देवातात्मा हिमालय अध्यात्म प्रेमियों की तरह खतरों के खिलाडि़यों को भी अपनी ओर आकृष्ट करता है। 8,848 मीटर ऊंचे, विश्व के सर्वोच्च पर्वत शिखर सागरमाथा (माउंट एवरेस्ट) पर नेपाली शेरपा तेनसिंग तथा सर एडमंड हिलेरी सर्वप्रथम चढ़ने वाले साहसी पर्वतारोही थे। तेन्जिंग नॉरगे और एडमंड हिलेरी दक्षिण-पूर्वी पर्वत क्षेत्र में 8,504 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अपने […]
विनायक दामोदर सावरकर का जन्म ग्राम भगूर (जिला नासिक, महाराष्ट्र) में 28 मई, 1883 को हुआ था। छात्र जीवन में इन पर लोकमान्य तिलक के समाचार पत्र ‘केसरी’ का बहुत प्रभाव पड़ा। इन्होंने भी अपने जीवन का लक्ष्य देश की स्वतन्त्रता को बना लिया। 1905 में उन्होंने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आन्दोलन चलाया। जब […]
कुपवाड़ा जिले के नौगाम सेक्टर में चार आतंकियों को घुसपैठ करते हुए देखा गया. उन पर लगातार नजर रखी जा रही थी. साबू पोस्ट पर तैनात हंगपन दादा को सूचित किया गया कि मीरा नार से साबू की तरफ चार आतंकियों की ‘हरकत’ देखी गई है. दादा को उनकी टीम के साथ मीरा नार की […]
आज तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का साहित्य हर भाषा में प्रचुर मात्रा में निर्माण हो रहा है; पर इस कार्य के प्रारम्भ में जिन कार्यकर्ताओं की प्रमुख भूमिका रही, उनमें हो.वे. शेषाद्रि जी (श्री होंगसन्द्र वेंकटरमैया शेषाद्रि) नाम शीर्ष पर है। 26 मई, 1926 को बंगलौर में जन्मे शेषाद्रि जी 1943 में स्वयंसेवक बने। 1946 […]
बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध में प्रत्येक देशवासी के मन में भारत माता की दासता की बेडि़याँ काटने की उत्कट अभिलाषा जोर मार रही थी। कुछ लोग शान्ति के मार्ग से इन्हें तोड़ना चाहते थे, तो कुछ जैसे को तैसा वाले मार्ग को अपना कर बम-गोली से अंग्रेजों को सदा के लिए सात समुन्दर पार भगाना […]
सिर्फ 19 साल की उम्र में देश के लिए शहीद होने वाले करतार सिंह सराभा भी शामिल हैं। उनका जन्म 24 मई, 1896 को हुआ था। मेट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए करतार सिंह अमेरिका चले गए। वहां उन्होंने जब मजदूरों के साथ नस्लीय भेदभाव होते देखा तो अंग्रेजों के खिलाफ […]
1857 का स्वाधीनता संग्राम देश के अधिकांश भागों में लड़ा गया था। इसके संचालन का मुख्य केन्द्र उत्तर प्रदेश में कालपी नगर था। वहाँ यमुना नदी की ऊँची कगार पर बने दुर्ग में इस क्रान्ति का नियन्त्रण कक्ष था। दुर्ग के एक भूमिगत कक्ष में हथियार बनाये जाते थे। क्रान्तिवीरों का कोषागार भी यहीं था। […]
पांच जनवरी, 1665 को सूर्यग्रहण के अवसर पर शिवाजी महाराज ने माता जीजाबाई के साथ महाबलेश्वर मन्दिर में पूजा की। फिर वे दक्षिण के विजय अभियान पर निकल गये। तभी उन्हें सूचना मिली कि मिर्जा राजा जयसिंह और दिलेर खाँ पूना में पुरन्दर किले की ओर बढ़ रहे हैं। शिवाजी दक्षिण अभियान को स्थगित करना […]
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक और झारखंड प्रान्त के कार्यकर्ताओं के प्रेरणा स्तम्भ राजाभाऊ का जन्म ग्राम डेहणी (यवतमाल, महाराष्ट्र) में श्री पाण्डुरंग सावरगाँवकर के घर में 21 मई, 1920 को हुआ था। उनके जन्म वाले दिन नृसिंह चतुर्दशी थी। इसलिए उनका नाम नरहरि रखा गया। इस प्रकार उनका पूरा नाम हुआ नरहरि पांडुरंग सावरगाँवकर; […]
भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रतिष्ठित नेता और बंगाल पुनर्जागरण के मुख्य वास्तुकार बिपिन चंद्र पाल का जन्म 7 नवंबर, 1858 को आज के बांग्लादेश में हुआ था. संपन्न हिंदू वैष्णव परिवार से संबंधित बिपिन चंद्र पाल एक राष्ट्रभक्त होने के साथ-साथ एक उत्कृष्ट वक्ता, लेखक और आलोचक भी थे. पाल उन महान विभूतियों में शामिल हैं […]