मुंबई (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने कहा कि इलाहाबाद कोर्ट के निर्णय से स्पष्ट हो चुका है कि रामजन्मभूमि पर जहां विवादित ढांचा खड़ा किया गया था, उस जगह उत्खनन में राम मंदिर के पुरातात्त्विक अवशेष अर्थात् सबूत प्राप्त हुए हैं. इसके पश्चात् भी यह जमीन मंदिर निर्माण के लिये उपलब्ध नहीं हुई. भगवान विष्णु ने वामनावतार में केवल तीन चरणों में तीनों लोकों को नाप लिया था, उन्हीं भगवान विष्णु के अगले अवतार को अपने भव्य मंदिर के लिये जमीन न मिलना यह अतिशय निराशाजनक है.
02 दिसंबर को मुंबई के बीकेसी मैदान में विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित विराट धर्मसभा में उन्होंने कहा कि अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के लिये संसद के शीतकालीन सत्र में कानून लाया जाए. धर्मसभा में प.पू. जगद्गुरू रामानंदाचार्य, श्री स्वामी नरेंद्राचार्य महाराज, श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर आनंदगिरी महाराज, गोंविंद देवगिरी महाराज, नयपद्मसागर महाराज, विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन जी उपस्थित रहे.
सह सरकार्यवाह जी ने कहा कि विवादित जमीन पर पुरातात्विक उत्खनन में मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए हैं, अब केंद्र सरकार अपने शपथ पत्र के अनुसार मंदिर निर्माण के लिये भूमि प्रदान करे. उस भूमि पर मंदिर था, यह उच्च न्यायालय ने भी अपने निर्णय में स्पष्ट किया है. करोड़ों लोगों की भावनाओं से जुड़ा यह विषय न्यायालय की प्राथमिकता में नहीं है तो सरकार कानून द्वारा मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे. उन्होंने पूछा कि यदि नर्मदा के तट पर सरदार पटेल जी का भव्य स्टैच्यू खड़ा हो सकता है तो अयोध्या में भव्य राममंदिर के निर्माण के लिये कानून क्यों नहीं आ सकता.
स्वामी नरेंद्राचार्य महाराज जी ने कहा कि धर्म यह मानव का अधिष्ठान है. भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए यदि हमें प्राणों की आहुति देनी पड़े तो हम भाग्यशाली होंगे. राम मंदिर हिन्दुओं की अस्मिता का प्रश्न है. हिन्दुओं का अपनी अस्मिता के लिये जागृत होना आवश्यक है. सरकार द्वारा हिन्दुओं की सहिष्णुता का विचार करना भी उतना ही आवश्यक है. पुरातत्व विभाग ने अपनी रिपोर्ट में मंदिर होने की पुष्टि की है. भगवान राम ने अन्याय रूपी रावण के विरूद्ध युद्ध छेड़ा था. उन्हें नल, सुग्रीव, हनुमान आदि लोगों की सहायता प्राप्त हुई, आज वैसे ही हिन्दू समाज को एकत्र आकर एकजुट होना आवश्यक है. नरेंद्राचार्य महाराज जी ने आदिवासी क्षेत्र में हो रहे धर्मपरिवर्तन पर भी चिंता जताई.
गोविंदर गिरी जी महाराज ने कहा कि भगवान राम यह देश का डीएनए है. वे हिन्दुत्व की पहचान हैं. मानवता का सर्वोच्च आदर्श हैं. यह आदर्श पुनर्स्थापित करने के लिये तात्काल मंदिर निर्माण होना आवश्यक है. सोमनाथ मंदिर की तरह श्रीराम मंदिर का निर्माण किया जाए.
नयपद्मसागर महाराज जी ने कहा कि भगवान राम का नाम लेते ही जिन्हें सांप्रदायिकता का अनुभव होता है, उन्हें इस देश में रहने का अधिकार नहीं. इन दिनों संपूर्ण देश राममय हो रहा है. लोगों में उत्साह है. अब राममंदिर बनने से रोका नहीं जा सकता. पिछली सरकार ने राम जी के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न खड़े किये थे. यह लोकतंत्र है और हिन्द यह देश के लोकतंत्र का श्वास है. हिन्दुओं को रामजन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण करना है और उन्हें कोई रोक नहीं सकता.
विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन जी ने कहा कि रामजन्मभूमि मामला यह एक्सपायरी डेट का चेक है, परंतु अब समय बदल गया है. आज की युवा पीढ़ी राममंदिर निर्माण लिये एकत्र आई है. मुसलमानों के तुष्टिकरण की राजनीती में कांग्रेस ने रामंदिर का निर्माण नहीं कराया. मैं मुसलमान बंधुओं को बताना चाहता हूं कि बाबर, गजनी तथा अकबर उनके पूर्वज नहीं थे. उनके पूर्वज श्रीराम के वंशज थे. जब कोई देश गुलामी से मुक्त होता है. तब देश से आक्रांताओं की सभी यादें मिटाई जाती हैं. सोमनाथ का मंदिर भी इसी प्रेरणा से खड़ा किया गया. आज सरदार पटेल होते तो राममंदिर के लिये इतना संघर्ष नहीं करना पड़ता.