मंगल पांडे भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे. उनके द्वारा भड़काई गई क्रांति की ज्वाला से अंग्रेज़ शासन बुरी तरह हिल गया. हालाँकि अंग्रेजों ने इस क्रांति को दबा दिया पर मंगल पांडे की शहादत ने देश में जो क्रांति के बीज बोए उसने अंग्रेजी हुकुमत को 100 साल के अन्दर ही भारत […]
सिख पन्थ के दूसरे गुरु अंगददेव का असली नाम ‘लहणा’ था। उनकी वाणी में जीवों पर दया, अहंकार का त्याग, मनुष्य मात्र से प्रेम, रोटी की चिन्ता छोड़कर परमात्मा की सुध लेने की बात कही गयी है। वे उन सब परीक्षाओं में सफल रहे, जिनमें गुरु नानक के पुत्र और अन्य दावेदार विफल हो गये […]
भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अनेक ऐसे वीरों ने भी बलिदान दिया, जिन्हें गलत समझा गया। 1981 में ग्राम बड़ी मढ़ौली (अम्बाला, पंजाब) में पण्डित गंगाराम के घर में जन्मे काशीराम ऐसे ही क्रान्तिवीर थे, जिन्हें डाकू समझ कर अपने देशवासियों ने ही मार डाला। शिक्षा पूरी कर काशीराम ने भारत में एक-दो छोटी नौकरियाँ कीं […]
आज पूरी दुनिया लगातार बढ़ रही वैश्विक गर्मी से चिन्तित है। पर्यावरण असंतुलन, कट रहे पेड़, बढ़ रहे सीमेंट और कंक्रीट के जंगल, बढ़ते वाहन, ए.सी, फ्रिज, सिकुड़ते ग्लेशियर तथा भोगवादी पश्चिमी जीवन शैली इसका प्रमुख कारण है। हरे पेड़ों को काटने के विरोध में सबसे पहला आंदोलन पांच सितम्बर, 1730 में राजस्थान में इमरती […]
क्रांतिकारी पत्रकार श्री गणेशशंकर ‘विद्यार्थी’ का जन्म 1890 ई0 (आश्विन शुक्ल 14, रविवार, संवत 1947) को प्रयाग के अतरसुइया मौहल्ले में अपने नाना श्री सूरजप्रसाद श्रीवास्तव के घर में हुआ था। इनके नाना सहायक जेलर थे। इनके पुरखे हथगांव (जिला फतेहपुर, उत्तर प्रदेश) के मूल निवासी थे; पर जीवनयापन के लिए इनके पिता मुंशी जयनारायण […]
उत्तर प्रदेश में बरेली और उसका निकटवर्ती क्षेत्र पांचाल क्षेत्र कहलाता है। जन मान्यता यह है कि महाभारत काल में द्रौपदी (पांचाली) का स्वयंवर इसी क्षेत्र में हुआ था। आगे चलकर विदेशी मुस्लिम रुहेलों ने इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया, इससे यह क्षेत्र रुहेलखण्ड भी कहलाया। जब 1857 की क्रान्ति का बिगुल बजा, तो […]
भगत सिंह, शिवराम हरि राजगुरु, सुखदेव थापर भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने देश की आज़ादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया, वह आज के युवकों के लिए एक बहुत बड़ा आदर्श है। इन्होंने केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप इन्हें 23 मार्च 1931 […]
भारत ही नहीं, तो विश्व भर में हिन्दू धर्मग्रन्थों को शुद्ध पाठ एवं छपाई में बहुत कम मूल्य पर पहुँचाने का श्रेय जिस विभूति को है, उन श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार (भाई जी) का जन्म शिलांग में 17 सितम्बर, 1892 को हुआ था। उनके पिता श्री भीमराज तथा माता श्रीमती रिखीबाई थीं। दो वर्ष की […]
खगोलशास्त्र का अर्थ है ग्रह, नक्षत्रों की स्थिति एवं गति के आधार पर पँचांग का निर्माण, जिससे शुभ कार्यों के लिए उचित मुहूर्त निकाला जा सके। इस क्षेत्र में भारत का लोहा दुनिया को मनवाने वाले वैज्ञानिक आर्यभट के समय में अंग्रेजी तिथियाँ प्रचलित नहीं थीं। अपने एक ग्रन्थ में उन्होंने कलियुग के 3,600 वर्ष […]
मण्डला (म.प्र.) के रामगढ़ राज्य की रानी अवन्तीबाई ने एक बार राजा विक्रमजीत सिंह से कहा कि उन्होंने स्वप्न में एक चील को आपका मुकुट ले जाते हुए देखा है। ऐसा लगता है कि कोई संकट आने वाला है। राजा ने कहा, हाँ, वह संकट अंग्रेजों की ओर से आ रहा है; पर मेरी रुचि […]