ऐतिहासिक विजय दिवस को जश्न के रूप में मनाने की जरूरत: श्री नन्दकुमारजी

फरीदाबाद. भारत का गौरवशाली इतिहास महापुरूषों के लहू से लिखा गया है. त्याग व सेवा राष्ट्र की सच्ची सेवा है. अपने समर्पण भाव से भारत की सेना ने दुनिया की सेना के बीच अपना विशेष स्थान बनाया. 16 दिसंबर, 1971 को मिली ऐतिहासिक जीत को जश्न के रूप में मनाने की जरूरत है.

ये विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-प्रचार प्रमुख श्री जे. नंद कुमार जी ने मंगलवार, 16 दिसंबर को सायंकाल सेक्टर-12 स्थित राजस्थान भवन में आयोजित मासिक पत्रिका ‘संघमार्ग’ के वीर भूमि हरियाणा विशेषांक के विमोचन अवसर पर कहे. यह विशेषाक संघमार्ग के रजत जयंती वर्ष व 16 दिसंबर ‘विजय दिवस’ के उपलक्ष्य में प्रकाशित किया गया है.

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श्री नंद कुमार ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी भारत के सैनिकों ने नया इतिहास रचा है. करीब 8०० साल की गुलामी की मानसिकता को छोड़ भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों के आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया. इस युद्ध में भारत के सैनिकों ने साबित कर दिया कि उनमें अतुलवनीय शौर्य है. हालांकि भारतीय राजनेता सेक्युलर का नारा लगाकर आम जनमानस का मनोबल गिराने में लगे हुये है. इस प्रकार वे भारत के सर्वधर्म सम्भाव की नीति को ठेस पहुंचा रहे हैं. इस ऐतिहासिक जीत को समाज के निचले स्तर तक मनाना जरूरी है. ताकि हर पीढ़ी भारतीय सैनिकों के  शौर्य का अभिनंदन कर सके.

समारोह के अध्यक्ष एवं वाईएमसीए विश्वविद्यालय के उपकुलपति लेफ्टिनेंट जनरल केएस यादव ने कहा कि इस युद्ध को जीतने में हरियाणा के सैनिकों की विशेष भूमिका रही. भारत को लगातार विदेशी घुसपैठिये कमजोर कर रहे हैं. संघ अनुशासित संगठन होने के साथ ही राष्ट्र के लिये उल्लेखनीय कार्य करने वाला देशभक्त संगठन है. मुख्य अतिथि जिला टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता श्री आरपी नागर ने कहा कि संघ संस्कारों की पाठशाला है. संस्कारों के बल पर कोई भी राष्ट्र अथवा समाज सशक्त बन सकता है. अच्छा साहित्य एक अच्छे समाज का निर्माण करती है.
14 दिसम्बर के बीच हरियाणा के प्रत्येक जिले में वीर सैनिकों की स्मृति में कार्यक्रम शुरू किये गये हैं जो 21 दिसंबर तक चलेंगे. गुरुग्राम (गुड़गाँव),पंचकुला और फतेहाबाद में ये कार्यक्रम संपन्न हो चुके हैं.

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