संघ पर टिप्पणी के अनुसंधान मे राहुल गांधी माफी मांगें या केस का सामना करें – सर्वोच्च न्यायालय

नई दिल्ली. सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को राहुल गांधी से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को महात्मा गांधी का हत्यारा बताने के मामले (मानहानि केस) में माफी मांगने या फिर मानहानि केस में ट्रायल का सामना करने को कहा. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को मारा या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों ने महात्मा गांधी को मारा, इन दोनों बातों में काफी अंतर है. मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी, जिसमें राहुल को पक्ष रखने के लिए कहा है.

न्यायालय ने सुनवाई के बाद मंगलवार को कहा कि “आप किसी को पब्लिकली क्रिटिसाइज नहीं कर सकते. हम सिर्फ यह जांच कर रहे हैं कि उन्होंने ( राहुल गांधी ने) जो बयान दिए क्या वो मानहानि के दायरे में हैं या नहीं. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि आपको केस में ट्रायल फेस करना चाहिए.”

“राहुल को यह साबित करने की जरूरत थी कि आरएसएस के खिलाफ दिया बयान लोगों के हित में था. चूंकि यह ट्रॉयल से जुड़ा मामला था.”

सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के वकीलों ने उनके बयान को सही ठहराने की कोशिश की. और दलील दी कि यह ऐतिहासिक फैक्ट है. इसके अलावा सरकारी रिकॉर्ड में यह दर्ज है.

न्यायालय ने कहा कि “यदि राहुल गांधी खुद को डिफेंड करना चाहते हैं और माफी मांगने के लिए तैयार नहीं हैं तो यह अच्छा होगा वे ट्रॉयल का सामना करें.”

लोकसभा चुनावों के दौरान 06 मार्च 2014 को भिवंडी क्षेत्र में प्रचार सभा में राहुल गांधी ने कहा था कि महात्मा गांधी की हत्या संघ के लोगों ने की. जिसके खिलाफ संघ के भिवंडी तालुका कार्यवाह राजेश कुंटे ने भिवंडी प्रथम वर्ग न्यायदंडाधिकारी के पास शिकायत कर मानहानि याचिका दायर की थी. कुंटे की तरफ से अधिवक्ता गणेश धारगलकर ने पक्ष रखा. न्यायदंडाधिकारी के सामने प्रारंभिक सुनवाई के दौरान राहुल गांधी पर लगाए आरोपों की पुष्टि होने के बाद उनके खिलाफ सम्मन जारी किया गया और न्यायालय में उपस्थित होने के आदेश दिये. जिसके खिलाफ राहुल गांधी ने मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर कर अपने खिलाफ जारी हुए सम्मन तथा केस को खारिज करने की प्रार्थना की. जिस पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति एमएल टहलीयानी ने कांग्रेस उपाध्यक्ष को किसी भी प्रकार की अंतरिम राहत देने से मना कर दिया. कनिष्ठ न्यायालय के सामने चल रही सुनवाई जारी रखने और उनके सामने अपनी बात विस्तार से रखने के आदेश भी दिए थे. उच्च न्यायालय से राहत न मिलने पर राहुल गांधी ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की और केस रद करने की मांग की थी. याचिका पर सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को फैसला सुनाया.

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