मुंबई (विसं केंद्र) : राहुल गांधी की तरफ से मुंबई उच्च न्यायालय में दायर याचिका को खारिज करते हुए, न्यायालय ने उन्हें कोई भी अंतरिम राहत देने से अथवा कनिष्ठ न्यायालय के काम में दखलअंदाजी करने से इंकार कर दिया है. लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान ठाणे जिले के भिवंडी शहर में प्रचार सभा के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर गलत बयानबाजी करने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष को यह तगड़ा झटका है.
भिवंडी प्रचार सभा में राहुल गांधी ने महात्मा गांधी की हत्या संघ के लोगों ने की, ऐसा वक्तव्य दिया था. जिसके खिलाफ संघ के भिवंडी तालुका कार्यवाह राजेश कुंटे ने भिवंडी प्रथम वर्ग न्यायदंडाधिकारी के पास शिकायत कर बदनामी याचिका दायर की थी. कुंटे की तरफ से अधिवक्ता गणेश धारगलकर ने पक्ष रखा.
न्यायदंडाधिकारी के सामने प्रारंभिक सुनवाई के दौरान राहुल गांधी पर लगाए गये आरोपों की पुष्टि होने के कारण उनके खिलाफ सम्मन जारी किया गया और न्यायालय के सामने उपस्थित रहने के आदेश दिये गये. जिसके खिलाफ राहुल गांधी ने मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर कर अपने खिलाफ जारी हुए सम्मन तथा केस को खारिज करने की प्रार्थना उच्च न्यायालय से की थी. जिस पर मंगलवार, दिनांक 9 मार्च को सुनवाई हुई. वरिष्ठ विधिज्ञ चिमा ने गांधी का पक्ष रखा और वरिष्ठ विधिज्ञ विष्णु कोकजे, विनायक दीक्षित, राम आपटे और अधिवक्ता अनिरुद्ध गर्गे ने प्रतिपक्ष की भूमिका से न्यायालय को अवगत कराया.
जिस पर न्यायमूर्ति एमएल टहलीयानी ने मंगलवार सुबह अपना फैसला सुनाते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष को किसी भी प्रकार की अंतरिम राहत देने से मना कर दिया. कनिष्ठ न्यायालय के सामने चल रही सुनवाई जारी रखने और उनके सामने अपनी बात विस्तार से रखने के आदेश भी दिए गए. अब भिवंडी के न्यायदंडाधिकारी के सामने होने वाली अगली सुनवाई के लिए राहुल गांधी को उपस्थित रहना होगा, वह पहुंचते हैं या नहीं यह देखना काफी दिलचस्प होगा.