नागपुर, फरवरी 9 : अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा भारत को धार्मिक सहिष्णुता की नसीहत देनेवाले बयान से कई अमेरिकी लोग नाराज हैं। अनेक अमेरिकी विश्लेषकों का मानना है कि नेशनल प्रेयर ब्रेकफास्ट के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार पर ओबामा का यह बयान निरर्थक है। पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित और वाशिंगटन पोस्ट के लिए स्तंभ लिखनेवाले चार्ल्स क्रॉथमर ने सीरिया और इराक के साथ भारत को धार्मिक सहिष्णुता पर प्रवचन देने के लिए ओबामा को जमकर कोसा है।
एक रेडियो कार्यक्रम में क्रॉथमर ने कहा कि ऐसी कौन-सी मुसीबत है कि वे इस मामले में भारत को घसीट रहे हैं? यह पहला मौका है, जब मैं भारत का नाम इस तरह के विवादों में सुन रहा हूं। यह साफ है कि ओबामा भारत का अपमान कर रहे हैं और इसका कारण यह है कि भारत एक हिन्दू देश है। ज्ञात हो कि अमेरिका में एक सार्वजनिक सभा में ओबामा ने कहा था कि भारत में धार्मिक असहिष्णुता बढ़ी है और यदि आज गांधी जिंदा होते तो उन्हें धक्का लगता।
ह्यूज हेविट को दिए साक्षात्कार में क्रॉथमर ने कहा कि भारत दूसरा सबसे अधिक मुस्लिम आबादीवाला देश है। और इस तथ्य को जानने के बावजूद आप उसके पीछे पड़ जाते हैं। आप उसे बताने लगते हैं कि यहां का हर आदमी गलती कर रहा है। क्रॉथमर ने कहा कि दरअसल, वे लोग कोई गलत काम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “ओबामा भारत के पीछे पड़ गए हैं, जो कि इस ग्रह पर हमारा सबसे मजबूत, सबसे उल्लेखनीय और लोकतांत्रिक सहयोगी है। इस देश ने सभी धर्मों और भाषाओं को आश्रय दिया है।”
वरिष्ठ पत्रकार चार्ल्स ने ओबामा के भाषण को तुच्छ और अप्रिय करार दिया, और कहा कि आप इस तरह की बातें उस वक्त करते हैं, जब आपकी उम्र 12 साल या 17 साल की होती है। आप कोलंबिया के छात्रावास में बैठकर इस तरह की चर्चा करते हैं। लेकिन, ओबामा इसे दुनिया के सामने इस तरह से रख रहे हैं, जैसे उन्होंने किसी रहस्य का उद्घाटन कर दिया है। वह भी तब जब जॉर्डन के पायलट को आईएस द्वारा जिंदा जलाए जाने से पूरी दुनिया सदमे में है। और नृशंस वीडियो सामने आने के ठीक दो दिन बाद आप पूछने लगते हैं, ‘जॉन ऑफ आर्क के बारे में आपका क्या ख्याल है?’ उन्होंने कहा कि इस तरह की बातें बिना किसी मतलब की हैं।
क्रॉथमर ने आईएस की बर्बरता को कम करके आंकने के लिए भी ओबामा को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा, जैसा कि हमने जार्डन के पायलट को जिंदा जलाने की घटना में देखा कि यह एक कोई साधारण घटना नहीं थी। धर्मयुद्धों का सिलसिला आठ सौ साल पहले खत्म हो चुका है। विधर्मियों को दंड देने के लिए अब धार्मिक अदालतों का गठन नहीं किया जाता। जॉन ऑफ आर्क की घटना कल की नहीं है, लेकिन जॉर्डन के पायलट के साथ जो कुछ हुआ वह सिर्फ दो दिन पहले की बात है।
ओबामा का बयान देशवासियों को आहत करनेवाला
ओबामा के इस वक्तव्य पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने पत्रकारों से कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत में धार्मिक असहिष्णुता बढऩे की जो टिप्पणी की है, यह उनकी अज्ञानता और कम समझ को दर्शाता है। ओबामा को भारत की संस्कृति और महात्मा गांधी के बारे में ज्ञान अधूरा है या समझ कम है। उनका यह बयान देशवासियों के लिए आहत करनेवाला व भारतीयता का अपमान है। भारत तो बहुधर्मी और सहिष्णुतावाला देश है। यहां सभी पंथ के लोगों को सम्मान मिलता है। भारत से अधिक सहिष्णुता अमेरिका व इंलैंग्ड में नहीं है। उन्होंने कहा, अमेरिकी राष्ट्रपति की टिप्पणी इस बात की सूचक है कि वह चर्च को बढ़ावा देने के लिए ऐसी टिप्पणी कर रहे हैं।
ओबामा के इस बयान पर मोदी सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पलटवार करते हुए कहा था कि धार्मिक और सांस्कृतिक सहिष्णुता के मामले में भारत का लंबा इतिहास रहा है और कोई भी भ्रम उसके इतिहास को नहीं बदल सकता। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि कोई भी देश भारत जैसी सांस्कृतिक विविधता नहीं रखता। देश में जाति, विश्वास या धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता।