पूर्वोत्तर भारत का सुदूर अरुणाचल प्रदेश चीन से लगा होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। पहले उसे नेफा कहा जाता था। वहाँ हजारों वर्ष से रह रही जनजातियाँ सूर्य और चन्द्रमा की पूजा करती हैं; पर वे उनके मन्दिर नहीं बनातीं। इस कारण पूजा का कोई व्यवस्थित स्वरूप भी नहीं है। इसका […]
विज्ञान की अमर विभूति जगदीश चंद्र बसु का जन्म 30 नवंबर, 1858 को बिक्रमपुर हुआ था, जो अब ढाका , बांग्लादेश का हिस्सा है । आपके पिता श्री भगवान सिंह बसु डिप्टी कलेक्टर थे। पेङ-पौधों के बारे में जब उनके सवालों का उत्तर बचपन में स्पष्ट नही मिला तो वे बङे होने पर उनकी खोज […]
पूजा का अर्थ एकान्त में बैठकर भजन करना मात्र नहीं है। निर्धन और निर्बल, वन और पर्वतों में रहने वाले अपने भाइयों की सेवा करना भी पूजा ही है। अमृतलाल ठक्कर ने इसे अपने आचरण से सिद्ध कर दिखाया। उनका जन्म 29 नवम्बर, 1869 को भावनगर (सौराष्ट्र, गुजरात) में हुआ था। उनके पिता श्री विट्ठलदास ठक्कर […]
महात्मा ज्योतिबा फुले इनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के सतारा ज़िले में हुआ था. उनका असली नाम ज्योतिराव गोविंदराव फुले था. वह 19वी सदी की एक बड़े समाज सुधारक, सक्रिय प्रतिभागी तथा विचारक थे. ज्योतिबा फुले भारतीय समाज में प्रचलित जाति आधारित विभाजन और भेदभाव के खिलाफ थे उन्होंने विधवाओं और महिलाओं के कल्याण […]
‘ हँस के लिया है पाकिस्तान, लड़ के लेंगे हिन्दुस्तान’ की पूर्ति के लिए नवनिर्मित पाकिस्तान ने 1947 में ही कश्मीर पर हमला कर दिया। देश रक्षा के दीवाने संघ के स्वयंसेवकों ने उनका प्रबल प्रतिकार किया। उन्होंने भारतीय सेना, शासन तथा जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरिसिंह को इन षड्यन्त्रों की समय पर सूचना दी। इस गाथा […]
कहते हैं कि किसी समय भारत में दूध-दही की नदियां बहती थीं; पर फिर ऐसा समय भी आया कि बच्चों तक को शुद्ध दूध मिलना कठिन हो गया। इस समस्या को चुनौती के रूप में स्वीकार करने वाले श्री वर्गिस कुरियन का जन्म 26 नवम्बर, 1921 को कोझीकोड (केरल) में हुआ था। मैकेनिकल इंजीनियर की पढ़ाई […]
मेजर रामास्वामी परमेश्वरन भारत और श्रीलंका के बीच हुए अनुबंध के तहत भारतीय शांति सेना में 30 जुलाई 1987 को श्रीलंका पहुचे. इस अभियान को “ऑपरेशन पवन” नाम दिया गया. वहां पहुचते ही उन्हें कई मोर्चो पर तमिल टाइगर्स का सामना करना पड़ा. 24 नवम्बर 1987 उनकी बटालियन को सुचना मिली कि एक गाँव मे […]
लाचित बोड़फुकन की वीरता के कारण मुग़ल नहीं कर पाए थे पूर्वोत्तर भारत पर कब्ज़ा असम के लोग तीन महान व्यक्तियों का बहुत सम्मान करते हैं। प्रथम, श्रीमंत शंकर देव, जो पन्द्रवीं शताब्दी में वैष्णव धर्म के महान प्रवर्त्तक थे। दूसरे, लाचित बरफुकन, जो असम के सबसे वीर सैनिक माने जाते हैं। और तीसरे, लोकप्रिय […]
विज्ञान की अमर विभूति जगदीश चंद्र बसु का जन्म 30 नवंबर, 1858 को बिक्रमपुर हुआ था, जो अब ढाका , बांग्लादेश का हिस्सा है । आपके पिता श्री भगवान सिंह बसु डिप्टी कलेक्टर थे। पेङ-पौधों के बारे में जब उनके सवालों का उत्तर बचपन में स्पष्ट नही मिला तो वे बङे होने पर उनकी खोज […]
भारत की स्वाधीनता के लिए 1857 में हुए संग्राम में पुरुषों के साथ महिलाओं ने भी कन्धे से कन्धा मिलाकर बराबर का सहयोग दिया था। कहीं-कहीं तो उनकी वीरता को देखकर अंग्रेज अधिकारी एवं पुलिसकर्मी आश्चर्यचकित रह जाते थे। ऐसी ही एक वीरांगना थी झलकारी बाई, जिसने अपने वीरोचित कार्यों से पुरुषों को भी पीछे […]