9-3-2018
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में सरकार्यवाह द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन – 2018
(1). केरल – प्रवासी कार्यकर्ता शिविर – पू. सरसंघचालक जी के प्रवास को निमित्त बनाकर प्रांत के प्रवासी कार्यकर्ताओं का त्रि-दिवसीय शिविर आयोजित किया गया. 7032 अपेक्षित कार्यकर्ताओं में से 4308 कार्यकर्ताओं की उपस्थिति (62%) रही. कार्यक्रम में प्रत्येक जिला एक नया गीत बनाकर लाए, ऐसी योजना बनी थी. कुल 37 नए गीतों की रचना हुई. शिविर में संघकार्य का विकास और सामाजिक परिस्थिति तथा केरल का इतिहास दर्शाने वाली प्रदर्शनी लगाई गई थी. समापन कार्यक्रम में व्यायामयोग, घोष, दंड इत्यादि का प्रदर्शन हुआ. 400 स्वयंसेवकों ने ‘‘सतत दंड प्रयोग’’ में दंड के 15 प्रयोग प्रस्तुत किये.
26 जनवरी, गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम विद्यालय परिसर में सरसंघचालक जी की उपस्थिति में संपन्न हुआ.
(2). द. तमिलनाडु – प्रौढ़ साप्ताहिक मिलन सांघिक – कन्याकुमारी जिले में अपने कार्य में निरंतर वृद्धि हो रही है. विशेष प्रयासों के तहत प्रौढ़ साप्ताहिक मिलन पर ध्यान केंद्रित किया गया. वर्तमान में जिले में 106 प्रौढ़ मिलन चल रहे हैं. नवंबर मास में कोलनकोड में प्रौढ़ मिलन सांघिक आयोजित किया गया, जिसमें 82 साप्ताहिक मिलन से 367 स्वयंसेवक उपस्थित रहे. प्रौढ़ स्वयंसेवकों को ध्यान में रखकर विशेष प्रकार के शारीरिक, बौद्धिक कार्यक्रमों पर विचार हो रहा है.
विशेषतः कुटुंब प्रबोधन व समरसता के साथ ही स्थानीय सामाजिक प्रश्नों के समाधान की दिशा में प्रौढ़ स्वयंसेवकों की क्या भूमिका हो सकती है, इस पर योजना बन रही है.
छोटे व्यवसाय करने वालों के साथ ही चिकित्सक, इंजीनियर्स, अवकाश प्राप्त शासकीय कर्मचारियों का सहभाग बढ़ रहा है.
(3). तेलंगाणा – विजयदशमी उत्सव विशेष प्रयोग – भाग्यनगर महानगर में प्रतिवर्ष विजयदशमी उत्सव पर जिलाशः पथसंचलन होता था. इस वर्ष सभी दो विभागों और 10 जिलों का एक ही सामूहिक उत्सव संपन्न हुआ. इसे निमित्त बनाकर भविष्य में सभी बस्तियाँ कार्ययुक्त हों, इस दृष्टि से बस्तिशः सूचियाँ और गट व्यवस्था पर ध्यान दिया.
उत्सव में प्रत्येक बस्ती से न्यूनतम 10 संख्या रहे, ऐसा प्रयास किया गया. महानगर में कुल 765 बस्तियों में से 626 बस्तियों से (82%) 7397 स्वयंसेवक पूर्ण गणवेष में पथसंचलन में सम्मिलित हुए. विजयदशमी उत्सव में 11,000 से अधिक स्वयंसेवकों की उपस्थिति रही. लगभग 900 माता-भगिनियों की भी उपस्थिति रही.
(4). आंध्रप्रदेश – महाविद्यालयीन विद्यार्थी कार्य – इस वर्ष प्रांत में विभागश: महाविद्यालयीन छात्रों के शिविर संपन्न हुए. शाखा, साप्ताहिक मिलन एवं श्रेणी बैठकों में वृद्धि हो यह ध्यान में रखकर योजना बनाई गई. कुल 11 शिविर संपन्न हुए, जिसमें 585 महाविद्यालयों से 4641 विद्यार्थी पूर्ण गणवेष में सहभागी हुए. 48 विद्यार्थी अल्पकालीन विस्तारक बने है. इन सारे प्रयासों के परिणामस्वरूप शाखाएँ 98 से 139, साप्ताहिक मिलन 33 से 136 और 111 मासिक बैठकें प्रारंभ हुई हैं. प्राथमिक शिक्षा वर्ग में 808 महाविद्यालयीन और 68 व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के स्वयंसेवक सहभागी हुए.
