भारत सेवाश्रम संघ शताब्दी समापन समारोह के अवसर पर गुजरात के वांसदा मे 31 दिसम्बर 2016 शनिवार को आयोजित “विराट हिन्दू संमेलन” में उद्बोधन करते हुए मा. डॉ. मोहन भागवतजी ने कहाँ कि भारत सेवाश्रम संघ के प्रतिष्ठाता युगाचार्य स्वामी प्रणवानंद जी का संदेश हम सबके लिए आज भी महत्वपूर्ण है. संघ में प्रातःएकात्मता स्त्रोत में प्राणवानंद का स्मरण हम रोज करते है. हिमालय से सागर तक फैली अपनी इस भूमी पर रहने वाले किसी भी पंत, संप्रदाय, धर्म को मानने वाले हमसब हिन्दू है. लेकिन आज हमें इसका स्मरण नहीं है. इसीलिये अपने ही देश में आज हिन्दू समाज संकट में है. जहाँ हमारे पूर्वजों ने महान आदर्शो स्थापित किये वह भूमि हमारी मातृभूमि है.
हमारे पूर्वज श्री राम ने वनवासियो के सहयोग से राक्षसों का वध कर पराक्रम का आदर्श स्थापित किया. आज पोप महाराज बड़े गर्व से कहते है हमें दुनियां के तीन खंडो को इसाई बना दिया अब एशिया की बारी है. लेकिन 1000 वर्ष में दुनिया के तीन खंडो को इसाई बनाने वाले को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि गत 300 वर्षो में अथक प्रयत्न के बाद भी भारत में 6% ही इसाई बना पायें है. आज स्थिती यह है कि उनके अपने ही देशों में आज चर्च बिक रहे है. और वह हमें मतांतरित करना चाहते है. हमारे पास एक सत्य धर्म है सनातन धर्म, दुनिया में हमने किसी को मतांतरित नहीं किया. हमारी संस्कृति सनातन संस्कृति है जो सत्य और पराक्रम के आदर्श पर कायम है, हमें अच्छे, पक्के, सच्चे हिन्दू बनाना है और दुनियां को अच्छा बनाना है. हम हिन्दू है और हिन्दू ही रहेंगे.
श्री मोहन भागवतजी ने इस अवसर पर स्वामी प्रणवानंदजी के सेवा के माध्यम से समाज के बीच जाकर महाजागरण और महामिलन का आह्वान का स्मरण करते हुए कहाँ कि सेवा द्वारा महाजागरण और हिन्दू समाज का महामिलन हमें सभी समस्याओ से मुक्ति दिलायेगा. उन्होंने कहाँ कि हमें सरकार से अपेक्षा न करते हुए समाज को मजबूत बनाना चाहियें. हमें बिना किसी अपेक्षा के सेवा करनी होगी. ऐसा करने से ही हिन्दू समाज मजबूत होगा और दुनिया को संदेश जायेगा.
इस अवसर पर प.पू. स्वामी विश्वात्मानंदजी महाराज ( अंतर्राष्ट्रीय महामंत्रीश्री, भारत सेवाश्रम संघ), प.पू. स्वामी अंबरीशानंदजी महाराज ( अंतर्राष्ट्रीय सहमंत्रीश्री, भारत सेवाश्रम संघ), स्वामीनारायण मंदिर (हालोल-कालोल) के के स्वामी संतप्रसाद महाराज, वांसदा के युवराज श्री जयवीरेंद्र सिंहजी ने प्रसंगोचित उद्बोधन किया. रा. स्व. संघ गुजरात प्रांत संघ चलाकजी श्री मुकेशभाई मलकान, प्रांत कार्यवाह श्री यशवंतभाई चौधरी, इस संमेलन मे 50 हजार से अधिक वनवासी क्षेत्र के बंधू भगिनी उपस्थित रहे. कार्यक्रम के प्रारंभ में वनवासी बंधुओ द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया.