हर हवाई लड़ाके के आदर्श इंद्र लाल रॉय : बलिदान दिवस – 22 जुलाई 1918

19 साल की उम्र में शहीद होने वाले पायलट इंद्र लाल रॉय की बहादुरी और कुशलता को जानने के लिए बस ये एक लाइन के रिकॉर्ड काफी हैं. पहले विश्व युद्ध में रॉयल एयर फोर्स के लिए लड़ने वाले रॉय एकमात्र ‘भारतीय फ्लाइंग-एस’ हैं. फ्लाइंग-एस वर्ल्ड-वॉर वन के उन पायलट्स को कहा जाता था जो हवाई फाइट्स में कई हवाई जहाज मार गिराते थे.

कोलकाता में पैदा हुए रॉय एक बड़ी पढ़े-लिखे परिवार से आते थे. पिताजी बैरिस्टर थे और बड़े भाई ‘परेश लाल रॉय’ को ‘फादर ऑफ इंडियन बॉक्सिंग’ कहा जाता है. नाना देश के पहले ऐलोपेथिक डॉक्टर्स में से एक थे. भांजे सुब्रोतो मुखर्जी पहले भारतीय चीफ ऑफ एयर स्टाफ बने.

1. इंद्र उस वक्त केवल 19 बरस के थे, जब उन्होंने पहले विश्व युद्ध में बलिदान दे दिया. वे फ्रांस में वेस्टर्न फ्रंट पर शहीद हो गए.

2. ब्रिटेन के तीसरे सबसे प्रतिष्ठित गैलेंट्री अवॉर्ड डिस्टिंगुइश्ड फ्लाइंग क्रॉस (DFC) से नवाजा गया. वे ऐसे पहले भारतीय थे.

3. उनकी दस हवाई जीत महज 13 दिनों के भीतर आए. 6 से 19 जुलाई 1918 के बीच.

 4. उन्होंने दुश्मन के दस जहाज मार गिराए थे. जिनमें से 5 पूरी तरह बर्बाद कर दिए गए, जबकि 5 अन्य काबू से बाहर हो गए.

5. उनके भतीजे सुब्रतो मुखर्जी वायु सेना के पहले इंडियन चीफ स्टाफ बने.

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