(5). कोंकण – हिन्दू चेतना संगम – प्रांत में इस वर्ष 7 जनवरी, 2018 को एक वैशिष्ट्यपूर्ण कार्यक्रम ‘‘हिन्दू चेतना संगम – सज्जन शक्ति सर्वत्र’’ आयोजित किया गया. इसकी विशेषता यह रही कि एक ही दिन प्रांत के सभी खंडों तथा नगरों में तरुण स्वयंसेवकों का गणवेष में एकत्रीकरण. कुल 255 स्थानों पर एकत्रीकरण हुए. उसमें 506 मंडलों से, 2372 बस्तियों से और 1471 ग्रामों से 34,448 स्वयंसेवक उपस्थित रहे. कार्यक्रम में अन्य 48,814 पुरुष एवं 24,268 महिलाओं की भी उपस्थिति रही.
मंडल तथा बस्ती कार्ययुक्त हो, इस दृष्टि से यह आयोजन सफल रहा. कार्यक्रम में कुल 89% मंडल, 85% नगरीय बस्ती एवं प्रांत के 25 प्रतिशत ग्रामों का प्रतिनिधित्व रहा.
अनुवर्तन की दृष्टि से बस्ती तथा मंडलों में भारतमाता पूजन के कार्यक्रम संपन्न हुए हैं. व्यवसायी स्वयंसेवकों के लिए विभाग स्तर पर प्राथमिक शिक्षा वर्ग और सभी नये स्वयंसेवकों के लिये संघ परिचय वर्गों का आयोजन करने की योजना बन रही है.
(6). पश्चिम महाराष्ट्र – संत संगम – 2016 में संपन्न ‘‘शिवशक्ति संगम’’ और गत 3 वर्षों से ‘‘निर्मलवारी’’ (प्रति वर्ष आषाढ़ मास में लाखों भक्त पंढरपुर की पदयात्रा करते हैं) शीर्षक के तहत यात्रा मार्ग की स्वच्छता का प्रयास विविध धार्मिक, सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से हजारों स्वयंसेवक करते हैं. इसमें अनेक संत-महंतों से अच्छा संपर्क हुआ है. यह संपर्क अधिक सघन हो और ऐसे धर्माचार्य, पंथ, संप्रदायों के प्रमुख अपने परिवर्तन के कार्य में सहभागी होते जाएँ इस दृष्टि से ‘‘धर्माचार्य संपर्क’’ का कार्य प्रारंभ हुआ.
प्रांत की सूची में 400 धर्माचार्य हैं. 18 जनवरी, 2018 को श्री क्षेत्र पंढरपुर में पू. सरसंघचालक जी की उपस्थिति में ‘‘संत संगम’’ का आयोजन किया गया, जिसमें कुल 327 संत, धर्माचार्य सम्मिलित हुए. 35 प्रमुख संतों की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय है.
मंदिरों की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका और सामाजिक परिवर्तन में संतों का सहभाग – ऐसे दो विषयों पर अच्छी चर्चा हुई. कार्यक्रम के पश्चात् अनुवर्तन के प्रयास भी प्रारंभ हुए हैं. सरसंघचालक जी की उपस्थिति में संपन्न यह ‘‘संत संगम’’ निश्चित ही परिणामकारी सिद्ध होगा.
(7). मध्यभारत –
1). महाविद्यालय परिसर में स्वामी विवेकानंद दिवस – स्वामी विवेकानंद जी का जीवन और विचार हमेशा ही समाज हेतु और विशेषतः युवाओं के लिए प्रेरक रहे हैं. स्वामी विवेकानंद जी का जीवन केंद्रबिंदु में रखकर प्रांत के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के परिसर में 1 से 5 जनवरी, 2018 तक कार्यक्रम करने की योजना बनी. चयनित महाविद्यालयों की सूची बनी और प्रत्येक महाविद्यालय में कार्यकर्ताओं की टोली का निर्माण हो, ऐसा प्रयास किया गया. कार्यक्रम के स्वरूप में भारत जागो दौड़, कविता पाठ, भाषण प्रतियोगिता, परिसर में चित्र अनावरण एवं उद्बोधन आदि कार्यक्रम हुए. प्रांत में 27 जिलों के 112 महाविद्यालयों तथा संस्थाओं में कार्यक्रम संपन्न हुए, जिनमें 11,213 छात्र-छात्राएँ और 213 प्राध्यापक बंधु सम्मिलित हुए.
