भोपाल (विसंकें). देश को वैभव सम्पन्न बनाना है. इसलिए सबसे पहले यह समझ लेना चाहिए कि देश क्या है. जन, जल, जंगल, जमीन और जानवर इन सबको मिलाकर एक देश बनता है. देश का विकास होता है, तब इन सबका विकास होता है. लेकिन, देश की प्रकृति और स्वभाव के अनुरूप विकास हो, तब ही वह वास्तविक विकास कहलाता है. चूंकि भारत का स्वभाव जल और जंगल से जुड़ा है. हमारा मूल गाँव में ही है. इसलिए जल, जंगल और गाँव का विकास ही भारत का विकास है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने भाऊसाहब भुस्कुटे लोक न्यास के रजत जयंती समारोह में संबोधित किया. कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में अग्नि अखाड़ा की महामण्डलेश्वर साध्वी कनकेश्वरी देवी और न्यास के अध्यक्ष अतुल सेठी भी उपस्थित थे. समारोह के बाद उन्होंने ग्राम प्रमुखों के साथ कृषि विस्तार और समग्र विकास के संबंध में चर्चा की.
डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि जैसे हम आदर्श जीवन में यम-नियम का पालन करते हैं, उसी प्रकार आदर्श और उन्नत खेती के लिए पाँच नियमों का पालन प्रारंभ करना होगा. स्वच्छता, स्वाध्याय, तप, सुधर्म और संतोष. स्वच्छता के तहत अपने गाँव को साफ-सुथरा रखना. स्वाध्याय के अंतर्गत कृषि के संबंध में नवीनतम और भारतीय पद्धति का अध्ययन करना. तप की अवधारणा के अनुरूप अपनी जमीन को भगवान मानकर बिना किसी स्वार्थ के उसकी सेवा करते हुए कृषि करना. अपने सुधर्म का पालन करना और संतोष अर्थात् धैर्यपूर्वक जैविक खेती को अपनाना. अच्छे परिणाम के लिए धैर्य और संतोष जरूरी है. उन्होंने कहा कि हमें भेदभाव को पूरी तरह हटाकर मिल-जुल कर रहना होगा, तभी वास्तविक विकास आएगा.
भाऊसाह भुस्गुकरुवार को सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी बनखेड़ी के समीप गोविंदनगर में स्थित भाऊसाहब भुस्कुटे लोक न्यास पहुंचे. यहाँ न्यास की ओर से आयोजित ग्राम विकास समिति सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज तथाकथित विकास के कारण जंगलों को नुकसान पहुंच रहा है, जल दूषित हो रहा है और हवा में प्रदूषण बढ़ गया है. इसके कारण से पर्यावरणवादियों और विकासवादियों में विवाद हो रहा है. एक कह रहा है कि पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए, तब दूसरा कह रहा है कि विकास चाहिए, विकास होगा तो थोड़ा-बहुत नुकसान पर्यावरण को पहुंचेगा. समाधान किसी के पास नहीं है. समाधान सिर्फ भारत के पास है, इसलिए दुनिया कह रही है कि भारत का विकास होना चाहिए. क्योंकि भारत के विकास की अवधारणा में किसी को नुकसान नहीं है. हमारी कृषि परंपरा में न जमीन दूषित होती है और न अन्न. उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद के उपयोग से जमीन खराब हो गई है और अन्न विषयुक्त हो गए हैं. पंजाब से मुम्बई जाने वाली एक ट्रेन का नाम ही कैंसर ट्रेन पड़ गया है. रासायनिक खेती ने जल, जमीन और जन सहित सबको नुकसान पहुंचाया है. अधिक पैदावार के लालच में अधिक रासायनिक खाद उपयोग करने से आज अनेक स्थानों पर जमीन बंजर हो गई है. सरसंघचालक जी ने कहा कि संघ के प्रयासों से आज देश में जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है. न्यास ने होशंगाबाद जिले में जैविक खेती की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य किया है. भाऊसाहब भुस्कुटे किसान संघ का काम देखते थे और उन्होंने ही समग्र ग्राम विकास के कार्यक्रमों को गति दी.
