समाज के सर्वांगीण विकास के लिए व्यवहार में लायें समरसता – प्रवीण भाई ओतिया

भरतपुर, जयपुर (विसंकें). सेवा भारती के अखिल भारतीय अधिकारी प्रवीण भाई ओतिया जी ने कहा कि समाज के सर्वांगीण विकास के लिए अस्पृश्यता जैसी सामाजिक कुरीति को समूल समाप्त कर सामाजिक समरसता को व्यवहार में लाना होगा. प्रवीण भाई वीरवार को भरतपुर स्थित समिधा भवन में बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की 125वीं जयंती पर आयो​जित सामाजिक समरसता संगोष्ठी में मुख्यवक्ता के रूप में उपस्थित जनों को संबोधित कर रहे थे.

सामाजिक समरसता मंच, भरतपुर की ओर से आयोजित संगोष्ठी में प्रवीण भाई ने कहा कि डॉ. आंबेडकर न केवल अस्पृश्य वर्ग के लिए अपितु सम्पूर्ण समाज के चिन्तक थे. उनका व्यक्तित्व और जीवन दर्शन सबको साथ लेकर चलने का था. उनकी जयंती पर हमको सामाजिक समरसता व्यवहार में लाने का संकल्प लेना होगा. अगर हम ऐसा कर पाये तो समाज का सर्वांगीण विकास कोई रोक नहीं सकता.
उन्होंने कहा कि राष्ट्र से जुड़े अनेक विषयों पर उनके विचार राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के विचारों से मिलते थे. डॉ. आंबेडकर ने न केवल संस्कृत को राष्ट्र भाषा घोषित करने का समर्थन किया था, बल्कि कश्मीर में धारा 370 का विरोध भी किया.

उन्होंने कहा कि हमारे देश पर अनेक विदेशियों ने आक्रमण किये, जिनमें शक, हूण आदि का तो आज नामोनिशान तक नहीं बचा. हिन्दू संस्कृति इतनी विशाल व आत्मसात करने वाली है कि इन आततायियों का अस्तित्व तक न बचा, लेकिन देश का दुर्भाग्य है कि हम अपने ही बन्धुओं को आज भी मुख्य धारा में नहीं जोड़ पाये. इस दिशा में हम सबको मिलकर प्रयास तेज करने होंगे.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रेम सिंह आर्य जी ने कहा कि विषमता से व्याप्त समाज में सामाजिक समरसता की महती आवश्यकता है. बाबा साहब को दलितों का मसीहा कहना उनके व्यक्तित्व, उनके प्रभाव को कम करके आंकना होगा. वास्तव में तो वे पूरे विश्व के शोषित, वंचित व पीड़ित वर्ग के मसीहा थे. उन्होंने कहा कि जब तक हमारे देश में असमानता रहेगी, तब तक हमारा देश प्रगति नहीं कर सकेगा. जिस प्रकार ऊंची नीची जमीन से अच्छी पैदावर नहीं ली जा सकती, उसी प्रकार से ऊंच नीच की भावना जब तक रहेगी, तब तक भारत परमवैभव को प्राप्त नहीं कर सकेगा.

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