उग्रवादियों के विरुद्ध कार्रवाई राष्ट्रीय स्वाभिमान का विषय : श्री वी.भागय्या

नई दिल्ली   (इंविसंके). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह श्री वी.भागय्या ने कल यहां भारतीय सेना की पूर्वोत्तर में म्यांमार सीमा पर उग्रवादियों के विरुद्ध सैन्य कार्रवाई को राष्ट्रीय स्वाभिमान का विषय बताते हुए कहा कि हमारी पराक्रमी सेना ने पूरी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया है. उन्होंने कहा कि पहले की केन्द्र सरकार में राजनीतिक मनोबल की कमी थी , पर अब वर्तमान सरकार ने दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति का परिचय दिया है.

हरिनगर स्थित महाशय चुन्नी लाल सरस्वती बाल मंदिर परिसर में 24 मई से शुरू हुए उत्तर क्षेत्र के संघ शिक्षा वर्ग (व्दितीय वर्ष) के 13 जून को आयोजित समापन समारोह को संबोधित करते हुए सहसरकार्यवाह ने कुछ स्वार्थी लोगों द्वारा भारतीय सेना पर प्रतिकूल टिप्पणियां किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि भारत विश्वसनीय देश है , इसलिये दुनिया इसका सम्मान करती है. उत्तर क्षेत्र में पांच प्रांत शामिल हैं. ये हैं-जम्मू-कश्मीर , हिमाचल प्रदेश , पंजाब , हरियाणा और दिल्ली. समारोह का आयोजन खाटू श्याम स्टेडियम में किया गया था.

श्री भागय्या ने कहा कि आज विश्व को एकात्मता और शांति चाहिये जो भारत ही दे सकता है. भारत का इतिहास भी है कि उसने सारी दुनिया को सदैव प्रेम बांटा है. उन्होंने कहा कि भाषा , उपासना पद्धति और जीवन-शैली की विविधता में एकात्मता देखना भारतीय संस्कृति की विशेषता है. हम इस संस्कृति के आधार पर समूची मानवता का विकास चाहते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि प्रकृति से एकात्मता मात्र धार्मिक क्रिया नहीं है.

सहसरकार्यवाह ने स्वयंसेवकों से जल स्रोतों और श्मशान जैसी सुविधाओं का उपभोग सभी जातियों को सहर्ष करने देने का संकल्प लेने का आह्वान करते हुए कहा कि हिन्दू समाज को सभी कुरीतियों और भेदभाव से ऊपर उठना है और इस भाव को आत्मसात करना है कि हम सब भारत मां की संतान हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस दिशा में निरंतर प्रयत्नशील है. इसीलिये जिस मंदिर में संविधान निर्माता बाबा साहब आंबेडकर को दर्शन की अनुमति नहीं दी गई थी , उस मंदिर के तत्कालीन पुजारी के पौत्र ने छह वर्ष पूर्व यज्ञ कराया और उसमें अस्पृश्य समझी जाने वालीं सभी जातियों के लोगों को शामिल कराया. साथ ही पौत्र ने कहा कि वह अपने दादा के पाप का परिमार्जन कर रहा है. उस पुनीत अवसर पर तत्कालीन सरकार्यवाह और सम्प्रति परम पूज्य सरसंघचालक श्री मोहन जी भागवत भी उपस्थित थे.

श्री भागय्या ने कहा कि संघ कुटुम्ब प्रबोधन के कार्य को बहुत गंभीरता से ले रहा है. यह परिवार प्रणाली को मजबूत करने की लिये अति आवश्यक है. यह आज के परिप्रेक्ष्य में तब और भी जरूरी हो जाता है जब समाज में लव जिहाद जैसी चुनौतियां उपस्थित हो गईं हैं. उन्होंने समाज में नारी सम्मान और शिक्षा में जीवन मूल्यों की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि बढ़ते भ्रष्टाचार का तभी उन्मूलन होगा. उन्होंने किसानों की आत्महत्या पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि जैविक खेती को प्रोत्साहन देने और रासायनिकर काद के प्रयोग को बंद करने के लिये संघ का सेवा गांव का प्रयोग सफल रहा है.

सहसरकार्यवाह ने स्वयंसेवकों से एकांत में साधना और लोकांत में सेवा का आह्वान करते हुए विश्वास प्रकट किया कि भविष्य में सम्पूर्ण हिंदू समाज को संगठित कर वैभवशाली बनाने के फलस्वरूप सारी दुनिया में सकारात्मक परिवर्तन अवश्य दिखाई देंगे.

समारोह की अध्यक्षता करते हुए धार्मिक नेता श्री सुरक्षित गोस्वामी ने कहा कि अपने व्यक्तित्व  निर्माण के बिना राष्ट्र का निर्माण संभव नहीं है. व्यक्तित्व निर्माण के लिये उन्होंने योग साधना पर जोर दिया और कहा कि यह अपने मन को साधकर – सजाकर अपने से जुड़ जाने की प्रक्रिया है.

समारोह का प्रारम्भ गणवेश में सज्जित शिक्षार्थियों व्दारा ध्वज प्रदक्षिणा से हुआ. उन्होंने नियुद्ध , गण समता और घोष आदि के प्रभावशाली प्रदर्शन भी किये. शिविर में 346 स्वयंसेवकों ने भाग लिया जिसमें सांगली और म्यांमार से एक-एक स्वयंसेवक शामिल थे.

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