हम जहाँ गए, वहाँ भारत बसा दिया
उन्होंने कहा कि 1857 का स्वतंत्रता संग्राम केवल राजाओं का युद्ध नहीं था, बल्कि इस संग्राम में गाँव-नगर के आमजन भी अपने सामर्थ्य के अनुरूप योगदान दे रहे थे. यह बात अंग्रेजों को समझ आ गई थी. आंदोलन को खत्म करने के लिए अंग्रेजों ने समाज का नेतृत्व करने वाले प्रमुख लोगों को धन और रोजगार का लोभ दिया. अच्छे रोजगार का स्वप्न दिखाकर उन्हें यूरोप भेज दिया. अंग्रेजों ने उस समय जिन भारतीय लोगों को यूरोप भेजा था, आज उनकी सातवीं-आठवीं पीढ़ी वहाँ है. बताया कि वह एक बार वेनेजुएला गए तो उन्होंने वहाँ देखा कि यह लोग हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे थे. हिंदी और संस्कृत नहीं आती, लेकिन पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक सीखते रहे हैं और प्रति मंगलवार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं. इसी तरह भारतीयों ने श्राद्ध कर्म के लिए कैरोनी नदी का नाम बदलकर करुणा नदी कर दिया है. मॉरीशस में गंगा सागर बना लिया है. यहीं 13वां ज्योर्तिलिंग मॉरिशसश्वेर महादेव की स्थापना भी कर ली है. इसका अर्थ है कि अंग्रेजों ने हमें देश से दूर करने का प्रयास किया, लेकिन हम जहाँ गए, वहीं अपना भारत बसा लिया.
भारतीय संस्कृति पर गौरव रखने वाला ही भारत का नागरिक
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि एवं महामण्डलेश्वर साध्वी कनकेश्वरी देवी ने कहा कि मात्र भारत में जन्म लेने से कोई भारत का नागरिक नहीं बन जाता. हालाँकि वह कानूनन देश का नागरिक है, लेकिन वैचारिक दृष्टि से वह केवल निवासी है. भारतीय नागरिक बनने के लिए भारत की संस्कृति परंपराओं, पुरुखों और धर्म के प्रति गौरव का भाव होना चाहिए. देश में अनेक नदियां बहती हैं, लेकिन गंगा का महत्त्व अद्वितीय है. राम मंदिर अनेक हैं, लेकिन अयोध्या में राममंदिर का महत्त्व अलग ही है. शिव के अनेक मंदिर हैं, लेकिन काशी में विश्वनाथ मंदिर की प्रतिष्ठा अधिक है. कृष्ण की महत्ता मथुरा में अधिक है. इसी प्रकार इस धरा पर अनेक पंथ होंगे, लेकिन सनातन हिन्दू धर्म का महत्त्व अद्वितीय है. सनातन हिन्दू धर्म को समझने के लिए उसके प्रति गौरव का भाव होना जरूरी है. साध्वी जी ने कहा कि दुनिया में जहाँ भी श्रेष्ठ विचारधाराएं हैं, वह सनातन धर्म की ही देन हैं. वे धर्म ही आपस में भाई-भाई हैं, जिनके भोजन समान हैं. क्योंकि भोजन समान होगा, तो विचार समान आएंगे और विचार समान होंगे तो कार्य समान होंगे.
कार्यक्रम का संचालन कर रहे चाणक्य बख्शी ने न्यास के प्रकल्पों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया.
सृजन ब्रांड की गोविंद अगरबत्ती का लोकार्पण
इससे पूर्व सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने सुबह 10 बजे बनखेड़ी के समीप गोविंदनगर में समग्र ग्राम विकास के प्रकल्पों का अवलोकन किया. उन्होंने ग्राम ज्ञानपीठ परिसर में सृजन ब्रांड के तहत निर्मित गोविंद अगरबत्ती का लोकार्पण किया. इस ब्रांड के अंतर्गत बांस, मिट्टी, पीतल की वस्तुएं, तेल, साबुन सहित अन्य उत्पादों का भी निर्माण एवं विक्रय किया जाएगा. इस कार्य में संलग्न कारीगरों का प्रोत्साहन किया. इसके साथ ही बैम्बू एवं पॉटरी मल्टी कलस्टर के नए भवन का भी उद्घाटन किया. न्यास की ओर से गोविंदनगर में आदर्श गौशाला का संचालन भी किया जाता है. न्यास द्वारा किए जा रहे ग्राम विकास के विभिन्न कार्यों पर प्रदर्शनी का भी उन्होंने अवलोकन किया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा से भाऊसाहब भुस्कुटे लोक न्यास की ओर से होशंगाबाद जिले में समग्र ग्राम विकास के प्रकल्पों का संचालन किया जा रहा है.