समाज में सकारात्मक वृति जगे ऐसा लिखो – डॉ. मोहन भागवतजी

गुजरात के कर्णावती महानगर में दिनांक 1 जनवरी, 2017 को आयोजित साधना साप्ताहिक के षष्टिपूर्ति समारोह के अवसर स्मरणिका का विमोचन वैदिक मंत्रोचार के बीच डॉ. मोहन भागवतजी के द्वारा किया गया. इस अवसर पर अपने उद्बोधन में श्री मोहनजी ने साधना परिवार के सभी सदस्यों का अभिनंदन करते हुए कहाँ कहाँ कि 60 साल तक किसी साधना को करना विशेषकर माध्यमो के युग में तपस्या के रूप में उसको चलाना कठिन बात है.

उन्होंने कहाँ कि एकबार दिल्ली में मीडिया हाउस के साथ बातचीत में मैंने उनको कहाँ था कि में यह नहीं कहता हूँ कि आप संघ के बारे में अच्छा लिखे लेकिन जो सत्य है वह लिखे चाहे वह हमारे अनुकूल हो या प्रतिकूल. दूसरा समाज में सकारात्मक वृति जगे ऐसा लिखो. आज के स्पर्धा के युग में साधना के रूप में इसको चलाना बहुत कठिन बात है. पहला संघ पर प्रतिबंध इसको चलाने का निमित्त बना. स्थान-स्थान पर समाज के समक्ष सत्य उजागर करने के लिए भूमिगत आंदोलन के मुखपत्र के रूप में ऐसे साप्ताहिक पत्र चल पड़े. साधना के प्रारंभ के समय पू. गुरूजी ने पत्र लिखकर दिशा दी थी कि साधना की सामग्री प्रवाह के अनुसार नहीं परन्तु सत्य पर आधारित हो. 60 साल हमने पुरे किये लेकिन प्रवाह की यात्रा अभी पूरी नहीं हुई उसको आगे भी चलाना है. 60 साल की यात्रा में क्या क्या कमी रह गई है उसको भी पूरा करने का संकल्प लेना है और कमियों को दूर करना है.

हमारे पूर्वजो ने अथक परिश्रम करके हमको वैभव की इस अवस्था में पहुचायां यह जिस परिवार में याद रहता है उस परिवार की सम्पति बढती रहती है. सफलता प्राप्त करने की धुन में कई बार इस बात का विस्मरण हो जाता है. अत: कहाँ जाना है, कैसे जाना है इसका विस्मरण नहीं होना चाहियें. हमें गाँव गाँव घर घर सत्य बताने का कार्य जारी रखना होगा. पत्रकारिता को धर्म बनायें रखते हुए समाज में पौष्टिक तत्व पहुचाएं. संघ के स्वयंसेवक के संपर्क में आने वाले स्वयंसेवक बने न बने परन्तु अच्छा नागरिक जरुर बने.

साधना को पुरे गुजरात को मित्र बनाना है. हिदू समाज परस्पर मित्र बने उसके लिए स्वयंसेवक काम करता है. और हिन्दू समाज किसलिए है उसका प्रयोजन क्या है ? तो संपूर्ण विश्व में परस्पर मित्रता स्थापित करना है. समाज में जो होना चाहियें उसको उत्पन्न करने के लिए हम काम कर रहे है. और दृष्टी लेकर लक्ष्य की और चलना आसन नहीं होता वह साधना ही होती है. वह निरंतर चलती रहे साधक साधक ही रहे.

60 साल साधन निर्दोष रूप से चली उसको और आगे चलाना है समाज में सकारात्मक गुणवत्ता लाने का कार्य करते रहना पड़ेगा. इसलिए साधना कुटुंब के सभी सदस्यों के आयुष्मान व् स्वस्थ रहने कि में कामना करता हूँ व् आशा करता हूँ कि 120 वर्ष पूरा करने का समारोह भी ऐसा ही हो और उसमे में उपस्थित रहूँ. इस अवसर पर मा. क्षेत्र संघचालक डॉ. जयंतीभाई भाड़ेसिया, मा. प्रांत संघचालक श्री मुकेशभाई मलकान, साधना साप्ताहिक के ट्रस्टीगण सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे.

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