जयपुर (विसंके). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा कि आत्म विस्मृति और आत्महीनता की स्थिति से हिंदू समाज को दूर करने के लिये अपने संस्कारों और मूल्यों को हृदय में पुनर्जीवित करना होगा. सरसंघचालक मंगलवार को हरिश्चंद्र माथुर लोक प्रशासन संस्थान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से आयोजित संत समागम को संबोधित कर रहे थे.
समस्त राजस्थान से आए संतों को सम्बोधित करते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि हमारा देश संतों की वाणी को परंपरा से ही सत्य मानने वाला देश है. संत अपनी तपस्या की शक्ति से हिंदू समाज को एकत्रित कर उसे जागृत कर सकते हैं. समाज जागरण के लिये संत समाज जो भी कार्य करता है, उसका बहुत सकारात्मक परिणाम सामने आता है. उन्होंने कहा कि हिंदू समाज की दुर्बलता एवं निद्रा के कारण देश में ऐसे लोग आगे बढ़ रहे हैं, जिन्हें देश, समाज व संस्कृति की अनुभूति नहीं है.
सरसंघचालक ने संत समागम की प्रस्तावना में बताया कि कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों में कुटुम्ब प्रबोधन, समरसता और परावर्तन के माध्यम से भारत को विश्वगुरु एवं परम वैभव के शिखर पर ले जाने के मार्ग पर चिंतन-विमर्श किया जाएगा.
सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने भारत मात के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का प्रारम्भ किया. इस अवसर पर सभी संतों का श्रीफल देकर एवं शॉल ओढ़ा कर अभिनंदन किया गया.