आज विजय दिवस है। विजय दिवस प्रतीक है पाकिस्तान पर भारत के ऐतिहासिक विजय का। आज ही के दिन16 दिसंबर, 1971 को भारत ने पाकिस्तान को हराकर इतिहास रचा था। भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने पाकिस्तान सेना के प्रमुख जनरल नियाजी तथा 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने इस युद्ध के बाद घुटने टेके थे। इस युद्ध में भारतीय सेना ने देश के पूर्वी और पश्चिमी छोर पर पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे। पश्चिमी छोर पर भारत ने पाकिस्तान का एक बड़ा हिस्सा कब्जा कर लिया था। पूर्वी छोर पर भारतीय सेना ने शौर्य और पराक्रम का परिचय देते हुए पूर्वी पाकिस्तान पर नियंत्रण कर लिया और इस तरह से बांग्लादेश आज़ाद हुआ।
3 दिसंबर, 1971 की शाम को शुरू हुई लड़ाई 16 दिसंबर, 1971 को खत्म हो गई। इस लड़ाई में पाकिस्तान को उसके दुस्साहस और पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर दमन की कीमत चुकानी पड़ी। पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने इस युद्ध के बाद भारत के आगे आत्मसमर्पण कर दिया था। इस युद्ध में तत्कालीन थलसेना अध्यक्ष और चीफ ऑफ स्टाफ सैम मानेकशॉ की अगुवाई में भारतीय जवानों ने अपनी जांबाजी की अनूठी मिसाल पेश की।
थल सेना
पश्चिमी छोर पर भारतीय थल सेना ने जबर्दस्त हमला बोलते हुए पाकिस्तान के पंजाब, कश्मीर और सिंध इलाकों में पड़ने वाले करीब साढ़े पांच हजार वर्ग मील इलाके पर कब्जा कर लिया। हालांकि, जंग के बाद शिमला समझौते में भारत ने यह इलाका पाकिस्तान को वापस कर दिया। पूर्वी छोर पर भारतीय सेना ने मुक्ति वाहिनी से हाथ मिलाते हुए मित्रो वाहिनी बनाई। लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने पूर्वी पाकिस्तान में भारतीय हमले का नेतृत्व किया। भारतीय सेना ने ढाका में एयर फील्ड को फतह कर लिया। इस बीच भारतीय नौसेना ने पूर्वी पाकिस्तान की ओर जाने वाले समुद्री रास्ते को घेर लिया। महज 13 दिनों तक चली लड़ाई में पूर्वी पाकिस्तान सेना ने जनरल नियाजी के नेतृत्व में समर्पण कर दिया। इस युद्ध के पाकिस्तान के करीब एक-तिहाई सैनिक भारत द्वारा बंदी बना लिए गए।
वायु सेना
पाकिस्तान एयर फोर्स ने भारत-पाकिस्तान के बीच जंग की शुरुआत की थी। पाकिस्तानी एयर फोर्स के शुरुआती हमलों के बाद भारतीय वायुसेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। पाकिस्तान ने महज 60 विमानों के जरिए शुरू में हमले किए। भारतीय वायु सेना के जबर्दस्त हमले से पाकिस्तानी वायुसेना की हालत पतली हो गई। पूर्वी छोर पर पाकिस्तान एयर फोर्स नंबर 14 स्क्वाड्रन को भारतीय वायुसेना ने तबाह कर दिया। इसके साथ ही ढाका एयरफील्ड पर फतह हासिल हुई।
नौसेना
भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के पश्चिमी भाग पर 4-5 दिसंबर की रात को हमला किया। इस हमले का कोड ऑपरेशन ट्राइडेंट रखा गया। भारतीय जवानों ने पाकिस्तान के मुख्य युद्ध पोत पीएनएस खैबर और पीएनएस मुहाफिज को नष्ट कर दिया। पीएनएस शाहजहां को बुरी तरह नुकसान पहुंचा। पाकिस्तानी नौसेना के 720 जवान या तो मारे गए या फिर घायल हो गए। पाकिस्तान इस हमले से उबर पाता इसके पहले ही 8 और 9 दिसंबर की रात को भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन पायथन छेड़ दिया। नौसेना ने रॉकेट लॉंचर बोट की मदद से कराची की सड़कों को नुकसान पहुंचाया, जिससे अतिरिक्त सहायता मिलना बंद हो गई। नौसेना ने कराची हार्बर पर खड़े 3 कमर्शियल जहाजों को भी डुबा दिया।
पूर्वी भाग में वाइस एडमिरल कृष्णन के नेतृत्व में नौसेना ने बंगाल की खाड़ी में मोर्चा संभाल कर पूर्वी पाकिस्तान को पश्चिमी भाग से पूरी तरह अलग-थलग कर दिया। 4 दिसंबर के बाद आईएनएस विक्रांत ने पाकिस्तान के कई तटीय शहरों पर हमला बोला। पाकिस्तान ने इसके जवाब में पीएनएस गाजी को भेजा लेकिन इसे विशाखापट्टनम के पास नौसेना ने डुबा दिया।
1971की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना भारतीय फौजों के सामने सिर्फ 13 दिन ही टिक सकी। इतिहास की सबसे कम दिनों तक चलने वाली लड़ाइयों में से एक इस लड़ाई के बाद पाकिस्तान के करीब 93हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था। आधुनिक सैन्य काल में इस पैमाने पर किसी फौज के आत्मसमर्पण का यह पहला मामला था।