भीकाजी कामा जो मैडम कामा के नाम से विख्यात है, भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन एक ऐसा नाम है, जिन्होंने भारत को परतन्त्रता से मुक्त कराने के साथ-साथ विदेशों में क्रांतिकारी आन्दोलन में भी अहम योगदान दिया. एक पारसी टिप्पणीकार ने उनके बारे में कहा था उनका मन अपने आप में एक बालक की तरह अबोध है […]
हैफा (इजरायल) का युद्ध 23 सितम्बर – 1918 :- इस युद्ध में भारतीय सैनिकों की वीरता की कहानी इस्राइली किताबों में पढाई जाती है – अपने देश मे अनजान रहे कुछ भारतीय सैनिको को इजरायल मे सम्मान के साथ याद किया जाता है और उनकी वीरता की कहानी इस्राइली किताबों में पढाई जाती है. […]
अपने विचारों की स्पष्टता के साथ ही दूसरे के दृष्टिकोण को भी ठीक से सुनने, समझने एवं स्वीकार करने की क्षमता होने के कारण श्री वी.एस श्रीनिवास शास्त्री एक समय गांधी जी और लार्ड इरविन में समझौता कराने में सफल हुए। इसके लिए 4 मार्च, 1931 को वायसराय ने पत्र द्वारा उन्हें धन्यवाद दिया – गांधी जी से समझौता कराने […]
गुजरात में वकील साहब के नाम से लोकप्रिय श्री लक्ष्मण माधवराव इनामदार का जन्म 21 सितम्बर, 1917 (भाद्रपद शुदी 5, ऋषि पंचमी) को ग्राम खटाव (जिला सतारा, महाराष्ट्र) में हुआ था। इनके पूर्वज श्रीकृष्णराव खटावदार ने शिवाजी के काल में स्वराज की बहुत सेवा की थी, अतः शिवाजी के पौत्र छत्रपति शाहूजी महाराज ने उन्हें इनाम में कुछ भूमि और ‘सरदार’ की उपाधि […]
हिन्दू धर्म विश्व का सर्वश्रेष्ठ धर्म है; पर छुआछूत और ऊंचनीच जैसी कुरीतियों के कारण हमें नीचा भी देखना पड़ता है। इसका सबसे अधिक प्रकोप किसी समय केरल में था। इससे संघर्ष कर एकात्मता का संचार करने वाले श्री नारायण गुरु का जन्म 1856 ई. में तिरुअनंतपुरम् के पास चेम्बा जनती कस्बे में ऐजवा जाति के श्री मदन एवं […]
वेदों के सुप्रसिद्ध भाष्यकार पंडित श्रीपाद दामोदर सातवलेकर का जन्म 19 सितम्बर, 1867 को महाराष्ट्र के सावंतवाड़ी रियासत के कोलगाव में हुआ था। जन्मपत्री के अनुसार 16 वें वर्ष में उनकी मृत्यु का योग था; पर ईश्वर की कृपा से उन्होंने 102 की आयु पाई। वेदपाठी परिवार होने से उनके कानों में सदा वेदमंत्र गूंजते रहते थे। मामा श्री पेंढारकर के घर सावंतवाड़ी […]
कविता सुनाकर मृत्यु को गले लगाया 1857 ई0 में जबलपुर में तैनात अंग्रेजों की 52वीं रेजिमेण्ट का कमाण्डर क्लार्क बहुत क्रूर था। वह छोटे राजाओं, जमीदारों एवं जनता को बहुत परेशान करता था। यह देखकर गोण्डवाना (वर्तमान जबलपुर) के राजा शंकरशाह ने उसके अत्याचारों का विरोध करने का निर्णय लिया। राजा एवं राजकुमार दोनों अच्छे कवि थे। उन्होंने कविताओं […]
जब 1947 में भारत आजाद हो गया उसके बाद हैदराबाद की जनता भी भारत में विलय चाहती थी. पर उनके आन्दोलन को निजाम ने अपनी निजी सेना रजाकार के द्वारा दबाना शुरू कर दिया. रजाकार एक निजी सेना (मिलिशिया) थी जो निजाम ओसमान अली खान के शासन को बनाए रखने तथा हैदराबाद को नव स्वतंत्र भारत […]
’परमवीर’ ने अकेले उड़ाए थे पाक के 60 टैंक, गोली खाकर भी चलाते रहे बंदूक कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुरजोरजी तारापोर – वे जख्मी थे, फिर भी लड़ते रहे। उन्हें ऑर्डर मिले थे पीछे हटने के, पर नहीं हटे। लौटते तो अपनी जान बचा सकते थे, लेकिन उन्होंने आगे बढ़ना स्वीकारा। उन्हें गोली लगी […]
लांस नायक करम सिंह ( 15 सितम्बर 1915 – 20 जनवरी 1993 ) पंजाब के बरनाला में जन्में एक सिख थे. 1947 में हुए भारत – पाकिस्तान युद्ध में अभूतपूर्व वीरता के लिए जिन्हें भारत के सेना के वीरों को प्रदान किये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान ” परम वीर चक्र ” से सम्मानित किया गया […]