2). जागरण श्रेणी कार्यक्रम, विदिशा – विदिशा नगर में 5 उपनगर, 20 बस्तियाँ और 118 मोहल्ले हैं. नगर की जनसंख्या 1 लाख 87 हजार है. जागरण कार्यक्रम मोहल्ला तथा बस्तिशः हों, ऐसी योजना बनाई गई. कार्यक्रम की सफलता हेतु बस्ती, मोहल्ला, उपनगर स्तर पर विभिन्न प्रकार की 493 बैठकों का आयोजन किया गया. पश्चात् मोहल्लाशः 290 कार्यक्रम हुए, जिनमें 14,130 महिला, पुरुष सहभागी हुए. बस्तीशः 20 कार्यक्रम हुए, जिसमें 7994 और उपनगरों के 25 कार्यक्रमों में 15071 नागरिक महिला, पुरुष सहभागी हुए. संपूर्ण नगर में कुल 415 कार्यक्रमों में 37,196 नागरिक सहभागी हुए, जिनमें 12,100 माताओं की उपस्थिति विशेष है.
उपरोक्त कार्यक्रम में लगे कार्यकर्ताओं का एक सम्मेलन सरसंघचालक जी की उपस्थिति में 12 जनवरी, 2018 को संपन्न हुआ, जिसमें अन्य पदाधिकारियों सहित कुल 3472 कार्यकर्ता उपस्थित रहे.
(8). महाकौशल –
1). छतरपुर विभाग एकत्रीकरण – छतरपुर विभाग के स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण 7 जनवरी, 2018 को संपन्न हुआ. योजना हेतु 262 बैठकें हुईं एवं 98 कार्यकर्ता एक सप्ताह के लिए विस्तारक गए. एकत्रीकरण में 313 मंडलों से 860 ग्रामों का प्रतिनिधित्व रहा. कार्यक्रम में 5588 स्वयंसेवक गणवेष में तथा 2230 नागरिक उपस्थित थे. वर्तमान में 20 नए मंडल शाखायुक्त और 24 नए मंडल संपर्कयुक्त हुए हैं. 30 नए शाखा स्थान बढ़े हैं.
2). राष्ट्रशक्ति सम्मेलन, पातालकोट (छिन्दवाड़ा) – छिन्दवाड़ा जिले के पातालकोट परिसर में, जो भारिया, गोंड, मवासी आदि जनजातियों के निवास का क्षेत्र है, 23 जनवरी, 2018 को एक राष्ट्रशक्ति सम्मेलन संपन्न हुआ, जिसमें 90 ग्रामों से 9,245 पुरुष एवं 4,500 महिलाएँ सम्मिलित हुईं. कार्यक्रम में ‘‘पंच माता संरक्षण’’ का संकल्प लिया गया. जननी, नर्मदामाता, धरतीमाता, गौमाता और भारतमाता, ये पंचमाताएँ है. संतमहानुभावों की उपस्थिति में संपन्न इस समारोह में 32 ग्राम वैद्यों का भी सम्मान किया गया.
(9). चित्तौड़ –
1). सामाजिक समरसता बैठकें – प्रांत में ग्रामीण क्षेत्र के शाखा स्थान, साप्ताहिक मिलन एवं संघ मंडली के स्थानों में सामाजिक समरसता बैठकें संपन्न हों, ऐसी योजना बनी. स्थानों का निर्धारण और कार्यकर्ताओं का चयन और प्रशिक्षण किया गया.
प्रांत में 1355 स्थानों पर बैठकें संपन्न हुईं. जिनमें 26,764 पुरुष और 549 महिलायें सहभागी हुई. अधिकतम 35 समूहों के बंधु सम्मिलित हुए. एक कुंआ, एक शमशान तथा मंदिर प्रवेश इन विषयों के साथ ही मतांतरण, लव जेहाद, जनसंख्या असंतुलन आदि विषयों पर भी सार्थक चर्चा हुई. अनुवर्तन की दृष्टि से 127 ग्रामों में संयोजक भी तय हुए हैं.
2). विस्तारक योजना – प्रांत में 24 से 31 दिसंबर, 2017 तक अल्पकालीन विस्तारक योजना बनी थी. कुल 1,356 ग्रामों में विस्तारक गए, जिसमें 682 नए स्थान और 327 मुख्य मार्ग के ग्राम थे. कुल विस्तारक संख्या 3,819 रही. 143 विस्तारक 7 दिन से अधिक का समय देने वाले थे. नगरीय विस्तारक योजना अभी बाकी है.
(10). जयपुर – ‘‘स्वर गोविंदम्’’ घोष शिविर – 5 नवंबर, 2017 को जयपुर में ‘स्वर गोविंदम्’ घोष शिविर संपन्न हुआ.108 खंड एवं नगरों से 1,251 घोषवादक सहभागी हुए.
