श्योपुर, मध्यप्रदेश (विसंकें). रविवार को श्योपुर में हिन्दू सम्मेलन का आयोजन किया गया. हिन्दू सम्मेलन में हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों ने संदेश दिया कि हिन्दू समाज न सिर्फ संगठित है, बल्कि समाज की एकता भी बरकरार है. कार्यक्रम से पूर्व नगर में विशाल कलश एवं शोभायात्रा प्रमुख मार्गों से होकर निकाली गई. कलश यात्रा में शहर व ग्रामीण क्षेत्रों से उपस्थित मातृशक्ति ने आयोजन को सफल बनाया. आदिवासी नृत्य और युवाओं द्वारा दी गई मनमोहक प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का मन जीत लिया.
इसके बाद अतिथि मंच पर पहुंचे, युवाओं में ओलम्पिक पदक विजेता विजेन्द्र कुमार की झलक पाने की होड़ दिखी. कार्यक्रम की अध्यक्षता पूज्य उत्तम स्वामी जी महाराज ने की. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में ओलम्पिक पदक विजेता विजेन्द्र कुमार उपस्थित रहे. कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों द्वारा भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई. इसके बाद हिन्दू सम्मेलन आयोजन समिति के अध्यक्ष बाबूलाल जाटव ने कार्यक्रम की भूमिका व स्वागत भाषण प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनुराग त्रिवेदी ने किया. आभार प्रदर्शन समिति सचिव नरेन्द्र मीणा ने किया.
कार्यक्रम के अध्यक्षता पूज्य उत्तम स्वामी जी ने कहा कि हिन्दू धर्म ही है, जो सभी का सम्मान करता है. सभी को सनातन धर्म का पालन करना चाहिए. रामायण का एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान राम ने शबरी के झूठे बैर खाकर नारी सम्मान का परिचय दिया था. जब श्रीराम वनवास से आयोद्धा लौटकर आए थे, तो उनकी माताओं ने उनके लिए 56 प्रकार के भोजन बनाए. भगवान श्री राम ने एक ग्रास खाया और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे, तब लक्ष्मण जी ने पूछा कि आप क्यों रो रहे हो, तब श्री राम ने कहा कि इस भोजन में वो स्वाद नहीं है जो माता शबरी के झूठे बेरों में था.
मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी जी ने कहा कि श्योपुर में आयोजित विशाल हिन्दू सम्मेलन किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि हम सब का है. हम हिन्दू होने के नाते यहां एकत्रित हुए हैं, तो उसमें यह विचार करने की आवश्यकता है कि इस दुनिया के अंदर बहुत देश हैं, लेकिन सम्पूर्ण विश्व को अपना परिवार मानने, अपना मानने वाला – चाहे वह जड़ हो, चैतन्य हो, पशु हो, पक्षी हो या फिर मनुष्य हो, कोई भी हो, उसमें ईश्वरत्व को देखने का वाला कोई दर्शन है, कोई धर्म है, कोई संस्कृति है, तो वह हिन्दू है. जब 1893 में अमेरिका की धरती पर सब धर्मों के लोग एकत्रित हुए थे, उस समय सभा के अंदर हिन्दू धर्म की विजय ध्वजा को स्वामी विवेकानंद जी ने फहराया था. स्वामी विवेकानंद जी ने सब देशों के सब धर्मों के सामने कहा था कि मैं विश्व के सब लोगों के सामने उपस्थित हूं, करोड़ों-करोड़ हिन्दुओं की ओर से, मैं यहां उस धर्म की ओर से उपस्थित हूं, जिसने इस दुनिया के किसी भी कोने में किसी को भी तकलीफ हुई तो सहारा दिया. उदाहरण दिया कि हजारों साल पहले यहूदियों को उनके देश इजराइल से उखाड़ दिया गया, तब उन्हें शरण भारत की धरती ने दी. जब ईरान से पारसियों को इस्लाम के अनुयायियों ने खदेड़ा, तब उन्हें शरण भारत ने दी.
सह सरकार्यवाह जी ने कहा कि आज का यह प्रसंग केवल ताली बजाने का नहीं है, हर एक हिन्दू को अपने दिल के अंदर गहराई से सोचने का है. हम क्या थे, आज क्या हो गए? कल हमको क्या होना है. एक-एक व्यक्ति को प्रयत्न करने की आवश्यकता है. एक बात इतिहास हमको बताता है – जब-जब हिन्दू समाज के अंदर हिन्दू भावनाएं कम हुईं और अपने जात की, अपने जिले की, अपने प्रांत की, अपनी भाषा की भावनाएं उग्र हुईं, उसका परिणाम क्या होगा. आजकल हिन्दुस्तान के अंदर बहुत सी ताकतें सक्रिय हैं जो छोटी-छोटी निष्ठाओं को हरा रही हैं. प्रचार कर रही हैं कि तुम हिन्दू नहीं हो. वनवासी समाज के बीच जाकर कहते हैं कि तुम गौंड हो, तुम सहरिया हो, तुम हिन्दू नहीं हो, तुम भील हो, हिन्दू नहीं हो. लेकिन वास्तव में किसी भी जाति का भाई हो, अनुसूचित जनजाति का बंधु हो, अनादि काल से इस हिन्दू परम्परा से जुड़े रहे हैं. सांस्कृतिक रूप से, धार्मिक रूप से जुड़े रहे हैं.
आज आवश्यकता इस बात की है कि समाज के अंदर हिन्दू भाव को कमजोर करने का जो प्रयत्न चल रहा है. उसका हर घर से उत्तर दिया जाए. हमारे समाज में अगर विषमताएं रहेंगी, छुआछूत में पड़े रहेंगे तो देश कभी एक नहीं रह सकता. इसलिए हम संकल्प लें कि गाय को मानने वाले, कृष्ण को मानने वाले, कण-कण में भगवान को मानने वाले हिन्दुओ, हर बंधु अपना भाई है, इसे रोजमर्रा के अपने व्यवहार के अंदर प्रस्तुत करें.
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