भारत गांवों में बसता है. हमारे देश की 60% जनसँख्या गांवों में बसती है. भारतीय संस्कृति गांवों में ही जीवित है यानि गांवों का विकास देश का विकास है. गांवों का विकास अपनी स्वयं की शक्ति के आधार पर ही होना चाहिए. इसी मुलभुत चिंतन को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा से चलाई जा रही गतिविधि ‘ग्राम विकास’ के द्वारा गाँव को उन्नतशील बनाने के प्रयत्न किये जा रहे है.
ग्राम विकास के कार्य में लगे गुजरात प्रांत के कार्यकर्ताओ का एक संमेलन दिनांक 10 जनवरी, रविवार को, माणसा (उत्तर गुजरात) में आयोजित किया गया. कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ. इस अवसर पर अपने उद्बोधन में श्री यशवंतभाई चौधरी (प्रांत कार्यवाह, गुजरात) ने कहाँ कि ग्रामीण जीवन कृषि पर आधारित है और कृषि के संरक्षण के लिए सात संपदा(भूमि, जल, वन, जीव, गाय, जन और उर्जा) जरुरी है. संघ के स्वयंसेवक के रूप में हमें इस विषय पर अधिक संवेदनशील, जागृत और कार्यशील होने की आवश्यकता है. ग्राम विकास के कार्य को अभियान के रूप में लेने से निश्चित ही अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे. विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा, सौराष्ट्र में जल बचाओ अभियान के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए है. उन्होंने कहाँ कि संघ की सामूहिक कार्यपद्धति के अनुसार से ग्रामजनो को जोड़ कर अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते है.
समापन सत्र में श्री चिंतनभाई उपाध्याय (प्रांत प्रचारक, गुजरात) ने कहाँ कि ग्राम विकास सिर्फ सरकारी योजनाओं से नहीं किया जा सकता, कितना भी अच्छा प्रचार क्यों न हों वह कार्यकर्ताओ के बिना अधुरा है. अतः यह कार्य मैं करूँगा तथा कार्य को समझने के लिए वांचन, चिंतन और अनुभव करूँगा इस प्रकार की भूमिका कार्यकर्ताओ को बनानी पड़ेंगी. ग्राम विकास के लिए गाँव की चौपाल, मंदिर और विद्यालय को आधार बनाया जा सकता है ये सभी गाँव के पारंपरिक स्वीकृत केंद्र है. हर महीने ग्राम विकास समिति की एक बैठक और हर माह ग्राम विकास का एक उपक्रम अपने कार्य की पद्धति बननी चाहिए. ग्राम विकास के कार्य का प्रारंभ यदि समाज नहीं करेगा तो शासन भी कुछ नहीं कर पायेगा. संघ की प्रत्येक ग्रामीण शाखा ग्राम विकास का कार्य करना चाहियें.
संमेलन में सप्त संपदा (भूमि, जल, वन, जीव, गाय, जन और उर्जा), सजीव और गौ आधारित खेती, पच्गव्य, आयुर्वेद, संस्कृत में विज्ञान, सामाजिक समरसता आदि विषय प्रदर्शनी के माध्यम से सुंदर रूप से प्रदर्शित किये गए. संमेलन में समाज के विभिन्न अग्रणियो ने अपने अनुभव सबके समक्ष रखे.