समाज में एकता, बंधुता का निर्माण समरसता के बिना संभव नहीं है – डॉ. सुनील भाई बोरिसा

दिनांक 27 जून रविवार को भावनगर के अकवाडा गुरुकुल में रा.स्व.संघ द्वारा प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग ( कच्छ विभाग, सौराष्ट्र विभाग तथा कर्णावती) के समारोप सत्र का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में अकवाडा गुरुकुल के मार्गदर्शक पू. श्री विष्णु स्वामी तथा मुख्य अतिथि के रूप में श्री महेश भाई गाँधी (सेवा निवृत उप नियामक तथा वरिष्ट वैज्ञानिक CSMCRI, भावनगर) उपस्थित रहे.

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य डॉ. सुनील भाई बोरिसा (सहसंपर्क प्रमुख, रा.स्व. संघ-गुजरात प्रांत) ने अपने उद्बोधन में कहाँ कि व्यक्ति निर्माण द्वारा राष्ट्र निर्माण अपनी संस्कृति की परंपरा रही है. उसी परंपरा को रा.स्व.संघ ने पिछले 90 वर्षो से व्यवहार मे रखा है. जब Hand और Head की Training में Heart आता है तब व्यक्ति निर्माण होता है. समाज और राष्ट्र को मार्गदर्शन देने वाले संघ कार्यकर्ताओ के प्रशिक्षण का यह समारोप कार्यक्रम है.

उन्होंने कहाँ कि संघ कार्य में किसी का विरोध नहीं परन्तु सबके साथ मित्रता ही संघ मंत्र है. श्री गुरूजी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहाँ कि Extreme Love ही अपनी सफलता का रहस्य है. वर्तमान समय में विश्व में सर्वत्र हिन्दू विचारधारा का स्वीकार हो रहा है. जैसे कि योग, आयुर्वेद, Inclusive Thought, Interdependence, प्रयावरण आदि हिन्दू विचारधारा ही है.

अपने देश में वर्तमान में आंतरिक सुरक्षा को लेकर राष्ट्र द्रोही कार्य, आतंकवाद, नक्सलवाद, बंगाल-केरल में सांस्कृतिक संगठनो पर अत्याचार आदि राजकीय सहयोग के कारण चल रहे है. संघ द्वारा किये जा रहे राष्ट्र जागृति के कार्य के विषय में बताते हुए श्री सुनील भाई ने कहाँ कि संघ द्वारा समाजोपयोगी विविध विषय पर कार्य हो रहा है जैसे के कुटुंब प्रबोधन. विश्व शांति का आरंभ परिवार से ही होता है समाज में एकता, बंधुता का निर्माण राष्ट्र की प्रगति के लिए आवश्यक है जो समरसता के बिना संभव नहीं है.

उन्होंने कहाँ कि यह वर्ष पू. श्री रामानुजाचार्य का सहस्त्राब्दी वर्ष, श्री गुरु गोविंद सिंह जी का 350वा प्रकाश वर्ष, भगिनी निवेदिता का 150वा जन्मजयंती वर्ष, पंडित दीनदयाल जन्म शताब्दी वर्ष है. इन सभी के जीवन में जो समानता देखने को मिलती है वह है समरसता तथा एकात्म भाव.

अंत में श्री सुनीलभाई ने कहाँ कि हमसब अपने क्षेत्र में समरसता और एकात्म भाव को जागृत करे, संघ को प्रासंगिक सहयोग करे और दैन्दिन शाखा को पुष्ट करने का सहयोग कर संघ विचार को सर्वसमाज में पहुचाएं यही अपेक्षा है.

इस वर्ग में 214 स्वयंसेवको प्रशिक्षण प्राप्त किया.

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