शिविर में 108 राजस्थानी वाद्यों की प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रही. घोषवादकों का द्वि-धारा संचलन प्रभावी रहा. 6 कि.मी. के संचलन मार्ग पर 48 घंटे परिश्रम करते हुए 2,200 महिला-पुरुष कार्यकर्ताओं ने 1 लाख 55 हजार वर्ग फीट की रंगोली का निर्माण किया.
सार्वजनिक समारोह के साक्षी बने 33,000 महिला-पुरुष, प्रचार माध्यम के समूहों ने सरसंघचालक जी के साथ इस भव्य पथसंचलन का अवलोकन किया.
(11). दिल्ली – कार्यविस्तार – दिल्ली प्रांत कार्यविस्तार योजना के तहत 508 शाखाओं की वृद्धि हुई है, जो 28.5% है. इसके लिए सभी शाखाओं में वार्षिकोत्सव हो, यह आग्रह रखा गया. 92% शाखाओं के वार्षिकोत्सव संपन्न हुए. 86.5% शाखाओं ने न्यूनतम एक उपक्रम किया है.
(12). हरियाणा –
1). समग्र ग्राम विकास योजना के तहत ‘जैविक कृषि’ विषय को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें 1200 कृषक सहभागी हुए.
2). गुरुग्राम में त्रि-दिवसीय बस्ती प्रमुखों का शिविर संपन्न हुआ. शिविर के निमित्त पूरे प्रांत में 1,049 बस्तियों में से 841 बस्ती प्रमुख निश्चित हुए. शिविर में 587 कार्यकर्ता उपस्थित रहे.
3). पलवल जिले का समरस गंगा महोत्सव – पलवल जिले में 2017 को गंगा महोत्सव संपन्न हुआ. जिले के सभी 298 ग्रामों का प्रतिनिधित्व हुआ. 47 शहीदों के ग्रामों से और पलवल नगर के 60 मंदिरों से मिट्टी के कलश लेकर यात्राएँ निकाली गईं. इस निमित्त 700 बैठकें हुईं. परिणामतः महोत्सव में 18,000 भाई-बहनें सहभागी हुए. अपने कार्य की दृष्टि से सभी मंडलों से 1000 स्वयंसेवक गणवेश में उपस्थित रहे. शारीरिक प्रदर्शन भी प्रभावी रहा. अवकाश प्राप्त मेजर जनरल जी. डी. बख्शी और संतश्रेष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेवजी की प्रेरक उपस्थिति में यह महोत्सव संपन्न हुआ.
(13). मेरठ – ‘‘राष्ट्रोदय स्वयंसेवक समागम’’ बहुत ही उत्साह के साथ संपन्न हुआ. समागम में सभी मंडल (987) एवं बस्तियों (1553) से, 7649 गावों से 1,45,322 स्वयंसेवकों ने सहभाग लिया. उसमें 1,01,712 स्वयंसेवक 40 वर्ष से कम आयु के युवा थे. गत कुछ वर्षों से सभी मंडल कार्ययुक्त हों, ऐसा प्रयास चल रहा था.
इसके परिणामस्वरूप इस कार्यक्रम को सफलता मिली. इस समागम के लिये 3 जिलों के 3 लाख परिवारों से 6 लाख ‘फूड पॅकेटस्’ एकत्रित किये गये थे.
(14). दक्षिण बिहार – पटना महानगर में सभी बस्तीयाँ कार्ययुक्त हों, संपर्कयुक्त हों, इस दृष्टि से दिसंबर 2017 से बृहद प्रयास प्रारंभ किये गये. 11 फरवरी, 2018 को सरसंघचालक जी की उपस्थिति में अधिकाधिक बस्तियों का प्रतिनिधित्व हो, ऐसा एक एकत्रीकरण तय किया गया. उसके लिए विस्तारक योजना, बस्तीशः बैठक, बस्तीशः स्वयंसेवकों की सूची बनाकर तैयारी प्रारंभ हुई. 4 फरवरी को नगरशः एकत्रीकरण हुए, जिनमें 206 बस्तियों में से 156 बस्तियों का प्रतिनिधित्व हुआ. 11 फरवरी के एकत्रीकरण में 194 बस्तियों से 3,950 स्वयंसेवक उपस्थित रहे. 50 माता-बहनें भी उपस्थित रहीं. पटना महानगर की कार्यवृद्धि की दृष्टि से यह कार्यक्रम उपयुक्त सिद्ध हुआ है.
