लखनऊ (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पू. सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत जी ने सोमवार को लखनऊ में प्रो.राजेंद्र सिंह रज्जू भैय्या स्मृति भवन (भारतीय किसान संघ) कार्यालय का लोकार्पण किया. इस अवसर पर सरसंघचालक जी ने कहा कि कृषि का विचार भारतीय दर्शन के आधार पर करना ही भारतीय किसान संघ की विशेषता है. उन्होंने कहा कि अगर कार्य नहीं है तो कार्यालय का कोई मतलब नहीं है, कार्य का आलय ही कार्यालय है.
कार्यालय का इतिहास
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक प्रो. राजेन्द्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया के प्रयासों से वर्ष 1948 में इस भवन का आवंटन हुआ था. तब से संघ कार्यालय के रूप में इसका उपयोग होने लगा. बाद में संघ के अनेक कार्यकर्ता और प्रचारक यहां आकर निवास करते थे. वर्ष 1949 से रज्जू भैय्या के साथ पण्डित दीनदयाल उपाध्याय, नाना जी देशमुख, भाऊराव देवरस और अटल बिहारी वाजपयी ने भवन को केन्द्र मानकर संघ कार्य के माध्यम से राष्ट्र सेवा के कार्य में अपना योगदान किया. इसी स्थान पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के श्रेष्ठ प्रचारकों के साथ लम्बे मंथन के बाद वर्ष 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी. लगातार दो महीने तक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी इस कार्यालय में ठहरे थे. भारतीय जनसंघ की प्रथम स्थापना बैठक भी इसी कार्यालय में हुई थी. वर्ष 1979 तक यहां जनसंघ का प्रान्तीय कार्यालय रहा. वर्ष 1967 में संविद सरकार बनने पर जनसंघ का प्रदेश कार्यालय विधानसभा मार्ग पर हुआ और यह जनसंघ का महानगर कार्यालय बना रहा. वर्ष 1979 में यहां किसान संघ का कार्यालय स्थापित हो गया.
राष्ट्रधर्म और पांचजन्य का संपादन भी इसी भवन से शुरू हुआ था. पण्डित दीनदयाल उपाध्याय यहीं पर कंपोजिंग करते थे और ट्रेडिंग मशीन से छापते थे. जनसंघ की स्थापना के बाद यह भवन जनसंघ कार्यालय के रूप में उपयोग होने लगा. इसके पहले भवन को संघ कार्यालय के रूप में जाना जाता था. पण्डित दीनदयाल उपाध्याय का केन्द्र दिल्ली होने तक इसी भवन में रहे. वर्ष 1967 तक नानाजी देशमुख इसी भवन में रहे. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी जब 1957 में सांसद बने, तब तक इसी भवन में रहे. अभी तक अटल बिहारी वाजपयी लखनऊ में मतदाता इसी भवन के पते से हैं.