ध्यान देना है।

 

 

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