(15). दक्षिण बंग –
1). श्री रामनवमी उद्यापन – गत अप्रैल 2017 में श्री रामनवमी के अवसर पर अभूतपूर्व जनजागरण कार्यक्रम संपन्न हुआ. 210 स्थानों पर शोभायात्राएँ निकाली गईं. जिनमें 18 लाख नागरिक सहभागी हुए.
2). स्वामी विवेकानंद जी के शिकागो भाषण के 125 वर्ष पूर्ण हुए, उस निमित्त से सितंबर मास में प्रांत में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. 85 लाख पुस्तिकाएँ और 13 लाख चिपकियाँ (Stickers) वितरित की गईं. इस अवसर पर आयोजित साइकिल यात्रा में 30,000 और मोटरसाइकिल यात्रा में 43,300 से अधिक युवक सहभागी हुए. संपन्न हुई सभाओं में 1.75 लाख नागरिक उपस्थित रहे. 4 लाख से अधिक गृह संपर्क किया गया. इस कार्यक्रम में 412 खंडों में से 382 खंड, 3365 मंडलों में से 1805 मंडल में संपर्क किया गया. परिणामतः 300 साप्ताहिक मिलन की वृद्धि हुई.
(16). उत्तर असम – लुइतपरिया हिन्दू समावेश – उत्तर असम प्रांत के स्वयंसेवकों का विशाल समावेश गुवाहाटी में 21 जनवरी, 2018 को संपन्न हुआ. 239 खंडों से (96%), 46 नगरों से, 1511 मंडलों से (70%) और नगर/महानगर की 90% बस्तियों से प्रतिनिधित्व रहा. पूर्ण गणवेष में स्वयंसेवकों की कुल उपस्थिति 31,351 थी. हिन्दू समावेश में 35,000 नागरिकों की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय है.
विशेष मंच पर 65 संत, सत्राधिकारों की और 75 गणमान्य नागरिकों की गरिमामयी उपस्थिति संघ कार्य की स्वीकार्यता का ही द्योतक है. कार्यक्रम की सफलता हेतु गुवाहाटी महानगर के 14 हजार परिवारों का सहयोग अभूतपूर्व रहा. विभिन्न जनजाति, भाषाभाषी, पंथ-संप्रदायों के महानुभावों की उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा ध्यान में आती है. प्रसार माध्यमों का सहयोग अत्यंत सकारात्मक रहा है. केवल उत्तर असम के ही नहीं तो सारे पूर्वोत्तर क्षेत्र के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने वाला यह कार्यक्रम सिद्ध हुआ है.
कार्यक्रम के पश्चात् संपन्न कार्यकर्ता बैठक में 840 कार्यकर्ता उपस्थित रहे. समावेश और कार्यकर्ता बैठक में सरसंघचालक जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ.
(17). दक्षिण असम – अगरतला में संपन्न हिन्दू सम्मेलन:- 17 सितंबर, 2017 को त्रिपुरा राज्य की राजधानी अगरतला में विशाल हिन्दू सम्मेलन संपन्न हुआ. जून 2017 से कार्यक्रम की पूर्व तैयारियाँ प्रारंभ हुई थीं. सभी ग्राम पंचायतों तक पहुँचना और अधिकतम ग्रामों का प्रतिनिधित्व हो, यह प्रयास रहा. कुल सभी जनजाति समूहों से संपर्क की योजना बनाई गई. गुरुपूजन, रक्षाबंधन तथा विजयादशमी के निमित्त कार्यक्रम क्रमबद्ध होते गए.
गृह बैठकें, संघ परिचय वर्ग आदि के माध्यम से नए स्थान और नए-नए परिवारों तक पहुँचने का प्रयास किया गया. प्रचार के प्रचलित माध्यमों का उपयोग न करते हुए संपर्क के द्वारा ही कार्यक्रम का निमंत्रण पहुँचाया गया. कार्यक्रम की श्रृंखला में घर पर भगवाध्वज लगाने का कार्यक्रम हुआ. 2 दिन में 1 लाख से अधिक घरों तक पहुँचने में सफल हुए.
सरसंघचालक जी की उपस्थिति में यह विशाल सम्मेलन संपन्न हुआ. राज्य के 1043 ग्रामों में से 505 ग्रामों का प्रतिनिधित्व रहा. कुल 3346 गृह बैठकें हुईं, जिनमें 15 हजार की उपस्थिति रही. सम्मेलन में लगभग 26,000 हिन्दू सम्मिलित हुए. 800 से अधिक कार्यकर्ताओं की सक्रियता रही.
पूर्वोतर के त्रिपुरा राज्य में संपन्न सम्मेलन सभी दृष्टि से परिणामकारक रहा है.
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